नाम - डॉ प्रमोद कुमार पाण्डेय
नवप्रवर्तक कोड – 71183020
पद – मुख्य संगठक, उ.प्र. कांग्रेस सेवादल , लखनऊ
परिचय
डॉ प्रमोद कुमार पाण्डेय जी का जन्म वाराणसी जिले में हुआ तथा उनकी प्रारंभिक शिक्षा वाराणसी से सम्पन्न हुई. प्रमोद जी कांग्रेस पार्टी में मुख्य संगठन कार्यकर्ता के रूप में उत्तर प्रदेश में कार्यरत हैं. बनारस से इण्टर करने के बाद उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और पोस्टग्रेजुएशन किया. इसके बाद उन्होंने महात्मा गांधी विकास विद्यापीठ से हिस्ट्री में एमए और बौद्ध धर्म के विषय मे पीएचडी की. प्रमोद जी का गाँव वाराणसी से 30-35 किलोमीटर दूर ही है. अपने परिवार का खर्च उठाने के लिए वें कुछ व्यवसाय भी करते हैं. डॉ प्रमोद अत्यंत विद्वान एवं लोगों के प्रति समर्पण की भावना रखने वाले व्यक्ति हैं.
राजनैतिक सफ़र की शुरूआत
वर्ष 1994 में कुरुक्षेत्र में राष्ट्रीय शिक्षा शिविर के आयोजन में प्रतिभागी होकर जब वे वापस बनारस आये तो राजनीति में उनके लिए पदार्पण का मार्ग खुल चुका था. 26 अक्टूबर 1994 में कांग्रेस के सेवा अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला. इसके बाद बनारस में ही शहर कांग्रेस कमेटी में समाजसेवा का कार्य किया तथा प्रदेश सेवादल के पदाधिकारी भी रहे. वर्ष 2003 में राष्ट्रीय संगठन मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला. कर्नाटक, केरल, हिमाचल, बिहार में भी दल के इंचार्ज रहे. 2015 के बाद उत्तर प्रदेश में बतौर मुख्य सेवा संगठन मंत्री के रूप में कार्य किया. कांग्रेसी विचारधारा से अति प्रभावित पाण्डेय जी राजनीति को समाजसेवा का उचित माध्यम मानते हैं. पार्टी की त्याग, समर्पण व निष्ठा की नीति को वे अपने जीवन में भी धारण करके चलते हैं.
समाज कल्याण की दिशा में कार्य
डॉ प्रमोद का मानना है कि राजनीति के कार्य कभी पूर्ण नहीं होते, यह एक सतत प्रक्रिया है जो शाश्वत रूप से चलती रहती है. राजनीति के कार्य में निरंतर परिवर्तन होता रहता है तथा राजनीति एवं समाजसेवा के पथ पर चलना किसी चुनौती से कम नहीं होता.
जम्मू–कश्मीर में भूकंप आने पर अखिल कांग्रेस दल ने बचाव कार्य के लिए के लिए कैम्प लगाए थे, रशद सामग्री पहुंचाई गयी. डॉ प्रमोद का कहना है कि जब जरुरतमन्द आंखे आपको देखती हैं और आशा करती हैं कि कुछ खाने को मिले और रहने को एक आशियाना मिल जाये, उस वक्त लोगों की सहायता करके अत्यंत सुकून का अनुभव होता है. उड़ीसा में साइक्लोन के वक्त पानी में बहती लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर उनको सम्मान पहुँचाने का कार्य भी उन्होंने किया. गोरखपुर में आई बाढ़ में भी घर टापू के रूप में परिवर्तित हो चुके थे, वहां भी नाव से खाद्य सामग्री पहुँचाने का पूर्ण प्रयास किया.
राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार
डॉ प्रमोद के अनुसार शिक्षा, स्वास्थ, रोज़गार, विदेशी नीति, सुरक्षा व्यवस्था ही राष्ट्र के प्रमुख मुद्दें हैं. शिक्षा के क्षेत्र में सुधार हुआ है, परन्तु आदिवासी क्षेत्रों में अभी भी परिवर्तन की आवश्यकता है. स्वास्थ के प्रति लोगों में अभी भी अंधविश्वास है, गांवों में आज भी लोग झाड़-फूंक में विश्वास रखते हैं. आज हर नौजवान साक्षर तो है लेकिन उसके अनुसार उसे नौकरी नहीं मिल रही है. सुरक्षा के मुद्दे को लेकर भी देश के सामने कई चुनौतियां हैं. आज श्री लंका, बर्मा, नेपाल, चीन ये सभी पड़ोसी देश हमारे सहयोग में नहीं है क्योंकि विदेश नीति कार्य नहीं कर रही है. वहीं सरकार द्वारा नॉर्थईस्ट में जवानों के हौसले को तोड़ने का कार्य किया गया जब वें -40℃ पर तैनात रह कर देश की रक्षा करते हैं.
वैश्विक स्तर पर भारत
डॉ प्रमोद के अनुसार हिंदुस्तान जैसी मेधा शक्ति विश्व में कहीं नहीं पाई जाती है. यदि हम अपनी बात और विचारों पर अटल रहेंगे तो विश्वमंच पर रह कर अच्छी प्रगति कर सकेंगे. आज भारत मे बेरोजगारी हो रही है, शक्ति को प्रगति की रफ्तार नहीं मिल पा रही है. उनका मानना है कि वर्तमान सरकार ने नोट बंदी करायी जो कि किसी भी प्रकार से कारगर साबित नहीं हुई तथा जिससे विश्व में हिंदुस्तान की छवि को क्षति पहुंची है.