नाम :
अवनीश राही
पद :
युवा गीतकार एवं प्रवक्ता
नवप्रवर्तक
कोड :
शिक्षक से गीतकार तक का सफरनामा : अवनीश राही
युवा गीतकार अवनीश राही साहित्य-जगत के एक प्रतिभावान गीतकार, एक बेहतरीन कलमकार हैं एवं उच्च शिक्षित विद्वत्ता के रूप में बहुमुखी प्रतिभासम्पन्न व्यक्तित्व के धनी हैं.
जन्म एवं शिक्षा :
अवनीश जी का जन्म इत्तेफाक कहें या प्रकृति की देन, ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती के जन्म के दिन ही बसंत पंचमी को हुआ, उनका जन्म अलीगढ़ मुख्यालय से 40 किमी दूर ग्राम लोहगढ, तहसील- अतरौली के एक सामान्य परिवार में वर्ष 1974 में हुआ और कुछ समय पश्चात उनके पिता सरकारी सेवा में चयनित हो गए. जो बाद में व्यापार कर अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हुए, परन्तु वे भी सरकारी सेवा के बावजूद एक प्रख्यात कवि और जाने माने साहित्यकार हैं. उनकी दर्जनों पुस्तके, महाग्रंथ, महाकाव्य तथा कैसेट/सी.डी./ डी.वी.डी. एवं डॉ. अम्बेडकर पर बनी म्यूजिकल फिल्म टी-सीरिज से रिलीज़ हो चुकी है.
अपने अति विद्वान पिता की ही भांति अवनीश जी भी स्वाभाविक रूप से बहुमुखी योग्यताओं से परिपूर्ण
हैं, जिनकी सुकोमल कलम ने
मात्र 10
वर्ष की आयु में
तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमती इन्दिरा गांधी की हत्या पर अपना प्रथम गीत
लिखकर साहित्य की सरजमीं पर सफलता की महापटकथा लिखने की दस्तक दे दी थी. अवनीश जी
सरकारी नौकरी कदापि नहीं करना चाहते थे बल्कि मुंबई में सफल गीतकार के रुप में
स्थापित होना चाहते थे, परन्तु अपने माता-पिता की इच्छा शिरोधार्य करते हुए वे
वर्ष 2004 में उत्तर प्रदेश पीजीटी परीक्षा में द्वितीय स्थान प्राप्त कर प्रवक्ता पद पर प्रतिष्ठित हुए. वर्तमान
में वे बारहसनी इण्टर कॉलिज, अलीगढ़ में चित्रकला के विभागाध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं.
मौन साधक की भांति गीतों की रचना :
विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न, कलम के धनी, साहित्य जगत के सशक्त हस्ताक्षर एवं सरस्वती पुत्र की उपाधि से विभूषित गीतकार अवनीश जी को कलम और कविता अपने पिता श्री अमरसिंह राही से विरासत के उपहार स्वरुप प्राप्त हुए हैं. बचपन से ही कुशाध बुद्धि के स्वामी अवनीश जी ने मात्र 15 वर्ष की आयु में प्रथम पुस्तक "मुक्तों की पुकार” नारायण दास बुकसेलर, नयागंज, हाथरस से प्रकाशित की तथा 17 वर्ष की किशोर अवस्था को छूते-छते ही गीतों की म्यूजिक एलबम काली चुनरी, राहुल कैसेट, डिबाई, बुलन्दशहर से रिलीज हुई और तब से अब तक टिप्स, वीनस, टी-सीरिज, चन्दा, सिसोदिया, शबनम, राहुल, जेवीएल ट्रेजर, नजिस सहित लगभग समस्त कम्पनियों से अपने मधुर गीतों को रिलीज़ कर चुके हैं.
वर्तमान में उनके लिखे गीतों को उदित नारायण, कुमार सानू, साधना सरगम, अनूप जलोटा, विनोद राठौड़, शाहिद माल्या, शबाब साबरी, देवाशीष दासगुप्ता, खुश्बू जैन, इन्दु सोनाली, दामोदर राव जैसे प्रसिद्द पार्श्व गायक अपनी आवाज दे चुके हैं.
