नाम : डी पी भारती (एडवोकेट)
पद : प्रदेश मंत्री (भारतीय जनता पार्टी) उत्तर प्रदेश
नवप्रवर्तक कोड : 71190250
वेबसाईट : DPBharti.com
संघर्ष व्यक्ति को बहुत कुछ सिखाते हैं, जब हम अपना बचपन चुनौतियों के बीच व्यतीत करते हैं तो हमारे मन में समाज के लिए एक सकारात्मक बदलाव की उम्मीद अपने आप घर कर जाती है। बदायूं से भाजपा प्रदेश मंत्री के पद पर लगातार दो बार से सेवाएं दे रहे डीपी भारती ऐसी ही शख्सियत हैं, जिन्होंने अपना बचपन उत्तर प्रदेश के जनपद बदायूँ के तहसील बिल्सी के ग्राम नगला शाहबाद के एक अत्यंत दूरगामी, पिछड़े ग्रामीण इलाके में शुरू किया। एक ऐसे बीहड़ स्थान पर उन्होंने गुजर-बसर किया, जहां लोग नदी पार करके मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष किया करते थे।
लेकिन कहते हैं न कि एक सुशिक्षित जुझारू व्यक्ति अपने साहस, शक्ति, आदर्शों और सिद्धांतों से न केवल एक राष्ट्र अपितु समस्त विश्व के लिए सकारात्मक परिवर्तन और नवाचार के मार्ग प्रशस्त कर सकता है। डीपी भारती, युवा नेतृत्व की एक ऐसी ही मिसाल हैं, जिन्होंने महापुरुषों की जीवनी से शिक्षा लेकर अपनी यात्रा को जारी रखा और छोटी सी आयु से लोककल्याण के जज्बे को साथ लेकर संघर्ष करते आ रहे हैं।
बदायूं से एक जनप्रिय नेता के तौर पर डीपी भारती उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं, जो वर्तमान में अनर्गल मुद्दों के बीच भटके हुए हैं। उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता से क्षेत्र के लोगों के बीच आज एक भरोसेमंद नेता और निष्ठावान समाज सेवक का मुकाम ईमानदारी की मिसाल कायम किया है । आइए करीब से जानते हैं इस जन नेता के जीवन, समाज सेवा के प्रति उनके जज्बे और उनके राजनीति सफर को..
संघर्षों से सीखा आगे बढ़ना –
डीपी भारती बीते 28 वर्षों से राजनीतिक सेवा क्षेत्र से जुड़े हैं, छात्र जीवन में ही उन्होंने समाज के प्रति संकल्पित होकर सेवा करने का जो प्रण लिया था, उस पर वह आज भी उसी दृढ़ इच्छा के साथ अडिग हैं और भाजपा के बैनर तले अपने विकास कार्यों को जारी रखे हुए हैं। पेशे से अधिवक्ता रहे डीपी भारती हाशिये पर खड़े हर वर्ग को न्याय दिलाने में हाथ बढ़ाने के साथ साथ बदायूं से प्रदेश मंत्री (भाजपा) का कार्यभार कुशलतापूर्वक संभाले हुए हैं।
बाल्यकाल में संघर्षों के साथ उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा प्राप्त की और इसके बाद आठवीं कक्षा के दौरान उनका परिवार बदायूं आ गया। पिताजी स्व. श्री छोटेलाल बलदेव जी की सर्विस के चलते काफी दूर पोस्टिंग हुआ करती थी, जिसके चलते उनकी अनुपस्थिति में पारिवारिक सभी जिम्मेदारियों को संभालते हुए डीपी भारती ने बीए और एलएलबी की शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने छात्र जीवन में ही अनुभव कर लिया था कि समाज में आज भी लोगों में अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता नहीं है, दलितों-शोषितों और पीड़ितों को न्याय दिलाने की भावना उनमें घर कर चुकी थी और इसी कल्याणकारी विचारधारा को साथ लेकर उन्होंने आगे बढ़ने की ठान ली।
छात्र जीवन में किया राजनीतिक सफर का आगाज -
