नाम : ओम प्रकाश पाण्डेय
पद : प्रदेश संयोजक (उर्जा प्रकोष्ठ) भाजपा, उत्तर प्रदेश
नवप्रवर्तक कोड :
परिचय : एक सफर अभियंता से राजनीतिज्ञ बनने का
जनसेवा की भावना के साथ समाज में सकारात्मक बदलाव के पक्षधर अभियंता ओम प्रकाश पाण्डेय जी उत्तर प्रदेश के उर्जा प्रकोष्ठ में भाजपा से प्रदेश संयोजक के पद पर कार्यरत हैं. छात्र जीवन से ही देश और समाज में व्याप्त असमानताओं को दूर करने की मुहिम में वे सहयोग करते आ रहे हैं. मूल रूप से जौनपुर के रहने वाले पाण्डेय जी वर्तमान में लखनऊ के निवासी हैं. वर्ष 2000 से 2009 तक वे उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम के अंतर्गत अभियंता के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. उर्जा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक के रूप में राज्य एवं केंद्रीय सरकार की उर्जा सम्बन्धी योजनाओं का लाभ जन जन तक पहुंचाने के महत्त्वपूर्ण दायित्त्व का वहन पाण्डेय जी हार्दिक रूप से कर रहे हैं.
राजनीतिक पदार्पण :
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम के अंतर्गत अभियंता पद पर कार्य करते हुए पाण्डेय जी को अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों का भान हुआ. युवावस्था से ही देश में स्वच्छ व कल्याणकारी संस्कृति के निर्माण की जो भावना उनके मन में थी, नौकरी के समय उसे आकार मिला और उन्होंने राजनीति के माध्यम से जनहित का अवलोकन करने की ठान ली. वर्ष 2014 में उन्होंने जनसेवा की भावना से प्रेरित होकर अभियंता पद से त्यागपत्र देकर लखनऊ की विधान परिषद् के स्नातक निर्वाचन क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर राजनीति में पदार्पण किया.
लखनऊ स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के सदस्य के रूप में पाण्डेय जी युवा स्नातकों के समक्ष खड़ी बेरोजगारी की समस्या के खिलाफ मुख्य रूप से खड़े रहे. सरकारी सेवाओं में भ्रष्टाचार की समस्या का विरोध भी उन्होंने जोर-शोर से किया, साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं में गरीब परिवारों के बच्चों के लिए परिवहन माध्यमों में विशेष छूट का प्रावधान लाने की मांग भी उन्होंने की.
राजनीतिक उपलब्धियां :
पाण्डेय जी राजनैतिक क्षेत्र में बेहद सम्मानीय व्यक्तित्व एवं बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं. एक कुशल अभियंता के साथ साथ वे उत्तर प्रदेश के विद्युत अभियंता संघ के महासचिव एवं संगठन सचिव भी रह चुके हैं. समाज निर्माण के कार्यों में योगदान देने हेतु उन्होंने सर्वजन हिताय संरक्षण समिति के राष्ट्रीय संयोजक के रूप में भी कार्य किया. वर्तमान में उर्जा प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक के पद पर वे कुशलतापूर्वक ना केवल अपनी सेवाएं दे रहे हैं, अपितु उत्तर प्रदेश के दूर दराज के कस्बों तक उर्जा उपलब्धता कराने हेतु विभिन्न सुझावों को प्रस्तावित कराने की दिशा में भी सतत प्रयत्नशील हैं.
समाज हित से सरोकार :
समाज कल्याण के निहितार्थ पाण्डेय जी ने आदिवासी क्षेत्रों में बहुत सी योजनाओं पर कार्य किया, जिसमें मुख्यतः पिछड़ी जनजाति के बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराने की सुविधाएं दिलाना रहा. इसके साथ ही उन्होंने हाशिये पर खड़ी जनता की उन्नति और सर्वांगीण विकास के लिए विभिन्न सामाजिक शिविरों का आयोजन भी कराया. निर्धन विद्यार्थियों को उच्च स्तरीय शिक्षा उपलब्ध करवाना पाण्डेय जी के जीवन का प्रमुख ध्येय है, जिस दिशा में वे लम्बे समय से प्रयासरत है.
जल-संरक्षण पर उत्तम विचार :
पाण्डेय जी का मानना रहा है कि जल ही जीवन है, उनके विचार हैं कि नदियों को संरक्षित करने की आज विशेष आवश्यकता है क्योंकि नदियों से ही हमारी संस्कृति जुड़ी है. वर्तमान में सुखा या बाढ़ की स्थिति में व्यक्ति नदियों या बारिश को कोसता दिखता है, परन्तु सत्य यही है कि इस विनाशकारी स्थिति के जिम्मेदार हम खुद है. पाण्डेय जी के अनुसार व्यक्ति ने प्रकृति का अत्याधिक दोहन किया, जिसके परिणामस्वरुप वर्तमान में प्रकृति प्रलयकारी रूप दिखा रही है.
वर्तमान बाढ़ के विषय में उनका कहना है कि आज बारिश का पानी घरों में नहीं भरा
है बल्कि व्यक्ति पानी के मार्ग में आ गया है. नदी, नाले, तालाबों आदि को पाट दिया
गया है, नदियों को दीवारों में कैद कर करके उनके किनारे तक उनसे छीन लिए गये हैं.