फिल्म निर्देशन में भी दिखाया कौशल :
11 वीं कक्षा में आते-आते ही अवनीश जी के दिमाग में एक फिल्म बनाने का विचार आया और अनेकानेक विरोधों, परेशानियों के बावजूद मूर्त रूप दिया और उस फिल्म का नाम 'पिया का घर' रखा. इस फिल्म की कथा, पटकथा, संवाद के साथ-साथ फिल्म के समस्त गीत भी उनकी सशक्त कलम की उपज थे. इसके अलावा फिल्म के मुख्य नायक भी वे स्वयं थे. उन्होंने अपने कुशल निर्देशन में छोटे-बड़े लगभग 50 कलाकारों को लेकर फिल्म को पूरा किया, किन्तु अंतोगत्वा यह फिल्म विरोधियों की ओछी राजनीति का शिकार होकर दर्शकों तक नही पहुंच सकी. ऐसी नकारात्मक परिस्थितियों के बावजूद भी वे अपनी लेखनी को धार देते रहे, जिसके फलस्वरुप उनके पास विभिन्न कम्पनियों से गीत लिखने के ऑफर आने लगे. वर्तमान में उनके लिखे सैकड़ों ऑडियो/वीडियो गीत रिलीज हो चुके हैं.
साहित्यिक उपलब्धियां :
अवनीश जी की लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. जैसे- महाकाव्य भीम चरितमानस, धम्म पवित्र ग्रंथ बुद्ध ज्ञान महासागर, जख्मी कलम-सिसकते नगमे, जीवन ज्ञानपूँज, भक्तों की पुकार भीम गजेना, राजीव गाँधी अमर रहेंगे इत्यादि. इसके अलावा उन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिए मुंबई में गीत भी लिखे हैं, जैसे- ड्रीम सिटी मुंबई, बीयर-बार, मेरी प्यारी माँ, गुनाह है इश्क, डॉक्टर रंगीला ज़िन्दगी बन गए हो तुम, ये है युवा आन्दोलन इत्यादि.
उनके गाये एवं लिखे गीतों की भी लम्बी फेहरिस्त रही है, जो काफी लोकप्रिय भी रहे हैं. जैसे- दिल-ए-नादान माने ना, मैं हूँ तेरा दीवाना, सॉई-अमृतधारा, आ जाओ मेरे सॉई देवा, साँई चालीसा, अण्डे का फण्डा, राधा का दीवाना तू श्याम, साई तुम मेरे हो, साई मंत्र, डॉ. अम्बेडकर जीवनगाथा, शिरडी के साईबाबा की महिमा, सुनो रे भीम कहानी आदि लगभग 45 ऑडियो/वीडियो म्यूजिक एलबम रिलीज हो चुके हैं.
पिता के साथ किया संयुक्त लेखन कार्य :
अवनीश जी ने अपने पिता श्री अमर सिंह राही जी के संयुक्त लेखन में लगभग 530 पृष्ठों और सात काण्डों में “भीमचरित मानस महाकाव्य” की रचना की, जिसमें दोहा, चौपाई,छंद, लावनी, सवैया, बहरतबील, चौबोला, राधेश्याम, आल्हा गीत, भजन, रागिनी, संवाद आदि पारम्परिक लोक-विधाओं का बेहतरीन समावेश दिखता है. सम्यक प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित इस महाकाव्य का विमोचन पिछले दिनों महामहिम उपराष्ट्रपति डॉ. हामिद अंसारी के कर-कमलों द्वारा किया गया.
इसी कड़ी में उत्तरोतर उन्होंने अपने पिता के संयुक्त लेखन में भगवान बुद्ध व उनका धम्म पर आधारित लोक विधाओं में “बुद्ध ज्ञान महासागर” पवित्र धम्म ग्रंथ की रचना की. इसमें भगवान बुद्ध के जीवन एवं धम्म का प्रारंभ से अंत तक अत्यंत मार्मिक चित्रण किया गया है. इसमें भगवान बुद्ध के अमूल्य वचनों से ओत प्रोत लगभग 800 दोहों को भावार्थ सहित समावित किया गया है. इस महान पवित्र धम्मग्रंथ का विमोचन पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के हाथों किया जा चुका है.
विभिन्न उपाधियों एवं पुरस्कारों से सम्मानित :
अवनीश जी वर्ष 2001 से निरंतर फिल्म राईट्र्स एसोसिएशन, मुंबई (WFA) के आजीवन सदस्य हैं और साथ ही वे इंडियन परफॉर्मिग राईट सोसायटी (IPRS) के आजीवन सदस्य भी हैं. उनके उत्कृष्ट व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर कई डॉक्यमेंट्री फिल्में भी निर्मित हो चुकी हैं, जिनमें 'काव्य रसधारा' तथा 'हौसलों की उड़ान' डॉक्यूमेंट्री फिल्मों का प्रसारण टी.वी. पर भी किया जा चुका है.