नाम - मोहम्मद मारुफ़
नवप्रवर्तक कोड -71182983
पद - निदेशक , वीर अब्दुल हमीद युवा मण्डल , कानपुर देहात
परिचय -
मोहम्मद मारुफ़ जिन्हें लोग समाजसेवी मोहम्मद मारुफ़ के नाम से भी जानते हैं। बेहद ही गरीब और अशिक्षित परिवार में जन्में मारूफ़ भी आज शायद अशिक्षित होते अगर उनके माता-पिता ने संघर्ष कर उन को शिक्षित बनाने का जज्बा नहीं दिखाया होता। मोहम्मद मारूफ़ ऐसे समाज में पले-बढ़े जहां शिक्षा का बेहद अभाव था । जहाँ शिक्षा के स्थान पर , काम को प्राथमिकता दी जाती थी।
मारूफ़ यह मानते हैं कि उनके माता - पिता ने अगर उन्हें व अपने परिवार को पढ़ाने का साहस नहीं दिखाया होता तो आज वह भी कहीं इसी समाज के बीच में खो जाते। वह आज ना सिर्फ एक शिक्षित है बल्कि खुद अपने पैरों पर भी खड़े हैं। उन्होंने एमए, बीएड और जर्नलिज्म की पढ़ाई की है। इनकी इस शिक्षा के पीछे उनकी बहन खुशनुमा बेगम ने का अहम् योगदान दिया है| उन्होंने न सिर्फ खुद को शिक्षित किया बल्कि अब वह खुद का एक संस्थान चला रहे हैं जिसका नाम मदरसा निजामियां पब्लिक स्कूल है जो सिकंदरा कानपुर देहात में स्थित है। यहां अनेकों बच्चे जो अपने आप को शिक्षित करने का ख्वाब संजोते हैं उन्हें वह मौका प्रदान कराते है। मारूफ़ जी शिक्षा विभाग में ब्लाक समन्वयक का कार्य करने के साथ -साथ एक समाजसेवक के रूप में अहम् भूमिका निभा रहे हैं।
मारूफ़ जी का मानना है कि मुस्लिम समाज शिक्षा में पीछे है। जिसको देखते हुए उन्होंने हाईस्कूल तक मान्यता प्राप्त विद्यालय की स्थापना की जिसमें लगभग 450 बच्चे पढ़ते हैं, वर्तमान में जिसका वे संचालन कर रहे हैं।
इनके विचार -
मारूफ़ जी के अनुसार वे जज्बाती इंसान
हैं। मारूफ जी ने जिस गरीबी का सामना किया है वह बेहद कष्टकारी था। शायद यही इसका प्रमुख कारण है कि आज वह समाज में रोशनी फ़ैलाने
का कार्य
कर
रहे हैं। इनके अनुसार भारत को अगर प्रगति के पथ पर अग्रसर होना है तो इसके लिए नींव से परिवर्तन किये जाने की आवश्यकता है। उनका मानना है कि हमें टेक्नोलॉजी के प्रति कार्य करना
होगा।
भविष्य की परियोजना -
उनकी चाहत है कि समाज की कुरीतियों को दूर करके समाज को शिक्षित किया जाये। वह लोगों तक स्नेह और प्रेम की परिभाषा पहुँचाना चाहते हैं। उनकी चाहत है कि प्रदूषण जो कि सभी के लिए घातक है उसको दूर करने के लिए सभी को मिलकर काम करना चाहिए। उनका मानना है कि देश के हर नागरिक को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वयं को स्वच्छ रखना जरूरी है ।
बाधाएँ -
भाई, परिवार व समाज के द्वारा पग पग पर मारूफ़ जी को कठिनाइयां मिलती रहीं हैं, इतनी कठिनाइयों के बावजूद मारूफ़ जी ने हार नहीं मानी और विपरीत परिस्तिथियों में भी संस्था का सुचारू रूप से संचालन करते रहे हैं। इसमें उनके भाइयों ने भी उनकी मदद नहीं की मगर समाज के लिए कुछ करने के जज्बे ने उनके अंदर का विश्वास सदा कायम रखा।
नीति परिवर्तन -
मारूफ़ जी का मनना है कि हमारे देश में खामियाँ हैं, जिन्हें हम सबको मिल कर ही दूर करना होगा। सरकरी अध्यापकों को बच्चों को पढाने का जो वेतन मिलता है उस हिसाब से वे काम नहीं करते हैं। जैसे शरीर में खून जरुरी है वैसे ही समाज में सकारात्मक शिक्षा की भी आवश्यकता है ।
समाजिक परिवर्तन -
महिलाओं और पुरुषों में
समानता होनी
चाहिए। हमारे
देश को सकारात्मक मानसिकता और सही सोच, अच्छे समाज
की आवश्यकता है। मारुफ़
जी का यह भी मानना है कि कोई भी कार्य भेदभाव
से नहीं
होना चाहिए। जाति व धर्म के नज़रिए से कार्य करने की नीति को
बंद करना
होगा।