नाम : लता तिवारी
पद : समाज सेविका, कानपुर देहात
नवप्रवर्तक कोड :
वेबसाइट - http://shrimatijaishridevisamiti.in/
जीवन – परिचय :
समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने में अग्रणी एवं महिला उत्थान के माध्यम से सामाजिक अगुवाई की प्रवक्ता लता तिवारी जी मूल रूप से कानपुर देहात के झींझक नगर पालिका क्षेत्र की रहने वाली हैं. बाल्यकाल से ही नेतृत्त्व क्षमता में माहिर लता जी सदैव जनहित कार्यों में आगे रहती थी तथा विद्यार्थी जीवन से ही उनकी रूचि सामाजिक एवं शिक्षा से जुड़े विकास कार्यों में रहती थी.
ग्रामीण परिवेश होने के कारण मात्र 15 वर्ष की आयु में लता जी का विवाह कर
दिया गया था, परन्तु उसके उपरांत भी उन्होंने पढाई नहीं छोड़ी. गृहणी के तौर पर
घर-परिवार की जिम्मेदारी उठाते हुए, उन्होंने स्नातक तक शिक्षा प्राप्त की तथा जन
कल्याण के मार्ग पर सतत चलती रही. वर्तमान में लता जी “जय श्री देवी समिति तथा
भारतीय महिला उत्थान समिति” नामक संगठनों के माध्यम से समाज निर्माण की और
उन्मुख हैं.
सामाजिक सरोकार :
वर्ष 1996 में लता जी ने सामाजिक कार्यों में भागीदारी प्रारंभ कर दी थी.
उन्होंने सर्वप्रथम कांग्रेस पार्टी के अंतर्गत कार्यकारिणी सदस्य के तौर पर कार्य
किया, परन्तु राजनीतिक क्षेत्र में मन नहीं रमने के कारण वे पूरी तरह से सामाजिक
क्रियाकलापों में लिप्त हो गयी. लता जी ने अपने आस पास के बस्ती क्षेत्र का निरीक्षण
करने पर पाया कि देहात में अधिकतर बच्चे विभिन्न कारणों से अशिक्षित हैं अथवा केवल
प्राथमिक शिक्षा ही प्राप्त कर पाते हैं.
इसके अतिरिक्त महिलाओं के विकास के लिए भी लता जी ने बढ़ चढ़कर कार्य किया. उनकी
मूलभूत समस्याओं को उचित प्रकार से समझा और निदान खोजने का केवल प्रयत्न ही नहीं
अपितु धरातलीय स्तर पर पर्याप्त कार्यवाही भी की. युवा पीढ़ी को नशा-मुक्त करने की
दिशा में भी अथक कार्य लता जी के संगठनों के जरिये किए गये.
संगठन – परिचय, मिशन एवं विज़न :
जय श्री देवी
समिति के
जरिये लता जी विभिन्न आयामों के द्वारा जरुरतमंदों की सहायता की. समिति के तत्वाधान
में चिकित्सकीय सुविधाओं का संचालन किया जाता रहता है, जिसमें नेत्र शिविर, डॉक्टर
की सलाह से मुफ्त दवाइयां, घर घर जाकर स्वास्थ्य सुविधाएं भी मुहैया करायी जाती
है. साथ ही संगठन में लघु उद्योगों (जैसे अचार, अगरबत्ती, थैले इत्यादि) के माध्यम
से बेरोजगार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का कार्य भी किया जाता है. घरेलू हिंसा व
लड़ाई झगड़ों को रोकने के लिए भी समिति से जुड़ी महिलाएं स्वयं ही प्रयासरत रहती हैं
तथा महिलाओं को हर प्रकार से स्वावलम्बी बनाने का कार्य किया जाता है.
भारतीय महिला उत्थान समिति के जरिये विशेष रूप से शिक्षा पर बल दिया जाता है. इसके लिए संस्था द्वारा रिटायर्ड अध्यापकों की सेवाएं ली जाती है, जिससे निर्धन छात्रों को शिक्षा भी मिले और अध्यापन कार्य कर रहे रिटायर्ड शिक्षकों को आत्म-संतुष्टि भी प्राप्त हो सके. अशिक्षित महिलाओं को उनके अधिकारों से जुड़े कानून की सही और सटीक जानकारी दी जाती है. दहेज़-उत्पीडन तथा घरेलू हिंसा के मामलों में प्रशासनिक सेवाओं के द्वारा महिलाओं की मदद की जाती है. समिति में अंतर्गत कन्या भ्रूण हत्या की दिशा में भी सुधार कार्य किया जाता है.
लता जी के संगठनों का प्रमुख ध्येय समाज को विशेषत: महिला वर्ग को जागरूक करना है, जिससे महिलाएं भली प्रकार अपने अधिकारों को जान सके और अपने बच्चों को सुशिक्षित व सुसंस्कृत बनाकर देश के उज्जवल भविष्य के निर्माण में योगदान दे सके. साथ ही गरीब जनता की सहायता करने उनका संगठन सदैव तत्पर रहता है, क्योंकि उनका मानना है कि मध्यमवर्ग को जीविका के काम से ही फुर्सत नहीं मिलती और उच्चवर्ग को किसी और के बारे में सोचने की जरूरत ही नहीं होती, परिणामस्वरूप कोई भी निर्धन वर्ग की तकलीफों को नहीं समझ पाता.
