नाम- दिलीप कुमार
पद- विधायक प्रत्याशी, तिंदवारी विधानसभा, बांदा, (क्रांतिकारी युवा पार्टी)
नवप्रर्वतक कोड- 71188368
परिचय-
महोबा के एक साधारण किसान परिवार से आने वाले दिलीप कुमार ने क्रांतिकारी युवा पार्टी के अंतर्गत 2017 में तिंदवारी विधानसभा से चुनावों में भागीदारी ली थी। उनका परिवार मुख्य रूप से खेती-किसानी से ही जुड़ा रहा है, विषम आर्थिक परिस्थितियों के बीच उन्होंने धीरे धीरे शिक्षित होते हुए पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की।
दिलीप कुमार ने 2007-09 के मध्य दो वर्ष तक नौकरी की और उसके बाद वह महोबा में ही पत्थर माईनिंग के काम में जुट गए। पत्थर माईनिंग के व्यापार को उन्होंने अपने प्रयासों से आगे बढ़ाया। इस क्षेत्र में बही उन्हें बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
राजनैतिक सफ़र -
दिलीप कुमार का रुझान युवावस्था से ही समाजसेवा व राजनीति की ओर था, वह राजनीति में शामिल होकर जनता की सेवा करना चाहते थे। इसी के चलते उन्होंने 2017 में तिंदवारी विधानसभा से चुनावों में शिरकत की, हालांकि अपना विधानसभा क्षेत्र नहीं होने के चलते उन्हें इसका नुकसान भी उठाना पड़ा। किंतु उत्तर प्रदेश में होने जा रहे 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए वह महोबा विधानसभा से तैयारियों में संलग्न हैं व जमीनी स्तर पर जनसेवा का कार्य कर रहे हैं।
राजनीति में वीआईपी कल्चर और दलगत राजनीतिक विचारधारा का विरोध दिलीप कुमार करते हैं। उनका मानना है कि यदि आप राजनीति में मंत्री, सांसद, विधायक या कोई बड़े नेता हैं और जनता के समर्थन से आप किसी बड़े ओहदे पर पहुंचे हैं लेकिन फिर भी एक निर्धन आम व्यक्ति आप से नहीं मिल सकता है तो आप के राजनीतिक पद का क्या लाभ है? साथ ही दिलीप कुमार का मानना है कि वर्तमान में राजनीति का स्वरूप बहुत अधिक बदला है और देश में राजनीति बड़ी राजनीतिक पार्टियों तक सीमित होकर रह गई है, विकास के वास्तविक मुद्दों पर कोई चर्चा ही नहीं करना चाहता है।
क्षेत्रीय समस्याएं –
महोबा, जो मूल रूप से बुंदेलखंड क्षेत्र का हिस्सा है, यहां की सबसे बड़ी समस्या के तौर पर दिलीप कुमार जलसंकट को रखते हैं। उनके अनुसार न केवल महोबा बल्कि समस्त बुंदेलखंड कृषि प्रधान क्षेत्र है और इस स्थान का दुर्भाग्य है कि यहां लगभग प्रतिवर्ष सूखे की स्थिति रहती है। गर्मियों में यहां पीने के पानी की भी किल्लत होती है। इस जलसंकट का सबसे अधिक प्रभाव कृषि व्यवस्था पर पड़ता है और नतीजतन रोजगार के लिए अधिकतर नागरिक यहां से महानगरों की ओर पलायन कर जाते हैं।
दिलीप कुमार का कहना है कि यहां जो भी सरकार आती है, वह परियोजनाएं तो बड़ी बड़ी लेकर आती है लेकिन जनता को उनसे कोई लाभ नहीं हो पाता है। पिछली सरकार ने यहां हजारों करोड़ का पैकेज लाकर मंडियां स्थापित करवाई थी लेकिन सिंचाई व्यवस्था नहीं होने से यदि कृषि ही सुचारु नहीं होगी तो मंडियों का कोई फायदा नहीं है। दिलीप कुमार बताते हैं कि आज इन मंडियों में छुट्टा मवेशी घूमते रहते हैं क्योंकि इन पशुओं के लिए भी सरकार के पास कोई योजना नहीं है।
इसके अतिरिक्त पत्थर माईनिंग का काम, जो यहां रोजगार का दूसरा सबसे बड़ा साधन है, उसके विषय में दिलीप कुमार का कहना है कि 2017 में सरकार के बदल जाने के बाद से रोजगार के इस साधन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। आज इस रोजगार से जुड़े लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं। दिलीप कुमार के अनुसार यदि जनता उन्हें अवसर देगी तो वह इन सभी समस्याओं को संसद तक जरूर लेकर जाएंगे।