नाम : राम चंद्र प्रसाद सिंह
पद : केंद्रीय इस्पात मंत्री, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष (जदयू)
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जीवन परिचय
केंद्रीय इस्पात मंत्री श्री रामचंद्र प्रसाद सिंह एक जाने माने भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वह जनता दल (यूनाइटेड) पार्टी से पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर भी सेवारत रह चुके हैं। रामचंद्र प्रसाद सिंह को आरसीपी सिंह के नाम से भी जाना जाता है। वह बिहार से जनता दल (यूनाइटेड) कोटे से राज्यसभा सांसद हैं और जनता दल (यूनाइटेड) के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) भी रह चुके हैं। उनका जन्म 06 जुलाई 1958 को नालंदा जिले में हुआ था। वह राजनीति में आने से पहले एक आईएएस अधिकारी थे।
बिहार के नालंदा जिले के मुस्तफापुर में 6 जुलाई 1958 को जन्में आरसीपी सिंह के पिता का नाम स्वर्गीय श्री सुखदेव नारायण सिंह और माता का नाम स्वर्गीय श्रीमती दुख लालो देवी है। उन्होंने 21 मई 1982 को गिरिजा सिंह से शादी की, जिनसे उनकी दो बेटियाँ हैं। उनकी बेटी लिपि सिंह 2016 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं।
नीतीश के जिले नालंदा के रहने वाले आरसीपी सिंह पहले यूपी कैडर में आइएएस अफसर रहे हैं। सिविल सर्विस के दौरान आरसीपी सिंह यूपी सरकार में काफी अहम विभागों में काम कर चुके हैं। उन्हें नीतीश का खास माना जाता है. बिहार में नीतीश सरकार के साथ वे पहले प्रमुख सचिव के रूप में जुड़े फिर बाद में वह सियासत में आये हैं।
राजनीतिक सक्रियता
रामचंद्र प्रसाद सिंह उन चंद राजनीतिज्ञों में से हैं जो ख़बरों में रहने से ज्यादा अपने कार्य में लगे रहने के लिए जाने जाते हैं। उनके काम करने के तरीके में उनका राजनीतिक कौशल झलकता है। दो दशक के भी अधिक समय से, वह बिहार के मुख्यमंत्री और जेडी (यू) अध्यक्ष नीतीश कुमार के साथ काफी करीब से काम कर रहे हैं और माजूदा वक्त में उन्हें नितीश कुमार का सबसे करीबी माना जाता है। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन बनाने और बीस वर्षों में पहली बार नीतीश और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को एक साथ लाने में इनकी अहम भूमिका रही है।
आज आरसीपी सिंह को राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं पर नजर रखने के अलावा, चुनावी रणनीतियों, सहयोगियों के साथ सहज समन्वय और संगठन के प्रमुख मामलों को संभालने के कौशल की लिए जाना जाता है। यदि रामचंद्र प्रसाद सिंह में अभी भी एक राजनीतिज्ञ से ज्यादा नौकरशाह होने की झलक दिखती है तो उसकी वजह उनका 26 साल से आईएएस के पद पर रहना रहा है। जब नीतीश कुमार ने उन्हें रजनीति आने के लिए राजी किया तो 2010 में 1984-बैच के आईएएस अधिकारी ने जेडी (यू) के राज्यसभा सांसद बनने के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली और तब से पार्टी में दूसरे सबसे शक्तिशाली नेता के रूप में उभरे।
नीतीश कुमार 1990 के दशक के अंत में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री थे जब उन्होंने यूपी-कैडर के नौकरशाह को अपना निजी सचिव चुना था। लेकिन यह आरसीपी के प्रबंधकीय कौशल और जमीनी राजनीति की समझ थी जिसने अंततः उन्हें नीतीश के सामने ला खड़ा किया। 2005 में जब नीतीश सीएम बने, तब उन्होंने आरसीपी को बिहार बुलाकर उन्हें अपना प्रमुख सचिव नियुक्त किया। शरद यादव ने जब जेडी (यू) छोड़ी तो उन्हें राज्यसभा के लिए पार्टी नेता के पद के लिए पदोन्नत किया गया था।
2014-15 में, आरसीपी सिंह ने अपनी कुशलता का परिचय देते हुए जद (यू) के विधायकों को नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद तत्कालीन सीएम जीतन राम मांझी के विद्रोह से निपटने में प्रमुख भूमिका निभाई। 2017 में जब नीतीश कुमार भाजपा के साथ गठबंधन करने के लिए लालू के महागठबंधन से बाहर निकले तो इसी तरह की विशेषज्ञता फिर से प्रदर्शित हुई।
