नाम : दिव्या त्रिपाठी
पद : महिला मोर्चा जिला अध्यक्ष भारतीय जनता पार्टी
नवप्रवर्तक कोड़ : 71190253
वेबसाईट - divyatripathi.in
राजनीतिक-सामाजिक नवप्रवर्तक दिव्या त्रिपाठी उस क्षेत्र का नेतृत्व करने के लिए जानी जाती हैं जहाँ महिलाएं चारदीवारी के अंदर ही रहने के लिए चर्चित हैं। हम बात कर रहे हैं, उत्तरे प्रदेश के बुंदेलखण्ड की, जहां की पारिवारिक व सामाजिक संस्कृति महिलाओं को घर-गृहस्थी में बांधे रखती है और राजनीतिक सामाजिक मोर्चे पर महिलाएं बहुत कम सक्रिय रहती हैं।
लेकिन यह भी दीगर है कि यही बुंदेलखंड भारतीय इतिहास की सबसे महान वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की भी सरजमीं रहा है, जिन्होंने अपनी झांसी की रक्षा के लिए अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिला कर रख दी थी। इसी वीरता भरे जज्बे को आत्मसात करने वाली नेत्री हैं दिव्या त्रिपाठी, जो भाजपा के बैनर तले बुंदेलखंड में महिला नेतृत्व की मिसाल रखकर आगे बढ़ रही हैं और जिनका राजनीतिक-सामाजिक जीवन बुंदेलखंड की लाखों महिलाओं के लिए आदर्श है।
"रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार", "बहादुरी पुरस्कार", "बेटियां अवार्ड" के साथ साथ अन्य पुरस्कारों से सम्मानित दिव्या त्रिपाठी का जीवन गौरान्वित करने वाला है, जिन्होंने एक साधारण से गांव से निकलकर राजनीति की शुरुआत की और स्थानीय जनपद व क्षेत्रीय राजनीति में अपने लिए महत्वपूर्ण स्थान बनाया। आइए उन्हीं से जानते हैं, उनका जीवन परिचय और संघर्ष की कहानी..
1) पाठकों को अपने बारे मे बताएं? आपका संक्षिप्त जीवन परिचय और कार्य का विवरण आप साझा कीजिए।
दिव्या त्रिपाठी : जीवन का प्रथम कार्य होता है शिक्षा प्राप्त करना। चूंकि जीवन कहीं ना कहीं राजनीति में खपना था इसलिए पहले से ही समाजसेवा के क्षेत्र मे कार्य करने के लिए एमए और एमएसडब्ल्यू किया। मैं अगर राजनीतिक क्षेत्र से समाजसेवा नही करती तो किसी सामाजिक संस्था या एनजीओ आदि से जुड़कर महिला हितों के लिए अग्रणी भूमिका निभाने वाले कार्य कर रही होती।
विशेषज्ञता के मामले में मैं यह कह सकती हूँ कि मेरा लोक व्यवहार उत्तम है और मेरी समझ में सफल जीवन और राजनीतिक जीवन मे सबसे आवश्यक लोक व्यवहार ही होता है। बड़ों का सम्मान और छोटों को प्यार देना मेरा स्वभाव है, साथ ही बहनों के साथ घुलमिल कर सामाजिक कार्य करना मुझे बेहद पसंद है।
जैसे मंदाकिनी नदी मे स्वच्छता अभियान चलाया और उसमें युवतियों और महिलाओं का सहयोग मिला, वह चर्चित काम रहा। ग्रामीण महिलाओं से बात कर उनकी पारिवारिक समस्याओं को हल करना दिलचस्प रहा। चूंकि अपने गाँव सिमरिया जगन्नाथ वासी चित्रकूट की प्रधान रही तो ग्रामीण महिलाओं से खूब चर्चा होती रही। गांव के नवयुवक भी अपनी समस्याओं को बताते रहे और इस तरह लगभग 15 वर्ष के सामाजिक राजनीतिक कार्यों का ऐसा अनुभव मिला कि भविष्य में अधिक से अधिक काम करते रहने का मन है।
ग्राम प्रधान रहते हुए मैंने अपने गाँव सिमरिया जगन्नाथ वासी में नशा मुक्ति के लिए कार्य किया। युवाओं को रैलियों, वाल पेंटिंग और नुक्कड नाटक के जरिए प्रेरित किया। महिलाओं को लेकर बेलन मुहिम चलाई, जिसमें शराबी पतियों की बेलन से पिटाई की गई। हमारी यह मुहिम 80% सफल रही और इसका सीधा प्रसारण दूरदर्शन में भी हुआ था।
2) समाज की अगुवाई करना या चुनाव क्यों लड़ना चाहती हैं?
