नाम : दीपनारायण
सिंह
पद : भाजपा किसान मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष सह प्रधान संयोजक यूथ फ़ोर्स (झारखंड)
नवप्रवर्तक कोड :
परिचय -
किसानों एवं युवाओं के लिए नव सामाजिक परिवर्तन की धारा को मुखर करने वाले दीपनारायण सिंह जी धनबाद जिले के गोपालपुर गांव के निवासी हैं. उन्होंने पी. के. रॉय मेमोरियल कॉलेज, धनबाद से वाणिज्य में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है. राष्ट्रवाद से प्रभावित दीपनारायण जी छात्र जीवन से ही राजनीति और समाज सेवा क्षेत्र से जुड़कर जनता को न्याय दिलाने में संघर्षरत रहे हैं. जनता की अदालत को सबसे सटीक मुल्यांकन करने वाली अदालत के रूप में देखने वाले दीपनारायण जी वर्तमान में झारखंड प्रदेश भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं यूथ फ़ोर्स के प्रधान संयोजक के रूप में टुंडी विधानसभा क्षेत्र (धनबाद) में कार्यरत होकर अपने सामाजिक कर्तव्यों का वहन कर रहे हैं.
सामाजिक अगुवाई -
दीपनारायण जी वर्ष 1992 से ही समाज हित के कार्यों में अग्रणी रहे हैं. उन्होंने विशेष तौर पर किसानों, युवाओं, महिलाओं आदि से जुड़े मुद्दों को प्राथमिकता दी है. उनका मानना है कि युवा वर्ग, किसान एवं महिलाएं किसी भी सभ्य समाज की मेरुदंड होते हैं, अतः इनके कल्याण के लिए ना केवल सरकार को योजनाएं निर्मित करनी चाहिए, अपितु ज़मीनी स्तर पर उन योजनाओं को क्रियान्वित करने के हर संभव प्रयास भी करने चाहिए.
सम्पन्न विकास कार्य
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टुंडी विधानसभा से जुड़े मुद्दों के लिए दीपनारायण जी सदैव कार्यरत रहते हैं. हाल ही में उन्होंने “किसान संवाद यात्रा” नामक अभियान चलाया, जिसके अंतर्गत टुंडी विधानसभा की तकरीबन 47 ग्राम पंचायतों के 335 ग्रामों की 29 दिवसीय पदयात्रा की गयी. लगभग 600 किमी की इस पदयात्रा में 40,000 कार्यकर्ताओं ने भाग लेकर केंद्र व राज्य सरकार की किसान हितों के लिए बन रही परियोजनाओं का ज़मीनी स्तर पर निरीक्षण किया. साथ ही किसानों को उनके अधिकारों के पार्टी जागरूक करने हेतु भी प्रयास किये गये.
इसके अतिरिक्त उनके द्वारा केंद्र सरकार की बहुचर्चित “उज्ज्वला परियोजना” की भी धरातलीय पड़ताल की गयी. जिसके आधार पर निष्कर्ष निकाला गया कि वर्ष 2011 के आर्थिक सर्वेक्षण के उपरांत से केवल सेफ डाटा में शामिल महिलाओं को ही उज्जवला योजना का लाभ मिल पा रहा है, जबकि बहुत सी अन्य जरुरतमंद महिलाएं आज भी इस सुविधा से वंचित हैं. दीपनारायण जी द्वारा संयुक्त प्रयासों के जरिये आंकडें जुटाकर रिपोर्ट तैयार करके मुख्यमंत्री जी को भेजी गयी. उनके इन प्रयासों के परिणामस्वरुप झारखंड में पिछड़ी जाति, अनुसूचित जाति- जनजाति की महिलाओं को भी उज्जवला के तहत लाभ दिलवाने का प्रस्ताव केबिनेट में पारित किया गया.
किसान हित के मुद्दें सर्वोपरि -
किसानों को अन्नदाता मानने वाले दीपनारायण जी का कहना है कि किसानों का सर्वांगीण विकास सम्पूर्ण देश का विकास है, परन्तु उनका राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विकास ना होना बेहद दुखद विषय है. साथ ही उनकी फसलों को उचित समर्थन मूल्य तथा उन्हें यथायोग्य मान-सम्मान नहीं मिल पाता, जिससे वे निरंतर पिछड़ते चले जाते हैं. वर्तमान सरकार किसानों के जीवनस्तर को ऊँचा उठाने हेतु बहुत सी नीतियों का निर्माण कर रही है. कर्ज माफ़ी, फसलों का वाज़िब मूल्य, सिंचाई सुविधाएं, आधुनिक कृषि उपकरण इत्यादि सुविधाओं के माध्यम से सरकार किसानों की सहायता करने का प्रयास कर रही है, परन्तु जागरूकता के अभाव में नीतियों का क्रियान्वन उचित प्रकार से नहीं हो पाना भी एक व्यापक समस्या है, जिस पर कार्य किया जा रहा है.
गौरतलब है कि दीपनारायण जी स्वयं भी कृषक परिवार से संबंधित रहे हैं, इसलिए किसानों की समस्याओं की समझ उन्हें ज़मीनी स्तर पर है. उनका कहना है कि वर्तमान में लगभग 74 फीसदी बजट कृषि के लिए पारित किया जाता है और वर्ष 2022 तक किसानों के पूर्णरूपेण विकास की दिशा में सरकार कार्यरत है.
प्रमुख राष्ट्रीय
मुद्दें -
दीपनारायण जी के अनुसार आज देश में किसानों की समस्या सर्वाधिक है, उनका मानना है कि भारत मूलतः एक कृषि प्रधान देश है, जहां अर्थव्यवस्था का आधार मुख्य रूप से कृषि ही है. आज सरकार किसानों के हित के लिए विभिन्न योजनाएं तो बना रही है, परन्तु उनका लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा.
वे इसके लिए न्यूनतम
समर्थन मूल्य परियोजना का उदाहरण देते हुए बताते हैं कि सरकार जो फसल मूल्य
निर्धारित कर रही है, वह बाजार में बेहद कम करके किसानों के समक्ष रखा जाता है और
उचित जानकारी के अभाव में किसान उसी मूल्य पर फसल बेच देते हैं. इस व्यवस्था पर सरकार
को यथायोग्य प्रावधान रखने होंगे. स्वामीनाथन योग के प्रस्ताव, जिनमें भूमिहीन किसानों को व्यर्थ भूमि देने तथा आदिवासी क्षेत्रों में पशु चराने जैसी योजनाएं शामिल थी, यदि इन्हें उचित प्रकार से लागू किया जा सके तो निश्चय ही किसानों के साथ साथ देश भी तरक्की करेगा.
इसके अतिरिक्त कश्मीर मुद्दा आज भी भारत का सबसे ज्वलनशील मुद्दा है, जहां कुछ मुट्ठी भर लोग राज्य की शांति और गरिमा को भंग करते हैं और निर्दोष जनता को जुल्म सहने पड़ते हैं. दीपनारायण जी कहते हैं कि केंद्र सरकार को इस दिशा में कठोर निर्णय लेने की आवश्यकता है और साथ ही इस समस्या का बेहतर सैद्धांतिक हल भी सरकार को खोजना होगा.