नाम : डॉ मसूद अहमद
पद : प्रदेश अध्यक्ष, राष्ट्रीय लोक दल
नवप्रवर्तक कोड : 71183044
परिचय :
डॉ मसूद अहमद राजनीतिक पार्टी ‘राष्ट्रीय लोकदल’ के प्रदेश अध्यक्ष हैं एवं उत्तर प्रदेश सरकार में पूर्व शिक्षा मंत्री भी रह चुके हैं. वह एक संपन्न कृषक परिवार से सम्बन्ध रखते हैं तथा उनके पिता जूनियर हाईस्कूल में अध्यापक रहे हैं. उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा गांव से ही पूरी की तथा फिर एम.ए. करने के बाद उन्होंने ‘अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी’ से एम.फिल व पी.एच.डी की. उन्होंने कुछ समय तक शिक्षण कार्य भी किया. इसके बाद 3 मार्च 1983 से उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ तथा तब से वह निरंतर इस क्षेत्र में संघर्षरत हैं.
राजनीतिगत संघर्ष :
1984 में बहुजन समाजवादी
पार्टी के गठन के साथ ही वह इस पार्टी से जुड़े तथा सबसे पहले बहराइच, कैसरगंज से
लोकसभा का चुनाव लड़ा. इसके बाद उन्होंने अन्य भी कई चुनाव लड़े हालांकि उन्हें
उनमें विजय हासिल नहीं हुई, किन्तु वह कभी निराश नहीं हुए. उन्होंने 1985 में टांडा
विधानसभा से, 1991 में खलीलाबाद विधानसभा से चुनाव लड़ा. इसके साथ ही वह
दलितों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों के लिए तथा लोगों में भाईचारे की भावना जगाने के लिए
सदैव कार्य करते रहे हैं.
इसके पश्चात 1993 में फिर उन्होंने टांडा
विधानसभा से चुनाव लड़ा, जिसमें वह 26,000 मतों से जीते तथा प्रदेश सरकार में शिक्षा
मंत्री बनाए गये. शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने बिना किसी भेदभाव के पूरी
ईमानदारी से कार्य किया. इसके बाद बसपा से सम्बन्ध खराब होने के कारण उन्होंने बसपा को छोड़कर अपनी एक अलग राजनीतिक पार्टी ‘राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी’ का
गठन किया, जिसमें उन्होंने 15 वर्षों तक कार्य किया. वें इस पार्टी के एक विधायक व सांसद के रूप में विजयी भी हुए, किन्तु फिर अपने लोगों से धोखा मिलने के कारण उन्होंने यह
पार्टी भी छोड़ दी.
तत्पश्चात डॉ मसूद, मुलायम सिंह यादव
के संपर्क में आये एवं समाजवादी पार्टी से जुड़ गये. मुलायम सिंह यादव ने उन्हें
टांडा से टिकट देने का वादा किया था, जो बाद में पूरा नहीं किया. अतः अपने
स्वाभिमान के लिए उन्होंने सपा को भी छोड़ दिया. फिर उन्हें टांडा विधासभा के लिए
कांग्रेस ने टिकट दिया. इसके बावजूद पार्टी में आंतरिक राजनीति के चलते उन्हें
कांग्रेस से भी दूर होना पड़ा, जिसके बाद वह ‘राष्ट्रीय लोकदल’ में शामिल हुए तथा
तब से पूरी निष्ठा के साथ इस पार्टी के लिए ही कार्य कर रहें हैं.
राजनीति में आने का कारण :
डॉ
मसूद समाज में व्याप्त बेईमानी व भ्रष्टाचार तथा पिछड़े व अल्पसंख्यकों के साथ
होने वाले भेदभाव को देख कर उसे दूर करने के उद्देश्य से राजनीति में आये.
कांशीराम जी की एक पंक्ति ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ ने
उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रोत्साहित किया. डॉ साहब के अनुसार वास्तव में
अपने समुदाय के लोगों को राजनीति तथा शासन में सामान हिस्सेदारी दिलाने के लिए
उन्होंने राजनीति में कदम रखा तथा वह लगातार इस ओर प्रयासरत हैं.
राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार :
डॉ मसूद के अनुसार हमारे देश में समाज के सभी तबकों को सब जगह बराबर
हिस्सेदारी मिलनी चाहिए, तभी समाज में व्याप्त भेदभाव मिट सकेगा और लोगों में
भाईचारे की भावना बढ़ेगी. आज हमारे देश का किसान जो कि कुल आबादी का लगभग 70
प्रतिशत है, वह देश में सबसे ज्यादा गरीब, लाचार व प्रताड़ित है. डॉ साहब का मानना है
कि देश की शासन व्यवस्था की वजह से किसानों की ऐसी स्थिति है, जो सुविधाएं सरकार
शहर में उपलब्ध करा सकती है वह गांव में क्यों नहीं उपलब्ध करा पाती? उनके अनुसार
वह एक ज़मीनी व्यक्ति हैं तथा उन्होंने किसानों व ग्रामीणों के साथ काफी समय व्यतीत
किया है. अतः वह उनकी समस्याओं को करीब से समझते हैं तथा उनकी बेहतरी के लिए
प्रयासरत रहते हैं.
वैश्विक परिदृश्य पर विचार :
वैश्विक परिदृश्य में भारत की स्थिति पर डॉ मसूद का कहना है कि, वर्तमान में भारत
का संविधान व लोकतंत्र खतरे में है. अतः देश में सत्ता पर ऐसे लोग बैठें जिन्हें
संविधान पर विश्वास हो, जो भाईचारे की बात करें व राजनैतिक लाभ के लिये
साम्प्रदायिकता न फैलाए. आज देश में बड़े-छोटे का भेदभाव व्याप्त है तथा सरकार
सिर्फ पूंजीपतियों को पाल रही है व गरीब और गरीब होता चला जा रहा है. राजनीतिक
पार्टियां निजी फायदे के लिए दंगे-फसाद करवाती हैं जोकि काफी दु:खद है. अतः देश
में आपसी भेदभाव तथा बड़े-छोटे की भावना खत्म हो तथा सभी को सामान रूप से आगे
बढ़ाया जाए व सम्मान प्रदान किया जाए, तभी देश तरक्की कर सकेगा.