दिव्या त्रिपाठी : जनहित के कार्यों के लिए जितना सेवा भाव जरूरी है उतना ही शक्ति का होना भी जरूरी है। सत्ता की शक्ति जनकल्याण के कार्यों के लिए सबसे अधिक प्रभावशाली है। इसलिए चुनाव लड़ने की इच्छा रहती है। जैसे जब मैं प्रधान बनी फिर मेरी सक्रियता को देखते हुए पुरूष प्रधानों ने भी सहमति से मुझे प्रधान संघ का जिलाध्यक्ष चुना, यह मेरे लिए गौरांवित करने वाला समय रहा जब मैंने गाँव से लेकर जनपद मे सबके लिए आवश्यक कार्य किए।
अफसरों की मदद से गरीब वंचित वर्ग के जो लोग भी अपनी समस्या लेकर आए पद मे रहते हुए कार्य शीघ्रता से हुए। मेरा मानना है कि जब कोई संवैधानिक पद न हो तो सच में काम होना थोड़ा मुश्किल हो जाता है और आवाज भी कम सुनी जाती है। मैंने नौकरी आदि कभी नही की और न कभी सोचा था, शेष जीवन यापन के लिए मेरे पति का व्यवसाय है और खेती किसानी पर निर्भरता शुरूआत से रही है।
मुझे यह विश्वास है कि पुनः चुनाव लड़कर संवैधानिक पद मिलने के बाद मैं जनहित के कार्यों को अधिक प्रभावी तरीके से कर सकूंगी।
3) बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए आपके पाँच मुख्य मुद्दे क्या हैं, जिन पर आप भविष्य में काम करना चाहेंगी?
दिव्या त्रिपाठी : उत्तर प्रदेश के बुंदेलखण्ड भूभाग के मुद्दों से लगभग सभी परिचित हैं। धर्म नगरी चित्रकूट जनपद में भी जनता से जुड़ाव रखने वाले अनेकों मुद्दों पर अभी बहुत काम किया जाना शेष है। यह जनपद माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार का आकांक्षी जनपद है और केन्द्र की मोदी सरकार के मुताबिक भी यह पिछड़ा जनपद है। जिसे अग्रणी जनपद की सूची में ले जाने के बाद उत्तर प्रदेश का सबसे विकसित और खुशहाल जनपद बनाने की मेरी अपनी सोच है, जो अन्य नेतृत्वकर्ता, साथियों के सहयोग से व प्रशासन के कर्मठ, ईमानदार कार्यों की बदौलत हो सकेगा। यहाँ के युवा अपने जनपद मे विकास का माहौल चाहते हैं, रोजगार चाहते हैं और इन्हीं युवाओं की आकांक्षा के अनुरूप मैं काम करूंगी।
वर्तमान समय में चित्रकूट में एक प्रमुख मुद्दा मंदाकिनी नदी का है। पर्यावरण के विशेषज्ञों का मानना है कि मंदाकिनी नदी गर्मी के दिनों में डेड जोन मे आ जाती है। इसलिए मंदाकिनी नदी के मरे हुए स्रोत को जिंदा करना और सिल्ट हटवाकर नदी पुनर्जीवन का प्रयास करना भी जरूरी है ताकि आने वाली पीढ़ियों एवं श्रद्धालुओं को निर्मल अविरल मंदाकिनी हमेशा मिले।
जनपद चित्रकूट के किसान को अभी हर कदम पर सहायता की जरूरत है। यहाँ का किसान जागरूक बने और समृद्ध बने इस लक्ष्य के साथ कार्य करना होगा। जिसमें पहाड़ी ब्लॉक के तमाम असिंचित गांवों को सिंचित कराना और मृदा परीक्षण हेतु किसानों को तैयार कर नई तकनीक से नई फसलों पर कार्य किया जा सके, इसका प्रयास करना भी मेरी प्राथमिकता है। जिससे यहाँ की खेती किसानी भी अन्य राज्यों जैसे पंजाब, हरियाणा और खुद पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तरह बुंदेलखण्ड की पहचान बने। इस प्रकार सिर्फ पांच ही नही बल्कि दर्जनों मुद्दो पर काम करने की आवश्यकता है।
4) आपके मुताबिक भारत के पांच मुख्य राष्ट्रीय मुद्दे, उन पर आपकी समझ और राय समाधान विस्तार से बताएं?