लता जी चाहती हैं
कि देश और समाज को आगे बढ़ाने हेतु आवश्यक है कि उद्यमी वर्ग स्वेच्छा से समाज सेवा
के क्षेत्र में अग्रणी हो, साथ ही जो भी संगठन सामाजिक सरोकार से जुड़े हैं, वे
वास्तविक विकास की मंशा से कार्य करें, न कि निजहित के लिए.
सम्पन्न विकास कार्य :
लता जी संगठन के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का कार्य बखूबी कर रही हैं, वे खुद विभिन्न वस्तुओं के निर्माण का कौशल प्रशिक्षण लेकर अन्य महिलाओं को प्रशिक्षित करती हैं. प्रतिवर्ष बहुत सी निर्धन कन्याओं का विवाह संगठन के माध्यम से कराया जाता है और उन्हें गृहस्थी सम्बन्धी सामान भी भेंट किया जाता है.
साथ ही हर वर्ष धार्मिक अनुष्ठान भी कराये जाते हैं तथा सांस्कृतिक कार्यों के
जरिये बच्चों में भारतीय मूल्यों की प्रतिष्ठा भी की जाती है. लता जी ने नगरपालिका के चेयरमैन संतोष तिवारी जी के साथ मिलकर अब तक 1000 आवासों का निर्माण
करवा चुकी हैं, जिनका आबंटन अभी शेष है.
सामाजिक कार्यों में बाधाएं :
सामाजिक कार्यों
में संघर्षों को लता जी स्वाभाविक मानकर चलती हैं, उनके अनुसार समाज निर्माण के
कार्यों में आर्थिक और सरकारी बाधाएं तो आम है. अक्सर महिला कार्यकर्ताओं को
पारिवारिक समर्थन नहीं मिल पाना सबसे बड़ी समस्या है, इसके अतिरिक्त महिलाओं को
अकेले अपने बलबूते पर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. समाज के अराजक
तत्वों से बिना डरे, निर्भीक रूप से अपना कार्य करते रहना चाहिए, यह प्रेरणा लता
जी महिलाओं को देती रहती हैं. प्रशासनिक विरोध भी सामाजिक कार्यों में सबसे बड़ी समस्या
है, जिससे अक्सर संगठनों की क्रियाशीलता प्रभावित होती है.
नीति परिवर्तन की विचारधारा :
नीति परिवर्तन के
संबंध में लता जी उच्च स्तरीय शिक्षा को भारतीय समाज की सबसे बड़ी आवश्यकता मानती
हैं. वर्तमान में पिछड़े क्षेत्रों में शिक्षा के विकसित मानकों की प्रतिष्ठा होनी
बेहद जरूरी है, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के चलते सभी राजनैतिक दल अपना ही लाभ देख
रहे हैं. शिक्षा के क्षेत्र में सरकार को कठोर नियम बनाने चाहिए तथा शिक्षकों से
सम्पूर्ण कक्षा के प्रदर्शन की जिम्मेदारी का हिसाब सख्त रूप से लेना चाहिए. शिक्षा,
स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं विकास के क्षेत्र में नीतिगत बदलाव वर्तमान समय की मांग
है.
सामाजिक परिवर्तन की अवधारणा :
जनता के विचारों
में सकारात्मक परिवर्तन आने जरूरी हैं, क्योंकि आज लोग अपनी संस्कृति को बिसराकर
पाश्चात्य संस्कृति की ओर रुख कर रहे हैं. सामाजिक बदलाव जनजागरण के माध्यम से
संभव हो सकता है, लता जी के अनुसार लड़कियों को समाज में बराबरी का दर्जा प्राप्त
होना चाहिए. शिक्षा और विकास के स्तर पर देश में समानता होनी अति आवश्यक है, जो
लोगों के सचेत होने पर ही संभव है.
भविष्यगत योजनाएं
:
लता जी कुछ योजनाओं के माध्यम से भविष्य में समाज की बेहतरी का कार्य करना चाहती हैं, जिनमें ग्रामों में स्वच्छता हेतु शौचालयों का निर्माण करवाना है, जिससे महिलाएं सामाजिक रूप से सशक्त बन सके. आगामी समय में महिलाओं को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने हेतु और अधिक लघु उद्योगों की स्थापना वे करना चाहती हैं.
इसके अतिरिक्त
लता जी का कहना है कि अधिक वेतन की चाह में युवा अपने देश के प्रति विमुख होकर
अपने नैतिक कर्तव्यों से भाग रहे हैं, आने वाले समय में लता जी युवाओं को भी इस
दिशा की ओर जागृत करना चाहती हैं, जिससे वे समाज के लिए अपने उत्तरदायित्वों को
समझकर विकास कार्यों में योगदान अंकित करा सकें.