फैजल खान मुख्य तौर पर समाज सेवा और राजनीति से जुड़े हुए हैं. छात्र जीवन से ही यह राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने लगे थे. राजनीति में उनका प्रवेश सीपीआईएम की छात्र इकाई स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया के साथ हुई थी. तब से वह सीपीआईएम से जुड़े हुए हैं.
बेगूसराय के मूलनिवासी फैजल खान बेहद गरीब परिवार से हैं. परिवार में छह भाई, दो बहनें और माता-पिता को मिलाकर कुल 10 लोग हैं और सिर्फ एक जन ही कमाने वाला. ऐसी स्थिति में उनका पूरा बचपन गरीबी में ही बीता. उसी दौरान उन्होंने गांव में ही सीपीआईएम का नाम सुना और उस पार्टी को समझने की कोशिश की. वह कहते हैं कि सीपीआईएम गरीबों की पार्टी है. जिन्हें कोई नहीं पूछता सीपीआईएम उसे पूछती है. उनके हितों की बात करती है. यह पार्टी मजदूरों की आवाज है.
दिल्ली विश्वविद्यालय के मोतीलाल नेहरू कॉलेज से पढ़ें फैजल उसी दौरान एसएफआई से जुड़े और तभी से छात्र संघर्ष के लिए काम करते आए हैं. उन्होंने जीवन में शिक्षा पाने के लिए जो संघर्ष किया दूसरे किसी के साथ ऐसा ना हो उसके लिए वह लगातार प्रयासरत है. यही नहीं अपने जीवन में जिस तरह से उन्होंने गरीबी देखी, जिस तरह के हालात का उन्हें सामना करना पड़ा है वैसे हालात दूसरे को ना देखने पड़े उसके लिए वह हमेशा दूसरों की मदद करने की कोशिश करते हैं.
यह महज इत्तेफाक था कि उन्हें दिल्ली आने का मौका मिला. उनके बड़े भाई किसी तरह दिल्ली आए और जूते का बिजनेस करने लगे. बिजनेस थोड़ा बहुत चला तो उन्होंने अपने भाई फैजल को भी अपने पास बुला लिया. यहां फैजल ने खुद भी काम किया और साथ ही साथ दूसरे लोगों की मदद भी की. पहचान पत्र से लेकर पेंशन दिलवाने तक उनसे जहां तक भी हो सका उन्होंने हमेशा दूसरे लोगों की मदद की मगर खुद अपनी मदद नहीं कर पाए, आर्थिक हालातों के कारण उन्हें बीच में ही अपनी शिक्षा छोड़नी पड़ी.
यह उनके जीवन का काफी मुश्किल दौर था इसके बावजूद वह हताश नहीं हुए. अपने भाई के साथ वह लगे रहे. साथ ही सीपीआईएम में भी उनकी सक्रियता जारी रही और कार्यकर्ता के तौर पर अपना काम जारी रखा. शायद यही कारण है कि आज वह एमसीडी का चुनाव लड़ रहे हैं. फैजल, सागरपुर 31(एस) से सीपीआईएम के एमसीडी उम्मीदवार हैं. उन्होंने जिस तरह से गरीबी देखी और उसका सामना किया शायद यही कारण है कि एमसीडी में उनके जो मुद्दे हैं वह भी इसी से जुड़े हुए हैं. उनका मानना है की राशन कार्ड और वृद्धा पेंशन को लेकर काफी ज्यादा भ्रष्टाचार है और इससे सबसे ज्यादा पीड़ित गरीब लोग ही है सो उनकी प्राथमिकता इस दिशा में काम करने की होगी. साथी उनका मानना है कि जिस तरह से दिल्ली में गंदगी फैली हुई है उससे काफी बीमारियां फैलती है जिसका सीधा नुकसान गरीबों को झेलना पड़ता है, क्योंकि बीमारी में अपने इलाज करवाने के लिये उनके पास ना तो साधन होते हैं ना पैसे.
शिक्षा को लेकर उनका स्पष्ट सोच है. वह सभी के लिए शिक्षा एक समान चाहते हैं. उनका मानना है कि जिस तरह से इंदिरा गांधी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था शिक्षा का भी राष्ट्रीयकरण किया जाना चाहिए. सभी को एक जैसी शिक्षा मिलनी चाहिए अलग-अलग तरह की शिक्षा लोगों में असामानता लाती है लोगों में भेदभाव पैदा करती है. जब इंसान का जन्म एक जैसे रूप में होता है तो शिक्षा भी सभी को एक जैसी मिलनी चाहिए. फैज़ल के हालात भले ही कैसे भी रहें मगर आज उनके हौसले और उनके जज्बे में उन्हें समाज में एक अलग पहचान दी है. आसपास के लोग उन्हें बखूबी जानते हैं. उनके समाज सेवा के भाव ने अपने इलाके में उन्हें लोकप्रिय बना दिया है. शायद यही कारण है कि आज वह एमसीडी का चुनाव तक लड़ रहे हैं.
फैजल खान एमसीडी में सागरपुर से उम्मीदवार हैं. ऐसे में हमने फैजल खान से बातचीत की और जानना चाहा कि समाज को किस तरह से समझते और देखते हैं. हमने उनका साक्षात्कार किया जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा, राजनीति, अर्थव्यवस्था आदि पर कई प्रश्न किए साथ ही हमने जनमेला की अवधारणा के तहत चुनाव सुधार के बारे में भी उनसे बात की. कैमरे के सामने झिझक रहे फैजल धीरे-धीरे सहज हुए और उन्होंने हमारे सभी प्रश्नों का जवाब बड़े ही धैर्य के साथ दिया. आइए देखते हैं चुनाव सुधार और सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों पर उनके जवाब :
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