छात्र जीवन में वर्ष 1990 से ही डीपी भारती की सक्रियता बाबा साहब डॉ भीम राव अंबेडकर जी के जयंती एवं महापरिनिर्वाण कार्यक्रमों के आयोजन इत्यादि में रहती थी, सामाजिक कार्यों में भी उनका काफी रुझान था। 1995 में बहुजन समाज पार्टी का आंदोलन जारी था, डीपी भारती ने श्री कांशीराम जी से प्रेरणा लेते हुए स्वयं को बसपा के आंदोलन का हिस्सा बना लिया। इस प्रकार 1995 में बसपा की युवा विंग ''बहुजन सुरक्षा दल'' (बीबीएफ) से बदायूं जिले के अध्यक्ष पद के साथ उनके राजनीतिक जीवन का श्री गणेश हुआ।
इसके उपरांत बसपा में निरंतर सक्रिय रहते हुए, चुनावों में शीर्ष नेतृत्व का सहयोग करते हुए डीपी भारती ने बसपा संगठन में कोषाध्यक्ष , महामंत्री इत्यादि अनेकों पदों पर काम किया और तमाम सांगठनिक दायित्वों को निभाते हुए वर्ष 2012 में जोनल कोऑर्डिनेटर का व National Executive Body के सदस्य के रूप में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वाहन किया । वर्ष 1995-2015 तक वह सतत बसपा संगठन में विभिन्न पदों पर रहकर संगठन को मजबूती देने के प्रक्रम में जुटे रहे।
कमजोर हो रही बसपा की सुधार के लिए संघर्ष -
2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद 2012 के चुनावों में बसपा 225 विधायकों से घटकर 80 पर रह गई, जबकि यह वही बसपा थी, जिसने वर्ष 1984 में अपनी स्थापना के मात्र 11 वर्षों में ही राष्ट्रीय पार्टी का रुतबा हासिल किया था और वर्ष 1989 के लोकसभा चुनावों में दो राज्यों के तीन सांसदों के साथ अपना खाता खोला था। जो बसपा 2007 तक आगे बढ़ती रही, वह 2012 में बिना किसी बाहरी नुकसान के 80 विधायकों पर सिमट गई, जो डीपी भारती जैसे नि:स्वार्थ भाव से बाबा साहब के मिशन को आगे ले जा रहे कार्यकर्ता के लिए बडा झटका था। 2012 की हार के बाद 2014 के लोकसभा चुनावों में भी पार्टी शून्य हो गई, लेकिन इसके बावजूद भी पार्टी के नेतृत्व सबक लेने को तैयार नहीं था।
2017 के चुनावों की तैयारियों के बीच जब डीपी भारती जोनल कोऑर्डिनेटर के रूप में पार्टी को बचाने के प्रयासों में लगे थे, तब तात्कालिन राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रभारी पश्चिमी उत्तर प्रदेश श्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने अपने ही कैडर को टिकट न देकर अन्य लोगों को अपने हिसाब से टिकट देने शुरू कर दिए तथा पार्टी कैडर के निष्ठावान पदाधिकारियों को हटाना शुरू कर दिया और पिछले चुनावों में अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन करने वाले उम्मीदवारों को मौका ही नहीं दिया गया। जिसको लेकर श्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी से डीपी भारती के वैचारिक मतभेद शुरू हो गए। उन्होंने दिसंबर 2015 में बरैली से बड़ी प्रेस कांफ्रेंस कर "सिद्दीकी हटाओ बसपा बचाओ" आंदोलन को भी चलाया, लेकिन पार्टी ने फिर भी सुधार के लिए कोई कदम नहीं उठाया, जिसके चलते 17 दिसंबर 2015 में डीपी भारती बसपा से अलग हो गए।
मोदी जी की कार्यशैली से प्रभावित होकर बीजेपी में आगमन -
2014 में नरेंद्र मोदी जी के प्रधामंत्री बनने के बाद से डीपी भारती मोदी जी के सबको साथ लेकर चलने के कुशल कार्यशैली को देखते आ रहे थे। उन्होंने अनुभव किया कि मोदी जी और भाजपा सरकार भी बाबा साहब के पदचिन्हों पर चलकर देश के कमजोर तबकों के लिए काम कर रही है। इस प्रकार उनका झुकाव बीजेपी की तरफ बढ़ा, साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की ओर से भी उन्हें भाजपा से जुडने के ऑफर मिलने लगे।
