नाम – बृजभूषण राजपूत
पद – विधायक, चरखारी विधानसभा, महोबा (उत्तर प्रदेश)
नवप्रवर्तक कोड – 71189141
उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक युवा और सामाजिक तौर पर जागरूक नेता के तौर पहचाने जाने वाले बृजभूषण राजपूत चरखारी से विधायक हैं और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं। उन्होंने वर्ष 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भागीदारी करते हुए निकटतम प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी उर्मिला देवी को 44,014 मतों से बड़ी शिकस्त देते हुए विधायक पद प्राप्त किया और वर्तमान में चरखारी जनता के विकास के लिए सरकार की योजनाओं को जमीनी स्तर पर क्रियान्वित करने के साथ साथ आम जन की अन्य समस्याओं के निवारण के लिए भी बृजभूषण राजपूत संघर्षरत हैं।
लगभग 400 गांवों वाले चरखारी विधानसभा क्षेत्र को अपने अद्भुत प्राकृतिक सौन्दर्य के कारण जाना जाता है। यहां का इतिहास भी बेहद अहम है, यह मुख्य तौर पर चंदेलों की रियासत रही है और यहां आपस में जुड़े बरसों पुराने सात तालाब हैं जो पर्यटन दृष्टि से इस क्षेत्र को खास बनाते हैं। चरखारी में स्थित पसमंजर में 300 फुट ऊंचे पहाड़ पर एक पुराना किला बना हुआ है, जो क्षेत्र में किसी रहस्य से कम नहीं है। इस किले में आम लोगों का प्रवेश निषेध है, यहां सेना का नियंत्रण रहता है और लोक मान्यताओं के अनुसार यहां राजा-महाराजाओं के समय का खजाना गड़ा हुआ है। इस क्षेत्र के अनोखे सौन्दर्य को देखते हुए उत्तर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंत ने चरखारी को बुंदेलखंड के कश्मीर की उपाधि दी थी।
मूल रूप से हमीरपुर जिले, उरई, बम्हौरी के निवासी बृजभूषण राजपूत ग्रेजुएट हैं, और उन्होंने अपनी बीए की डिग्री झांसी की बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी के गांधी कॉलेज से प्राप्त की है। छात्र जीवन के दौरान ही उनका रुझान सामाजिक सेवा कार्यों की ओर रहा है। बृजभूषण राजपूत चरखारी विधानसभा क्षेत्र में अपनी स्पष्टवादिता और प्रभावशाली व्यक्तित्व के चलते जाने जाते हैं। हाल ही में उन्होंने क्षेत्र के भ्रष्ट कोटेदारों के खिलाफ आवाज उठाते हुए जरूरतमंद जनता को उनके अधिकार दिलाए।
संगठन की मजबूती के लिए लगातार कार्य कर रहे विधायक बृजभूषण राजपूत ने 2017 में पहली बार चरखारी क्षेत्र में बीजेपी का कमल खिलाया, इससे पहले यहां कभी भी भाजपा की सत्ता नहीं रही थी। वर्तमान में वह जन सहभागिता के माध्यम से पृथक बुंदेलखंड राज्य की मांग को भी उठाए हुए हैं। उनका मानना है कि बुंदेलखंड अपार खनिज संपदा से भरपूर है और इस क्षेत्र से आने वाला राजस्व बुंदेलखंड में विकास के नए द्वार खोल सकता है, इसी मुद्दे को वह सोशल क्रांति के जरिए उठाए हुए हैं।