दिव्या त्रिपाठी : हमारा देश भारत जिस एक मुद्दे से कराहते हुए अखंड भारत कहलाता था, उस जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को केन्द्र मे दूसरी बार आई भाजपा सरकार ने सफलतापूर्वक हल किया है और जम्मू-कश्मीर के लिए हर वो प्रयास किया जा रहा है कि दुश्मन मुल्क सपना देखना छोड़ दे।
पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश देने के साथ चीन को भी साफ इशारा किया गया है कि यह सरकार पूर्व सरकार की भांति नहीं है जो यह कह दे कि उस जमीन पर कुछ नही होता और छोड दे, हम मातृभूमि को पूजते हैं और अपनी माता समान भूमि किसी और को यूं ही नही दे सकते।
दूसरा बड़ा मुद्दा जनसंख्या को लेकर है। परिवार नियोजन के संबंध में है। अभी परिवार नियोजन एच्छिक है। सरकार परिवार नियोजन के प्रचार-प्रसार पर बहुत धन खर्च करती है परंतु परिणाम मे भारी असमानता है। इसे कुछ परिवार, वर्ग विशेष के लोग अपना रहे हैं तो वहीं बहुत से परिवार और मजहबी सोच रखने वाले लोग परिवार नियोजन को आवश्यक नही समझते। इसलिए दार्शनिकों के मत के अनुसार भी अनिवार्य परिवार नियोजन आवश्यक है जो जनसंख्या नियंत्रण कानून द्वारा संभव है।
तीसरा राष्ट्रीय मुद्दा अपितु सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है कि भारत जैसे देश को धार्मिक एवं सामाजिक रूप से हमेशा एक सूत्र मे पिरोए रखने के लिए राष्ट्रीय सामाजिक माहौल बनाए रखना और धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होते रहना। धर्मगुरूओं द्वारा समाज को मार्गदर्शन मिलता रहे चूंकि सत्ता कानून द्वारा काम करती है। परंतु धर्म एक ऐसी सत्ता है जो मनुष्य के व्यवहार को संचालित करती है और इसका सबसे गहरा मानसिक प्रभाव होता है। सकारात्मक माहौल से राष्ट्र में हमेशा संतुलन स्थापित रहेगा।
चौथा और प्रमुख मुद्दा बन चुका है कॉमन सिविल कोड अर्थात समान नागरिक संहिता कानून, इस संबंध में भी कानूनविद और विचारकों से जानकारी समय-समय पर मिलती है। विमर्श लंबे समय से चल रहा है और अनुकूल परिस्थिति देखते हुए यह कानून लागू होना आवश्यक है जो राष्ट्र के चहुंमुखी विकास मे सहायक होगा।
पांचवा महत्वपूर्ण मुद्दा किसान के संदर्भ में है और चिंतनीय है। हाल ही में केन्द्र सरकार कृषि कानून लेकर आई लेकिन कुछ किसान संगठनों द्वारा इनका विरोध किया गया और अंततः सरकार ने इन कृषि कानूनों को वापस ले लिया। लेकिन हमारी सबसे बड़ी ताकत कृषि ही है। कृषि के उत्पादन से विश्व पर राज किया जा सकता है और किसानों के लिए कृषि कानून उनके अनुकूल बनने चाहिए। इस कार्य में देश भर के प्रमुख किसान संगठन और किसानों की सलाह ली जाए फिर पारदर्शी कृषि कानून बनेंगे तो इक्कीसवीं सदी के भारत की वह तस्वीर स्पष्ट हो सकेगी जो आजादी का अमृत महोत्सव के रूप मे मनाई जा रही है।
5) इस वैश्विक परिदृश्य मे भारत को क्या करना चाहिए और किन किन विषयों पर ध्यान देना चाहिए? कृपया विस्तार से बताएं।
दिव्या त्रिपाठी : वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा प्रमुखता से समझ में आया है। रूस - यूक्रेन के युद्ध ने विदेश नीति एवं कूटनीति के महत्व को स्पष्ट कर दिया है। सभी देशों मे नेशन फर्स्ट की भावना प्रबल हो रही है इसलिए वैश्विक संतुलन स्थापित करने के साथ आत्मनिर्भर भारत की सोच को प्रत्येक नागरिक को साकार करना होगा और लीडरशिप को नागरिक और व्यापारियों का सहयोग करना होगा। इससे ही एक सुदृढ अर्थव्यवस्था बनाई जा सकती है।
अब अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में प्रमुखता से कार्य करने की आवश्यकता है, साथ ही अपने आंतरिक माहौल और हालात को उत्तम बनाए रखना होगा। जिससे कोई भी पड़ोसी देश जो हमारे वैभव व बढ़ते प्रभाव के कारण दुश्मनी का भाव रखता हो वह कोई दुस्साहस ना कर सके जैसे चीन को भारत ने सैन्य ताकत और कूटनीति से डोकलाम पर झुकाया और पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक कर बदलते भारत में अपनी सुरक्षा के लिए प्रतिबद्धता का सबसे बड़ा संकेत दिया गया।
कौशल विकास के रास्ते से स्टार्टअप शुरू कर युवा नए भारत की तस्वीर बना रहे हैं और हमे कृषि क्षेत्र में पर्याप्त काम करना होगा और बुंदेलखण्ड में उत्तर प्रदेश सरकार व केन्द्र सरकार के साझा प्रयास से डिफेंस कॉरिडोर का निर्माण व बुंदेलखण्ड एक्सप्रेसवे भारत से बुंदेलखण्ड को सीधा जोड़ता है। इस प्रकार के विकास से अर्थव्यवस्था मजबूत होती है व मुद्दों का राष्ट्रीयकरण होता है।
साथ ही मैं कहना चाहूँगी कि हमें अपनी युवा शक्ति को निरंतर सही दिशा देनी चाहिए क्योंकि देश का युवा सकारात्मक ऊर्जा के बल पर ही अगले 50 साल का भारत दिखेगा। नेतृत्व को लेकर मेरे व्यक्तिगत विचार यही हैं और समय समय पर मैं इन्हीं मुद्दों पर काम करूंगी।