हालांकि जनवरी 2016 में ही वह अप्रत्यक्ष रूप से पार्टी से जुड़ चुके थे। 21 सितंबर, 2016 को बसपा राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे राजनेता स्वामी प्रसाद मौर्य के द्वारा लखनऊ के माता रमाबाई अंबेडकर मैदान में एक महारैली का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह और भाजपा उत्तर प्रदेश से प्रदेश अध्यक्ष श्री केशव प्रसाद मौर्या के समक्ष डीपी भारती जी ने विधिवत भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी।
सेवा, संकल्प और समर्पण भाव के साथ बढ़े आगे -
2016 से ही पार्टी से जुड़ने के साथ ही 2017 विधानसभा एवं स्थानीय निकाय चुनावों में पार्टी जीत के लिए अथक प्रयास किए जिसके सकारात्मक परिणाम भी आये । जहां पूर्व में डीपी भारती बूथ स्तर पर भाजपा को लोगों से जोड़ने के प्रयासों में लगे थे, वहीं 2017 की ऐतिहासिक विजय के बाद प्रदेश में संगठन विस्तार होने पर उन्हें अनुसूचित जाति मोर्चा, भाजपा यूपी में महामंत्री पद सौंपा गया।
इसके उपरांत डीपी भारती ने पीछे मुड़कर नहीं देखा, वह लगातार यूपी में योगी सरकार के विकास के लिए सेवा, संकल्प और समर्पण के भाव के साथ संलग्न रहे। उनकी कार्यकुशलता को देखते हुए तत्कालीन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह पटेल एवं प्रदेश महामंत्री संगठन श्री सुनील बंसल जी के द्वारा उन्हें बदायूं से भाजपा प्रदेश मंत्री नियुक्त किया गया, इस पद पर उन्होंने तीन वर्ष तक निर्बाध संगठन मजबूती में अहम भूमिका का निर्वहन किया। 2022 में जब भूपेंद्र सिंह चौधरी ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार संभाला, तब भी संगठन विस्तार के दौरान डीपी भारती को पुन: प्रदेश मंत्री का पदभार सौंपा गया।
इससे पूर्व में डीपी भारती भारत सरकार के द्वारा नामित सदस्य दूरसंचार सलाहकार समिति एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सदस्य जिला योजना समिति तथा सदस्य बन्धुआ श्रमिक उन्मूलन समिति के सदस्य के रूप मे भी सेवा दे चुके हैं |
अन्याय- अत्याचार के खिलाफ हमेशा उठाई आवाज़ -
अपने शुरुआती सामाजिक-राजनीतिक जीवन से ही डीपी भारती ने वंचितों के अधिकारों और समाज में पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए अनेकों संघर्ष किए हैं, बहुत से धरना-प्रदर्शनों, पदयात्राओं का वह हिस्सा रहे और लोगों के अधिकारों के लिए आंदोलन करते हुए पुलिस प्रशासन से भी आमना सामना हुआ।
2002 में उन्होंने जाटव समाज संघ की स्थापना की और बहुत से समाज कल्याण कार्यक्रम इस संगठन के माध्यम से किए। डीपी भारती ने संविधान बचाओ संघर्ष समिति और डॉ आंबेडकर जनमंच आदि संगठनो का भी गठन किया, भारतीय बौद्ध महासभा बदायूं में भी उन्होंने अनेकों कार्यक्रमों में सहभागिता ली। डॉ अंबेडकर सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता की शुरुआत उन्होंने कराई। बदायूं में चार दिवसीय डॉ आंबेडकर जयंती महोत्सव- कवि सम्मलेन सांस्कृतिक कार्यक्रम डॉ आंबेडकर टूर्नामेंट के साथ शुरू कराया| बुद्ध जयंती, संत रविदास जयंती परिनिर्वाण दिवस, धम्म दीक्षा दिवस की शुरुवात कराई।
