नाम : दिव्या
अवस्थी
पद : समाज सेविका, उन्नाव
नवप्रवर्तक कोड :
जीवन परिचय –
मूल रूप से समाज सेविका दिव्या अवस्थी जी एक अनुभवी शिक्षिका रह चुकी हैं. एक निम्न माध्यम वर्गीय परिवार से संबंधित रही दिव्या जी शिक्षा के प्रति बेहद गंभीर रही हैं. स्कूली दिनों में निजशिक्षा से पृथक भी वें अपने से छोटी कक्षा के विद्यार्थियों को पढ़ाया करती थी. उन्होंने कानपुर के एएनडी डिग्री कॉलेज से बी.एससी की डिग्री प्राप्त की और वर्ष 2017 तक बी.एससी स्तर पर केमिस्ट्री की अध्यापिका के रूप में कार्य किया.
गृहणी के तौर पर
कुशलतापूर्वक सभी उत्तरदायित्त्वों का निर्वहन करते हुए दिव्या जी के जीवन में मई,
2013 में अचानक परिवर्तन आया, जब उनके ससुर जी की हत्या हो जाने के उपरांत व्यवसाय
की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गयी. उस समय अनिच्छा से उन्होंने अपने ससुर जी की
कुर्सी को संभाला, परन्तु निरंतर परिश्रम के बलबूते आज वे सफलतापूर्वक अपने
व्यवसाय को स्थापित कर चुकी हैं, साथ ही सामजिक कार्यकर्ता के रूप में भी गंगा घाट के कल्याण की दिशा में कार्यरत हैं.
राजनीति पदार्पण का कारण -
दिव्या जी के अनुसार सामाजिक जीवन में अगुवाई के लिए किसी प्रकार की योग्यता की आवश्यकता नहीं होती है, बल्कि समाज में हो रही अनीतियों के विरोध में आवाज उठाने का ज़ज्बा व्यक्ति विशेष में होना चाहिए. सामजिक परिवर्तन हेतु अपना योगदान अंकित करने के उद्देश्य से दिव्या जी ने इस क्षेत्र में प्रवेश किया और फिर उसी के अनुरूप ढलती चली गयी.
व्यवस्था को सुचारू
बनाए रखने के लिए उन्होंने राजनीति में आने का निश्चय किया क्योंकि उनका मानना रहा
है कि समाज सेवक के रूप में जहां दायरे में रहकर कल्याण कार्य करना पड़ता है, वहीं
राजनीति व्यक्ति को पद एवं प्रतिष्ठा देती है और समाज हित के दायरे को अधिक
विस्तृत कर देती है.
राजनीतिक एवं सामजिक उपलब्धियां –
राजनीति के अंतर्गत वर्ष 2016 में दिव्या जी प्रधानी का चुनाव लड़ चुकी हैं, इसके साथ ही वर्ष 2017 में उन्होंने शुक्लागंज नगरपालिका गंगा घाट, उन्नाव से चेयरमैन पद के लिए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में भी भागीदारी की. दिव्या जी किसी भी राजनैतिक पार्टी की नीतिगत व्यवस्था से इत्तेफाक नहीं रखती हैं, इसलिए वे निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावों में खड़ी हुई.
क्षेत्र में "आयरन लेडी" के नाम से जानी जाने वाली दिव्या जी का मानना
है कि वर्तमान में लगभग 85% एनजीओ वास्तव में समाज कार्य करने के स्थान पर केवल
अपनी व्यवस्थानुरूप कार्य कर रहे हैं, इसी कारण वे किसी भी एनजीओ के साथ मिलकर
कार्य नहीं करती हैं. उन्होंने अपना स्वयं का शिक्षा संस्थान खोला हुआ है, जिसके
माध्यम से वे उन योग्य छात्रों को शिक्षा उपलब्ध कराती हैं, जो आर्थिक रूप से
कमजोर हैं.
सामाजिक अगुवाई का कारण –
“हम नहीं करेंगे, तो कौन करेगा.”
उपर्युक्त विचारधारा का मनन करते हुए ही दिव्या जी निरंतर समाज के उत्थान की दिशा में बढ़ते हुए कार्य करती हैं. उनका कहना है कि यदि व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का संज्ञान है, तो निश्चित रूप से उसे आगे बढ़ना चाहिए और समाज व राष्ट्र हित निहितार्थ कार्य करने चाहिए. दिव्या जी मानती है कि यदि हम स्वयं आगे बढ़ कर समाज में बदलाव नहीं लायेंगे तो किसी दूसरे से कैसे अपेक्षा रख सकते हैं, इसलिए व्यक्ति को स्वयं आगे बढ़कर नवपरिवर्तन लाना चाहिए.
क्षेत्रीय मुद्दों पर नजरिया –
शुक्लागंज नगरपालिका परिषद् गंगा घाट के अंतर्गत आधारभूत संरचना के अभाव को दिव्या जी सबसे बड़ा क्षेत्रीय मुद्दा मानती हैं. उनके अनुसार आज गंगा घाट का स्वरुप वीभत्स हो चुका है, जिसके मूल में सबसे बड़ा कारण ही उचित इन्फ्रास्ट्रक्चर का अभाव है. जिसके लिए वे भविष्य में सुधारों का एक खाका तैयार कर उसके अनुरूप कार्य करना चाहती हैं.
आज मूलभूत संरचना का
अभाव ही सभी समस्याओं की जड़ है, जिसके लिए योजनाओं के आधार पर नहीं अपितु
प्राथमिकताओं के अनुरूप कार्य करना होगा. उनके अनुसार जब तक मात्र योजनाओं के आधार
पर विकास कार्य किया जाता रहेगा, तब तक प्राथमिकताएं बैकफुट पर रहेंगी, परन्तु जिस
दिन प्राथमिकताओं को आधार मानकर कार्य होना आरम्भ हो जाएगा, उस दिन योजनाएं अपने
आप मूर्त रूप ले लेंगी.
राष्ट्रीय मुद्दों पर अवलोकन –
राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में दिव्या जी के विचार हैं कि वर्तमान में सरकार को पेंशन इत्यादि के माध्यम से भारतीयों को लाचार नहीं बनाना चाहिए, अपितु उन्हें उचित रोजगार के साधन उपलब्ध कराने पर ध्यान देना होगा. दिव्या जी का कहना है कि भारत एक प्रबुद्ध देश है और यहां नागरिक केवल रोजगार चाहते हैं, किसी प्रकार की भीख नहीं. आज देश में युवा वर्ग जातिगत समीकरण की राजनीति की तरफ जा रहा है, जिसे समाप्त करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए, तभी देश वास्तविकता में विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा.