Name- Justice Nirmal Yadav
Designation- Retired Judge High Court, Uttrakhand
Badge number- 71182944
Program associated- Political Innovator
निर्मल जी ने गुड़गांव के सरकारी कालेज से बीएससी उत्तीर्ण किया। इसके बाद उन्होंने पंजाब यूनिर्वसिटी चंड़ीगढ़ से लॉ किया, वहीं से मास्टर ऑफ लॉ किया इसके बाद उन्होंने एक वर्ष तक गेस्ट लैक्चरर के रुप में पंजाब यूनिर्वसिटी चंड़ीगढ़ के लॉ विभाग में काम किया। इसके बाद उन्होंने 1979 से 1986 तक पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में सहयोगी अधिवक्ता में रुप में कार्य किया। यहीं से निर्मल जी का अपना सामाजिक सफर शुरु हुआ। यहां पर उन्होंने लोगों की एक अधिवक्ता के रुप में मदद करने का कार्य किया। इसके बाद 1986 में उनकी जज के रुप में पहली नियुक्ति अंबाला शहर में हुई। 2011 में सेवानिवृत होने के बाद उन्होंने अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए गांव में इंगलिश मीड़ियम स्कूल का निर्माण कराया, जिसमें गांव के गरीब लोगों के बच्चों को इंगलिश मीड़ियम की शिक्षा देने का कार्य वह अपने श्री कृष्ण एजूकेशन स्कूल के माध्यम से कर रही हैं। वहीं साथ ही साथ लोगों को कानूनी सलाह के लिए गांव-गांव में कैम्प लगाकर कानूनी सलाह देने का कार्य भी कर रहीं हैं।
निर्मल जी पर्यावरण व साफ सफाई को लेकर काफी गंभीर हैं, जिसको लेकर वह अपने स्कूल के बच्चों व गांव के लोगों को सफाई व पर्यावरण के लिए जागरुक करने का भी कार्य करती हैं। उनका कहना है कि जब तक हम साफ सफाई नहीं रखेंगें तब तक हमारी आने वाली पीढ़ी स्वस्थ्य नहीं रहेगी और आज पर्यावरण भी समाज के लिए एक अहम मुद्दा है। गुड़गांव को आज मिलेनियम सिटी के नाम से जाना जाता है और पर्यावरण को लेकर यह शहर बिल्कुल महफूज नहीं है। इसको आज हम कैंसर का शहर भी कह सकते हैं।
किसानों को लेकर उन्होंने सरकार को घेरते हुए कहा कि किसानों को अपनी फसल का समर्थन मूल्य नहीं मिल पाता है जबकि सरकार का वादा था कि किसानों को उनकी फसल का समर्थन मूल्य उचित रुप से मिलेगा, जिसको सरकार ने गंभीर रुप से नहीं लिया है। इस पर सरकार को विचार करने की आवश्यकता है। 'स्मौग' को लेकर सरकार ने कहा कि किसानों ने अपने खेतों में पराली जलाई है जिसकी वजह से गुड़गांव में 'स्मौग' की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। सरकार को किसानों को छोड़कर बड़े-बड़े कारखाने वालों को देखना चाहिए ।
सरकार को यातायात की व्यवस्था पर कार्य करने की जरुरत है, उन्होंने सिंगापुर का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां पर सरकार एक परिवार के लोगों को कितनी गाड़ियों के रजिस्ट्रेशनों की अनुमति देता है ऐसे कानून पर कार्य करने की आवश्यकता है। स्वस्थ भारत, स्वस्छ भारत पर उन्होंने कहा कि मंत्री से लेकर संत्री तक सफाई के नाम पर बस फोटो खिंचवाने का कार्य कर रहे हैं ज़मीनी स्तर पर इस तरह का कार्य कोई दिखाई नहीं दे रहा है। सरकार व प्रशासन से सीधे जनता का संबंध होना चाहिए तभी सरकार की नीतियों पर कार्य किया जा सकता है। प्रशासन को ये करना चाहिए कि वह अपने क्षेत्र के गांव में महीने में एक दिन जाकर लोगों से बात करें और परेशानियों को हल कराने का कार्य करें, तभी विकास संभव है। आज हम यह कह सकते हैं कि इंसानों से परिवार बनता है, परिवार से शहर बनता है और शहर से देश बनता है।
गंगा के बारे उन्होंने कहा कि गंगा हमारी मां है, दूसरा पानी तो हमारा जीवन का
अंग है जिसके बिना जीवन संभव नहीं है। पानी इंसान का भौतिक अंश है। सरकारें आती हैं
और जाती हैं मगर इसपर कोई मुकम्बल कार्य को अभी तक अमलीय
जामा नहीं पहनाया जा सका है। सरकार इस ओर ध्यान दे नहीं तो आने वाले दिनों में हम
गंगा के अस्तित्व की लड़ाई लड़ेंगें।