इसके बाद जदयू संगठन की मजबूती व विस्तारीकरण की नीतियों में अहम योगदान देते हुए आरसीपी सिंह ने पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव के पद की जिम्मेदारी संभाली। उनकी कार्यकुशलता के मद्देनजर उन्हें 2020 में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद सौंपा गया, जिस पर अपना शत प्रतिशत योगदान देते हुए आरसीपी सिंह ने पार्टी की बहुत सी योजनाओं को जमीनी स्तर पर क्रियान्वित करने के साथ साथ ही पदधिकारियों व कार्यकर्ताओं को जन जन से जोड़ने में प्रमुख भूमिका निभाई।
हाल ही में हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार के अंतर्गत आरसीपी सिंह को इस्पात मंत्रालय से कैबिनेट मिनिस्टर के रूप में राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द द्वारा पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई गई। जिसके बाद से वह इस्पात मंत्रालय को संभालते हुए मंत्री के रूप में एक नई पारी का आगाज कर चुके हैं।
शैक्षिक योग्यता
उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हाई स्कूल, हुसैनपुर, नालंदा से की। उन्होंने इतिहास में कला स्नातक (ऑनर्स) की डिग्री के साथ स्नातक किया और मास्टर ऑफ आर्ट्स किया। वह पटना साइंस कॉलेज, पटना कॉलेज और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के पूर्व छात्र हैं।
राजनीति के दौरान संभाले गए प्रमुख पद :
जुलाई
2010, राज्य सभा के
लिए चुने गए।
सदस्य,
रेलवे समिति, अगस्त
2010 - अगस्त 2012।
सदस्य,
जेपीसी दूरसंचार लाइसेंस
और स्पेक्ट्रम के
आवंटन और मूल्य
निर्धारण से संबंधित
मामलों की जांच करने के
लिए, मार्च 2011 - अक्टूबर
2013।
सदस्य,
कल्याण समिति अन्य
पिछड़ा वर्ग, जून
2012 - मई 2014।
सदस्य,
कार्मिक, लोक शिकायत,
कानून और न्याय
समिति, 2012 अगस्त - मई 2014, सितंबर
2014 - अगस्त 2017।
सदस्य,
हाउस कमेटी, 2013 मई
- सितंबर 2014।
सदस्य,
सार्वजनिक समिति अगस्त
2014 - अप्रैल 2015।
सदस्य,
सार्वजनिक उपक्रम समिति,
मई 2015 - अप्रैल 2018।
सदस्य,
विदेश मंत्रालय सलाहकार
समिति, मई 2015 - मई
2019।
जुलाई
2016 राज्यसभा सांसद, पुन:
निर्वाचित (दूसरा कार्यकाल)।
राज्य सभा के सदस्यों को कंप्यूटर के प्रावधान के लिए बनी समिति के सदस्य, 2017 नवंबर - 2019।
सदस्य,
वित्तीय समिति की
संयुक्त समिति समाधान
और जमा बीमा
विधेयक, अगस्त 2017 - मई
2019।
सदस्य,
सामान्य प्रयोजन समिति
अप्रैल 2018।
नीति
आयोग की नीति
2018 - मई 2019 के अध्यक्ष,
उद्योग समिति।
जुलाई
2019 सदस्य, अखिल भारतीय
आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), पटना।
सदस्य,
गृह मंत्रालय सितंबर
2019।
सदस्य,
गृह मंत्रालय, परामर्शदात्री
समिति, अक्टूबर 2019।
सदस्य,
सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, नवंबर
2019।
2019 से राज्यसभा की चयन समिति के सदस्य।
राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) - जनता दल (यूनाइटेड)
राष्ट्रीय अध्यक्ष - जनता दल यूनाइटेड (दिसम्बर 2020 से-जुलाई 2021 तक)
केंद्रीय इस्पात मंत्री - केंद्रीय मंत्रिमंडल (7 जुलाई 2021)
सिविल सर्विस के दौरान संभाले गए प्रमुख पद :
अधिकारी
/ मजिस्ट्रेट, खलीलाबाद, उत्तर प्रदेश,
1986-88,
मुख्य
विकास अधिकारी, कानपुर,
उत्तर प्रदेश, 1988-90
संयुक्त
सचिव, नियुक्ति विभाग,
लखनऊ, उत्तर प्रदेश
सरकार, 1990–93,
कलक्टर और जिला मजिस्ट्रेट (रामपुर, बाराबंकी, हमीरपुर और फतेहपुर), उत्तर प्रदेश सरकार, 1993 – 97,निजी सचिव - (i) संचार मंत्री, जुलाई 1997 - मार्च 1998, (ii) कृषि मंत्री, भूतल परिवहन मंत्री और रेल मंत्री, मार्च 1998-मई 2004 और (iii) बिहार के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, दिसंबर 2005 - मई 2010,
अतिरिक्त सीईओ, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश, जुलाई 2004 - दिसम्बर 2005
व्यवसाय और रुचि
कृषि विशेषज्ञ, सिविल सेवा, राजनीतिज्ञ और सामाजिक कार्यकर्ता, स्पोर्ट्सपर्सन