पाण्डेय जी के विचारानुसार,
“आपने खुद पानी के घर पर अपना घर बना लिया है तो स्वाभाविक है पानी तो आपके घर आएगा ही.”
पर्यावरण के प्रति गंभीर :
देश को प्लास्टिक मुक्त बनाने की मुहिम को पाण्डेय जी जनजागरण का विषय मानकर
चलते हैं. उनका मानना है कि यदि पर्यावरण को संरक्षित करना है तो आम जनता के
विचारों में परिवर्तन लाना होगा. पाण्डेय जी कहते हैं कि यदि व्यक्ति 250 ग्राम का
मोबाइल फ़ोन या पॉवर बैंक साथ में लेकर चल सकता है, तो एक कपडे या जूट का थैला ले
जाने में कैसी शर्म. उनके अनुसार आज देश में प्लास्टिक पर रोक लगाने की आवश्यकता
सर्वाधिक है, तभी पर्यावरण सुरक्षित रह सकता है.
प्रदेश में उर्जा संकट पर विचार :
पाण्डेय जी के श्ब्दानुसार, उर्जा उपभोग समृधि का एकमात्र मापदंड भले ही नहीं हो परन्तु महत्वपूर्ण मापदंड अवश्य है. कृषि, उद्योग एवं व्यवसाय को गति देने हेतु उर्जा विकास होना नितांत अनिवार्य है, वर्तमान में बिजली की उपलब्धता के अभाव में उद्योगों का पलायन एवं कृषि के समुचित उत्पादन पर प्रभाव पड़ रहा है. प्रदेश में सकल घरेलू उत्पादन में तीव्र वृद्धि के लिए बिजली की आवश्यकता सर्वाधिक है.
उन्होंने प्रदेश में बिजली संकट के प्रमुख कारणों में विद्युत उत्पादन में बढ़ोत्तरी
नहीं होना, अपर्याप्त ट्रांसमिशन व वितरण तंत्र, अल्प पॉवर प्लांट दक्षता, कम
राजस्व वसूली तथा निगमों में काम कर रहे अभियंताओं की भारी कमी आदि को माना है. इन
सभी खामियों को दूर करने हेतु पाण्डेय जी ने बहुत से उपाय भी सुझाएं, जिनमें राज्य
के बिजली घरों का पी.एल.एफ. 63% से बढ़ाकर 77% किया जाना, नए बिजली घरों के निर्माण
कार्यों में तेजी लाना, ग्रिड से जुड़े हुए पारेषण तंत्र को बाहरी राज्यों से बिजली
की सरल उपलब्धता के लिए मजबूत किया जाना इत्यादि हैं. साथ ही वितरण उपकेंद्रों पर
कैपिसटर बैंक लगने से भी गांवों और तहसीलों को 12 घंटे अतिरिक्त बिजली मुहैया
करायी जा सकती है.
भारत से जुड़े मुद्दों पर दृष्टिकोण :
सरकारी तंत्र में फैले भ्रष्टाचार को पाण्डेय जी देश का सबसे बड़ा मुद्दा मानते
हैं, इससे देश के ग्रोथ रेट पर दुष्प्रभाव पड़ता है. केंद्रीय सरकार द्वारा बनी
योजनाओं का लाभ जरुरतमंद जनता तक नहीं पहुंच पाने में भ्रष्टाचार सबसे बड़ी बाधा
है.
साथ ही देश में उचित शिक्षा, स्वास्थ्य एवं पोषण के क्षेत्र में भी विकास कार्य होने की जरूरत बनी हुई है. यद्यपि सरकार बहुत सी परियोजनाओं के जरिये विकास कार्यों को दिशा-निर्देशित कर रही है, परन्तु देहातों में आज भी इन सुविधाओं का अभाव है. चिकित्सा व्यवस्था की उचित व्यवस्था ग्रामों में नहीं होने के कारण बहुत से लोग इलाज के अभाव में दम तोड़ देते हैं. बालिकाओं के इलाज की मुफ्त सुविधाएं आज ग्रामों में होनी बेहद आवश्यक है, क्योंकि ग्राम-कस्बों में आज भी लोग लड़कियों का उचित इलाज़ नहीं करवाते.
पाण्डेय जी के अनुसार आज सरकार जनहित के लिए विभिन्न योजनाओं पर कार्य कर रही है,
जिसके अंतर्गत आवास योजन, बीपीएल कार्ड पर राशन व्यवस्था, चिकित्सकीय बीमा योजना
इत्यादि हैं. देश के हर नागरिक को मूलभूत सुविधाएं मिलनी आवश्यक है, जिससे देश का
विकास सही दिशा में हो.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत :
आर्थिक रूप से भारत की सशक्तता को पाण्डेय जी प्रधान आवश्यकता मानकर चलते हैं, उनके अनुसार वर्तमान में देश की सैन्य क्षमता में विस्तार और अर्थव्यवस्था का विकास होना वैश्विक रूप से भारत की छवि के लिए अनिवार्य है. वे चाहते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की राजनीतिक क्षमता विकसित हो सके और देश वैश्विक पटल पर प्रगतिशीलता की ओर उन्मुख हो सके.