नाम : जयवीर सिंह
पद : निदेशक (निर्माण सेवा
संस्थान), कानपुर
नवप्रवर्तक कोड :
जीवन – परिचय :
समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने
में अग्रणी एवं समाज की अगुवाई के प्रवक्ता जयवीर सिंह जी निर्माण सेवा
संस्थान के सचिव/ निदेशक के रूप में कानपुर, उत्तर प्रदेश में
कार्यरत हैं. बीएससी एवं एलएलबी की मानद डिग्री प्राप्त जयवीर जी शिक्षा के समय से
ही समाज सेवा के कार्यों में आगे रहे हैं. वर्ष 1974 में जयप्रकाश जी के आन्दोलन
में जुड़कर डीएवी कॉलेज, कानपुर से सामाजिक हित की लडाई लड़ी.
पिछले 20 वर्षों से जयवीर जी
कानपुर नगर न्यायालय में प्रैक्टिस कर समाज सुधार कार्यों में दक्षता से कार्य कर
रहे हैं. अपने छात्र जीवन में ही समाज सुधार के लिए बहुत से जिलों का दौरा जयवीर
जी ने किया, साथ ही 8 अप्रैल को बिहार में जेपी जी के जन आंदोलन में भी सक्रिय
रहे. यूथ फॉर डेमोक्रेसी के संस्थापक सदस्य के रूप में वे क्रांतिकारी आंदोलनों
में सहभागीदारी कर चुके हैं.
निर्माण सेवा संस्थान – एक परिचय :
बहुत से सामाजिक कार्यकर्ताओं के
संयुक्त प्रयास से समाज निर्माण के निहितार्थ जयवीर जी के द्वारा वर्ष 1992 में
निर्माण सेवा संस्थान का गठन किया गया. वर्ष 1995 में कानपुर में इस संस्थान का
औपचारिक रजिस्ट्रेशन कराया गया, जिसके उपरांत से ही यह संस्था समाज के वंचित
वर्गों एवं सामान्य जनता की जागरूकता को लेकर विभिन्न अभियानों के माध्यम से जन
हित का बिगुल बजा रही है.
वर्तमान में निर्माण सेवा संस्थान अपनी रणनीतिक योजनाओं और देश भर में विशेषज्ञों और सलाहकारों से प्रभावी संबंधों के साथ उत्तर प्रदेश में सबसे सुव्यवस्थित गैर-सरकारी संगठनों में से एक होकर कार्यरत है. संस्था की उपलब्धियों को विभिन्न प्रमुख एजेंसियों द्वारा सराहा और विधिवत मान्यता प्राप्त कर प्रतिबिंबित किया जाता है.
निर्माण सेवा संस्थान को इलाहाबाद और बरेली में कुष्ठ रोगियों की कॉलोनियों के लिए आजीविका के क्षेत्र में कल्याण कार्य करने के लिए सासाकावा इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशन की ओर से वर्ष 2011 एवं 2013 में राइजिंग डिग्निटी अवार्ड द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है.
संगठन के मिशन एवं विज़न :
निर्माण सेवा
संस्थान के द्वारा जयवीर जी एक ऐसे समाज का निर्माण होते देखना चाहते हैं, जिसके
माध्यम से समाज में हाशिये पर खड़े लोगों को मुख्यधारा में लाना उनका प्रमुख ध्येय
है. इसके अतिरिक्त वंचित व शोषित वर्गों को मौजूदा प्रावधानों का लाभ दिलवाना है,
साथ ही संविधान की प्रस्तावना के अनुसार उन्हें सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक समता
एवं न्याय दिलवाना संस्थान के मुख्य सिद्धांतों में सम्मिलित है.
इसके साथ ही
संगठन के उद्देश्यों में सामान्य जनता को आजीविका, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता
आदि से जुड़े मौलिक अधिकारों के प्रति जागरूक करना शामिल है. उनका मानना है कि सरकारी
विकास कार्यों में पारदर्शिता हो और उनमें सामाजिक समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित
करने पर जोर दिया जाये.
सम्पन्न विकास
कार्य :
जयवीर जी के
संगठन के माध्यम से प्रारम्भ में आजीविका के क्षेत्र में अभियान चलाए गये. साथ ही
पेयजल, स्वच्छता, स्थानीय स्वशासन के सशक्तिकरण की दिशा में बहुत से कार्य किये
गये. इसी श्रृंखला में बिल एंड मेलिंडा फाउंडेशन की सहायता से एवं ट्रांसपोर्ट ऑफ
इंडिया के संचालन के अंतर्गत एनएच2 व कानपुर के ट्रक ड्राइवरों को एचआईवी/एड्स से
सुरक्षा प्रदान करने हेतु जागरूकता अभियान “कवच प्रोजेक्ट” वर्ष 2005-12 तक चलाया गया.
वर्ष 2002-08
की समय अंतराल में डीएफआईडी, यूके अभियान के तत्त्वाधान में ग्राम पंचायतों के सशक्तिकरण के लिए कार्यक्रम चलाए गये, साथ ही इसके अंतर्गत ग्रामों में महिलाओं की
शिक्षा एवं कंप्यूटर साक्षरता मुहिम चलाई गयी, जिसे “ताराक्षर अभियान” का नाम दिया गया. टीबी जैसी संक्रमित बीमारी के
प्रति जनता को जागरूक करने हेतु ममता एचआईएमसी की सहायता से स्वास्थ्य कार्यक्रम भी संस्था द्वारा चलाए गये.