बदायूं में बौद्ध विहार का निर्माण, छात्रावास, सामाजिक शिक्षण संसथानो आदि में लगातार उन्होंने अपना अतुलनीय योगदान दिया है। डीपी भारती ने अपने छात्र जीवन में ही दलित हितैशी और सम्यक भारत जैसे पत्रिकाओं में भी अपना योगदान दिया है , इसके अतिरिक्त जहां जहां उन्हें लगा कि समाज में लोगों पर अत्याचार हो रहे हैं, वहां वहां उन्होंने हमेशा निर्भीक होकर आवाज उठाई है।जब कही गरीब पीड़ितों दलितों पर अत्याचार हुए है तो भी डीपी भारती उन्हें न्याय दिलाने के लिए तत्पर रहते थे और आज भी यह सिलसिला जारी है।
उत्तर प्रदेश के प्रमुख मुद्दे –
उत्तर प्रदेश के मुद्दों को लेकर डीपी भारती का कहना है कि उत्तर प्रदेश एक बहुत बड़ा राज्य है, जिसकी आबादी 25 करोड़ से भी अधिक है। उनके अनुसार इस प्रदेश में भौगोलिक, आर्थिक, सामाजिक इत्यादि विभिन्नताऐं बहुत अधिक हैं क्योंकि राज्य का जनसंख्या घनत्व काफी ज्यादा है। यहां पूर्वांचल की ओर जनसंख्या घनत्व भी अधिक है और यहां काफी गरीबी भी है, वहीं पश्चिम की ओर देखा जाए तो वहां काफी संपन्नता है।
डीपी भारती के अनुसार हालांकि उत्तर प्रदेश के हर जिले, हर क्षेत्र की अपनी विविध समस्याएं रही हैं लेकिन योगी सरकार आने के बाद से प्रदेश में विकास के अनगिनत काम हुए हैं।
पूर्वी सरकारों की तुलना में यदि मोदी सरकार की यह नौ वर्ष व् योगी सरकार की छः वर्षो का विकास प्रतिशत देखा जाए तो यह बहुत अधिक है। साथ ही उनका मानना है कि बड़ा राज्य होने के कारण कुछ समस्याएं जैसे रोजगार आदि तो हैं लेकिन सरकार हर दिशा में प्रगति के प्रयास कर रही है और प्रदेश तीव्र गति से समृद्धि की दिशा में बढ़ रहा है।
राजनीति है देश सेवा का माध्यम -
डीपी भारती को भले ही राजनीति में अभी तक वह मुकाम नहीं मिल पाया हो, जिसके वह काबिल हैं लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने कभी अपने सिद्धांतों के साथ समझौता नहीं किया। उन्होंने कभी भी राजनीति को धन कमाने का जरिया नहीं बनाया, वह स्पष्ट रूप से कहते हैं कि यदि राजनीति में आने वाले लोग यहां धन कमाने की सोच के साथ आते हैं तो बेहतर है कि वह व्यापार या नौकरी कर लें क्योंकि राजनीति विशुद्ध रूप से राष्ट्र सेवा का एक प्रक्रम है। छात्र जीवन की शुरुआत में डीपी भारती को भी नौकरी करने का अवसर मिला, जिसे उन्होंने नकार दिया, इसके अलावा 3 वर्ष वकालत की प्रैक्टिस करने के बाद भी उनका मन समाज सेवा में ही लगा रहा।
ईमानदार स्पष्टवादी और स्वच्छ नेतृत्व की मिसाल -
कईं वर्षों के अपने राजनीतिक और सामाजिक जीवन में डीपी भारती ने जनता के सामने ईमानदार, स्पष्टवादी और स्वच्छ छवि वाले नेता की मिसाल पेश की है। उन्होंने विकट परिस्थितियों में अपने निज संसाधनों से लोगों की सेवा की है और आज भी अपने इन्हीं सिद्धांतों के साथ वह लोककल्याण के मार्ग पर चलायमान हैं। वह आज भी आम लोगों की भांति सुविधाओं के अभाव में ही जीवनयापन कर रहे हैं लेकिन महापुरुषों के जीवन से मिली सीख को उन्होंने इस कदर आत्मसात किया हुआ है कि वह भ्रष्टाचार, जातिवाद, दबंगई इत्यादि से कोसों दूर रहकर जनसेवा में संकल्पित हैं। वह लोकतंत्र की सेवा के जज्बे के साथ राजनीति से जुड़े हुए हैं और भविष्य में भी वह इसी सेवाभाव के साथ आगे बढ़ते रहेंगे।