नाम : राजीव रंजन तिवारी
पद : पूर्व लोकसभा प्रत्याशी संसदीय क्षेत्र लखनऊ एवम् वर्तमान भाजपा व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विचारधारा समर्थक कार्यकर्ता
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परिचय -
राजीव रंजन तिवारी एक जागरूक सामाजिक कार्यकर्ता व राजनीतिज्ञ हैं। इनका जन्म बिहार राज्य के गोपालगंज जिले के माडीपुर गाॅव मे हुआ, किन्तु 12 वर्ष की उम्र में वह शिक्षा प्राप्ति के लिए लखनऊ आ गये थे। उन्होंने वाणिज्य और समाजशास्त्र दो विषयों से परास्नातक किया है। इसके अलावा उन्होंने शिक्षाशास्त्र मे स्नातक की उपाधि प्राप्त की है। वे अपने परिवार के पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जो राजनीति से जुड़े हुए हैं। उन्होंने वर्ष 2009 तथा 2014 के लोकसभा चुनावों में लखनऊ से निर्दलीय चुनाव लड़ा था तथा वर्ष 2009 के चुनावों में कुल 41 प्रत्याशियों में वह 8वें स्थान पर थे।
राजनीति में आने का कारण -
राजीव रंजन जी का मानना है कि समाज में अपने हित के लिए तो सभी कार्य करते हैं, लेकिन समाज में फैले भ्रष्टाचार, भेदभाव, असमानता, जातिवाद, लिंगभेद, क्षेत्रवाद व शोषण के विरूद्ध दूसरों के लिये भी सोचना चाहिए। इन मुद्दों के खिलाफ खड़े होने तथा आगे बढ़कर इनका समाधान खोजने के उद्देश्य से ही वह राजनीति में आये।
क्षेत्रीय मुद्दें -
राजीव रंजन जी के अनुसार लखनऊ लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभाएं हैं, जिनमें अलग- अलग समस्याएं होने के अलावा कुछ समान समस्याएं भी हैं, जिसके अंतर्गत पेयजल, शिक्षा, अस्पताल, सड़क, अपराध, बिजली आदि समस्याएं आती हैं। इसलिए सर्वप्रथम तो शहर का सुनियोजित विकास होना चाहिए।
चौड़ी सड़कों का निर्माण हो तथा क्षेत्र के लोगों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करायी जायें। इसके अलावा क्षेत्र में छात्रों को उच्च शिक्षा मुहैया कराने के लिए नये मेडिकल और टेक्निकल कॉलेज बनाये जाने चाहिए। वहीं प्रशासन को क्षेत्र में बढ़ते अपराधों व महिला सुरक्षा की ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार -
यदि भारत की वर्तमान स्थिति की बात करें तो राजीव रंजन जी के अनुसार इस समय देश का सबसे बड़ा मुद्दा है बढ़ती बेराजगारी। युवाओं को योग्यतानुसार रोजगार नहीं मिल पा रहा, जिस कारण युवा हताश होकर अपराधों में संलग्न हो रहे हैं। वहीं देश का दूसरा बड़ा मुद्दा है आरक्षण। आरक्षण को भले ही पूर्णतः समाप्त न किया जाये प्ररन्तु इसके प्रारूप मे परिवर्तन आवश्यक है। आरक्षण प्राप्त करने वालों को शिक्षा आदि में छूट दी जाये, उनकी आर्थिक सहायता भी की जाए, किन्तु प्रतियोगी परीक्षाओं में से इसे हटाया जाये ताकि सभी को समान मौका मिल सके।
इसके अलावा उनका मानना है कि देश की चुनाव प्रणाली में कई सुधार किये जाने की आवश्यकता है। देश में सिर्फ दो दलीय प्रणाली हो ताकि विचारधाराओं का मतभेद न उत्पन्न हो। बाकी प्रत्याशी निर्दलीय चुनाव जीतने के बाद इनमें से एक को चुनने के लिये स्वतंत्र होगे । वहीं सभी छोटे तथा बड़े स्तर के चुनाव एक साथ करवाये जायें, जिससे चुनावों में कम पैसा खर्च हो और जनता को भी सुविधा हो। इसके अतिरिक्त चुनावों में प्रत्याशियों की न्यूनतम योग्यता भी निर्धारित होनी चाहिए। सिर्फ बाहुबली और धनकुबेर ही चुनावों में न खड़े हों। वहीं जनसंख्या वृद्धि भी देश का एक अहम मुद्दा है, जिस पर लगाम लगाने की आवश्यकता है।
वैश्विक परिदृश्य पर विचार –
वर्तमान के वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए राजीव रंजन तिवारी का कहना है कि भारत एक तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है, जहां जीडीपी और प्रतिव्यक्ति आय तेजी से बढ़ रही है। वहीं हमारे पास पर्याप्त संसाधन व श्रम शक्ति भी उपलब्ध है। इसलिए हमें किसी के पीछे न चलकर गुटनिरपेक्षता का त्याग करते हुए विश्व का नेतृत्व करना चाहिए।
विश्व को ग्लोबल वार्मिंग, आतंकवाद जैसी समस्याओं के प्रति जागरूक कर एकजुट करना चाहिए। वहीं अपनी कृषि सब्सिडी को बढ़ाना चाहिए, जो कि देश के विकास में उपयोगी साबित होगा। हमारी प्राथमिकता राष्ट्रवाद होनी चाहिए, क्योंकि हम आगे तभी बढ़ सकेंगे जब हम राष्ट्रवाद के साथ साथ वसुधैव कुटुम्बकम को स्थान देगें।