वर्तमान में "100 प्रतिशत उत्तर प्रदेश कैंपेन" के द्वारा चल रहे क्लीन एयर मिशन में सहभागीदारी के जरिये संस्थान राज्य स्तर पर वायु
प्रदूषण को 32 से 35 प्रतिशत कम करने हेतु मुहिम चलाए हुए है. इसके अंतर्गत
वाहनों, थर्मल पावर स्टेशन, औद्योगिक एवं घरेलू अपशिष्ट को जलाने से हुए वायु प्रदूषण
के लिए सरकार से ठोस नियम- कानून बनाने की मांग रखी जाती है. कैंपेन के माध्यम से कानपुर में विभिन्न जिलों के अंतर्गत डिस्ट्रिक्ट फोरम की स्थापना की गयी
लगभग 54 जिलों
में संस्था द्वारा एयर क्वालिटी इंडिकेटर भी स्थापित किये गये हैं, जिनसे प्राप्त
किये गये आंकड़ों को एकत्रित करके संबंधित विभाग को ज्ञापन सौंपा जाता है. विभिन्न
उपागमों के माध्यम से ना केवल जनता को जागरूक किया जाता है, अपितु मोनिटरिंग
सेंटरों के जरिये सरकार के कानों तक अपनी बात को पहुंचाया जाता है. क्लीन एयर
अभियान के संदर्भ में 50 से अधिक जिलों में “क्लाइमेट एजेंडा” के माध्यम से अभियान चलाए जा रहे हैं.
वर्ष 2011 से
असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए उनके अधिकारों की पैरवी का कार्य संस्थान के
अंतर्गत किया जा रहा है, घरेलू कामगार महिलाओं के लिए पृथक कानूनों का निर्माण
करने पर विचार उत्तर प्रदेश स्तर पर किये जा रहे हैं. इसके लिए “असंगठित कामगार अधिकार मंच” के माध्यम से मजदूरों के लिए कार्य अभियान चलाए जा
रहे हैं. भवन निर्माण श्रमिकों से जुड़े कानूनों का सरलीकरण भी इस अभियान के
अंतर्गत किया गया, साथ ही रजिस्ट्रेशन सम्बन्धी नियमों में सकारात्मक बदलाव भी
लाये गये.
सामाजिक
कार्यों में बाधाएं :
जयवीर जी के अनुसार
सरकार और समुदायों की जटिल मानसिकता सामाजिक कार्यों में सबसे बड़ी बाधा होती है. सरकार अपने
जटिल नियम- कायदों से इस प्रकार का माहौल सृजित कर देती है कि आम व्यक्ति सामाजिक
संस्थाओं की कार्यप्रणाली से विश्वास खोने लगता है. साथ ही सामुदायिक पुरुषार्थ से
होने वाले कार्य अब आश्रित निज स्वभाव में परिवर्तित होने लगे हैं, जो समाज
निर्माण के कार्यों को अवरुद्ध करते हैं.
नीति- परिवर्तन
की विचारधारा :
सोसाइटी
रजिस्ट्रेशन कानून के अंतर्गत एक बड़े स्तर पर हर क्षेत्र की संस्थाओं को शामिल कर
लिया जाता है, जबकि सामाजिक विकास से जुड़ी संस्थाओं के लिए पृथक रजिस्ट्रेशन का
प्रावधान होना चाहिए. इसी के चलते जयवीर जी का मानना है कि विकास कार्यों में
संलग्न संस्थाओं के लिए पृथक बोर्ड, पृथक कायदे- कानून आदि रखे जाए.
इसके अतिरिक्त
जयवीर जी का कहना है कि एफसीआरए की कार्यप्रणाली की जटिलताओं को भी सरलीकृत किया
जाना जरूरी है. साथ ही कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी (सीएसआर) से जुड़े प्रॉफिट टैक्स का उपयोग सरकारी परियोजनाओं
के स्थान पर कल्याणकारी योजनाओं, समाज की सेवा में लगे संगठनों के लिए किया जाना
चाहिए. इस टैक्स को सरकारी धन समझने की मनोवृति ने सामाजिक कार्यों की मेरुदंड पर
प्रहार किया है, जिसमें बदलाव समसामायिक मांग बनी हुई है.
सामाजिक-
परिवर्तन की अवधारणा :
जयवीर जी के कथनानुसार आज समाज को मजहब के नाम पर तोड़ दिया गया है, जिससे मानवता दम तोड़ रही है. वर्तमान में विकास विरोधी वातावरण तैयार किया जा रहा है, जिसके कारण व्यक्ति संप्रदायिकता के पुतले में बदल चुका है. राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए उत्त्पन्न इस खतरे से समाज और देश आज पिछड़ रहे हैं, जिसमें नव परिवर्तन केवल समाज में यथायोग्य संयुक्त प्रयासों के द्वारा ही आ सकता है.