पूरा नाम: भरत बिंद जन्म: 15 मई 1958 जन्मस्थान: सिलोटा गाँव, चेनपुर प्रखंड, कैमूर जिला (भभुआ), बिहारसमुदाय: बिंद (EBC – अति पिछड़ा वर्ग) शिक्षा: 10वीं – बहुदेशीय हाई स्कूल, रामगढ़, कैमूर
प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि
भरत बिंद का जन्म एक साधारण किसान परिवार में सिलोटा गाँव में हुआ। बचपन से ही उन्होंने खेती-किसानी, ग्रामीण जीवन और आर्थिक संघर्षों को बहुत करीब से देखा। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सीमित थी, लेकिन माता-पिता ने शिक्षा पर जोर दिया, जिसके चलते उन्होंने 10वीं तक की पढ़ाई पूरी की।
बाल्यकाल से ही भरत बिंद गाँव-समाज की समस्याओं को समझने लगे — पानी, सड़क, बिजली, खेती की कठिनाइयाँ, तथा पिछड़े वर्गों की सामाजिक चुनौतियाँ। यही अनुभव उनके राजनीतिक जीवन के लिए आधार बना।

राजनीतिक सफर की शुरुआत
• 2010 – पहली जीत (स्थानीय निकाय चुनाव)
भरत बिंद ने पहली बार वर्ष 2010 में जिला परिषद/स्थानीय पंचायत चुनाव में जीत दर्ज की। यह उनकी राजनीतिक यात्रा का पहला बड़ा कदम था जिसने उन्हें जनता के बीच पहचाना जाने वाला चेहरा बनाया।
• 2015 – BSP से विधानसभा चुनाव
2015 में उन्होंने BSP के टिकट पर भभुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। उस समय वे चुनाव नहीं जीत पाए, परंतु उन्होंने पूरे क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करवाई।
• 2020 – RJD में शामिल होकर बड़ी जीत
इसके बाद उन्होंने RJD का दामन थामा और 2020 में भभुआ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। इस बार जनता ने उन्हें भारी समर्थन दिया और वे पहली बार विधायक बने। यह जीत उनके राजनीतिक करियर का महत्वपूर्ण मोड़ थी।

BJP में शामिल होना और नई दिशा
• 2024 – RJD से इस्तीफ़ा, BJP में प्रवेश
वर्ष 2024 में भरत बिंद ने RJD से इस्तीफ़ा देकर भाजपा में शामिल होकर राजनीतिक हलचल मचा दी। उनका यह कदम भभुआ और पूरे कैमूर क्षेत्र की राजनीति में बड़ा परिवर्तन माना गया।
• 2025 – पुनः विजयी होकर विधायक बने
2025 के विधानसभा चुनाव में BJP के टिकट पर उन्होंने दोबारा चुनाव लड़ा और बड़ी जीत दर्ज की। उनकी जीत ने यह सिद्ध कर दिया कि क्षेत्र में उनका जनाधार मजबूत है।
वोट बैंक और सामाजिक आधार
भरत बिंद का मुख्य जनाधार निम्न वर्गों और ग्रामीण इलाकों में है —
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अति पिछड़ा वर्ग (EBC)
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बिंद/मछुआरा समाज
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किसान समुदाय
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ग्रामीण युवा
उनकी छवि एक “जमीनी नेता” की है, जो गांव-गांव जाकर जनता की समस्याएँ सुनते हैं और समाधान का आश्वासन देते हैं।
विकास कार्य और जनसेवा
अपने कार्यकाल में भरत बिंद ने जिन प्रमुख मुद्दों पर ध्यान दिया—
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सड़क और गांव-गांव तक पहुंच मार्ग
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नाली-पानी और जल-जीवन-संबंधी सुविधाएँ
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बिजली और गांवों में ट्रांसफॉर्मर की सुविधा
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सिंचाई के लिए नहर और तालाब साफ-सफाई
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किसानों के लिए सरकारी योजनाओं को पहुंचाना
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युवाओं को कौशल विकास और रोजगार से जोड़ना
मतदाताओं के अनुसार, भरत बिंद हमेशा “दौरा करने वाले” और “जनता से जुड़े रहने वाले” नेता माने जाते हैं।
विवाद और चुनौतियाँ
हर राजनीतिक सफर की तरह भरत बिंद के सफर में भी चुनौतियाँ रही—
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कभी-कभी ग्रामीण क्षेत्रों से कुछ शिकायतें सामने आईं कि वे पूर्ववर्ती कार्यकाल में कम दिखाई दिए।
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विपक्ष ने उन पर पार्टी बदलने को लेकर सवाल उठाए।
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कुछ युवाओं ने 2025 चुनाव के दौरान उनके पिछले कार्यकाल की समीक्षा की, जिससे सोशल मीडिया पर बहस भी चली।
फिर भी, उनके लगातार गांव-दौरों और जनता से संवाद ने उन्हें फिर से मजबूत समर्थन दिलाया।

वर्तमान स्थिति और भविष्य की भूमिका
आज भरत बिंद भभुआ के सक्रिय विधायक हैं और क्षेत्रीय विकास के लिए लगातार काम कर रहे हैं। उनकी प्राथमिकताएँ हैं—
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पिछड़े वर्गों की बेहतरी
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किसानों के हित
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बुनियादी सुविधाओं का विस्तार
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युवाओं के लिए रोजगार
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भभुआ को तेजी से विकसित करना
उनसे जनता को बड़ी उम्मीदें हैं कि वे क्षेत्र में लंबे समय तक प्रभावी विकास लाएंगे।
निष्कर्ष
भरत बिंद की कहानी एक साधारण ग्रामीण परिवार से उठकर बिहार विधानसभा तक पहुँचने की प्रेरक कहानी है। वे उन नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने संघर्ष, मेहनत और जनता से जुड़ाव के आधार पर अपनी राजनीतिक पहचान बनाई।
उनकी यात्रा यह साबित करती है — “सच्चे इरादे और जनता से जुड़ाव हो तो साधारण पृष्ठभूमि का व्यक्ति भी बड़ी भूमिका निभा सकता है।”
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