नाम – आशीष रंजन सिंह ‘निराला’
पद – राष्ट्रीय सह सचिव कार्यालय, जनता दल (यू)
नवप्रवर्तक कोड –
जीवन परिचय :
बाल्यकाल से ही राजनीति में रुझान रखने वाले युवा राजनीतिज्ञ आशीष रंजन सिंह जनता दल (यू) का एक जाना-पहचाना नाम है. मूल रूप से पटना के सीमावर्ती क्षेत्र बेल्छी ब्लॉक के कोरारी गांव के निवासी आशीष जी कृषक परिवार से संबंधित हैं और वर्तमान में वर्ष 2009 से दिल्ली में रह रहे हैं. अपने ग्राम से ही प्रारंभिक शिक्षा लेने के उपरांत उन्होंने पटना के एनएस कॉलेज से इंटरमीडिएट की.
आशीष रंजन ने ग्वालियर के इंस्टिट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट से बायो विषय में स्नातक किया है. इसके अलावा उन्होंने फरीदाबाद से एमबीए की डिग्री प्राप्त की है. अपने करियर की शुरुआत में उन्होंने बहुत सी कंपनियों में नौकरी की, जिनमें एचडीएफसी बैंक, रिलायंस कैपिटल इत्यादि प्रमुख है. युवा जदयू दिल्ली प्रदेश में उपाध्यक्ष रहने के उपरांत वर्तमान में आशीष रंजन जदयू के अंतर्गत राष्ट्रीय सह सचिव कार्यालय के पदभार को वहन कर रहे हैं.
राजनीतिक सफ़र :
विद्यार्थी जीवन से ही आशीष रंजन नीतीश कुमार जी की राजनीतिक विचारधारा से अत्याधिक प्रभावित थे, विशेष रूप से उनके मार्ग निर्देशन में निर्मित समता पार्टी की ओर उनका रुझान रहा. आठवीं कक्षा में उन्होंने अध्यापक दिवस के लिए एकत्रित की गयी धनराशि गांधी मैदान में खो दी थी, जहां वे बिहार पुनर्निर्माण रैली देखने के लिए गये थे. वर्ष 2004 से आशीष रंजन तकनीकी रूप से राजनीति में सक्रिय होकर समता पार्टी के साथ जुड़ गये थे. इस कड़ी में वे छात्र समता पार्टी में प्रदेश सचिव पद पर रहे, परन्तु शिक्षा के चलते कुछ वर्षों के लिए उन्हें राजनीति से दूर होना पड़ा.
उच्च शिक्षा प्राप्त कर उन्होंने पहले तो कई एक जगह नौकरी की, परन्तु उसके बाद उन्होंने स्वयं का व्यवसाय आरम्भ किया और आर्थिक रूप से सशक्त होने के उपरांत उन्होंने एक बार फिर युवा जनता दल यूनाइटेड से जुड़कर अपने राजनीतिक जीवन का पुन: आरम्भ किया. युवा जदयू दिल्ली प्रदेश में उपाध्यक्ष की जिम्मेदरी का निर्वहन करने के पश्चात उनकी काबिलियत को देखते हुए जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी एवं जदयू के राष्ट्रीय महासचिव आरसीपी सिंह ने उन्हें जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय सह सचिव कार्यालय की जिम्मेदारी सौंपी.
ग्राम विकास की दिशा में किये गये कार्य :
आशीष रंजन के अनुसार उनका ग्राम कोरारी लगभग 8-9 हज़ार की आबादी वाला इलाका हुआ करता था, जिसमें सड़क सुविधा उपलब्ध नहीं थी. सड़क के नाम पर खड्डों से भरा मार्ग भर था, उन्होंने अपने प्रयासों के बलबूते गाँव में सड़क की व्यवस्था करायी. बंद होने की कगार पर खड़े बैंकों, डेयरी और लाइब्रेरी को दोबारा से चालू करवाया और भ्रष्टाचार के कारण बंद हो चुकी बहुत सी योजनाओं को सम्बन्धित अधिकारियों से मिल कर क्रियान्वित करवाया, जिससे ग्राम सुविकसित हो सके.
राजनैतिक जीवन से जुड़ा संघर्ष :
अपने जीवन से जुड़ी राजनीतिक कठिनाइयों के विषय में आशीष रंजन का कहना है कि राजनीति कोई सरल मार्ग नहीं है, यह मुश्किलों से परिपूर्ण है. अनगिनत लोग राजनीति में अपना करियर बनाना चाहते हैं, परन्तु सफल वही होते हैं, जो दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ आगे बढ़ते हैं. अपने शुरूआती राजनीतिक दौर के बारे में चर्चा करते हुए वह कहते हैं कि उक्त समय बिहार में किसी पार्टी के दो सदस्यों की हत्या हो जाने से बेहद तनाव का माहौल था, जिसके लिए किए गये धरना प्रदर्शन में वह शामिल भी हुए और उन्हें जेल भी जाना पड़ा. अल्पायु में ही राजनीति के प्रति उनके जुझारूपन और जज्बे को देखते हुए आशीष रंजन तत्कालीन बड़े जदयू नेताओं जैसे, नीतीश कुमार जी, ललन सिंह जी, सतीश कुमार जी की नजरों में आए.
उनके अनुसार वह समय बेहद भयावह था, क्योंकि हालात ऐसे थे कि किसी भी व्यक्ति
का नाम लेना जोखिम लेने के समान था. जिसके कारण पारिवारिक विरोध भी सहन
करना पड़ता था. समाज हित के प्रति लग्न को अनदेखा कर लोग उनकी शिकायत उनके
माता-पिता से किया करते थे कि शिक्षा प्राप्त करने की आयु में वह राजनीति कर रहे
हैं, परन्तु आशीष रंजन ने अपने मन से कभी राजनीतिक भावना को हटने नहीं दिया. भले ही
शिक्षा के लिए उन्हें राजनीति से विराम लेना पड़ा हो किन्तु उनके दिल से इस क्षेत्र
के प्रति जूनून कभी कम नहीं हुआ.
दिल्ली से जुड़े स्थानीय मुद्दों पर समझ :
आशीष रंजन ने एमसीडी चुनावों के समय दिल्ली को बेहद नजदीक से देखा और जाना कि दिल्ली केवल लुटियंस जोन तक ही सीमित नहीं है, अपितु यहां की भी अपनी बहुत सी मूलभूत समस्याएं हैं. आज़ादी के 71 वर्ष बाद भी देश की राजधानी में बिजली, पानी, सड़क जैसी मौलिक सुविधाओं का आज भी अभाव है. शिक्षा की व्यवस्था भी यहाँ बेहद लचर है, जिसके कारण बहुत से छात्र अच्छी शिक्षा से वंचित रह जाते हैं.
उनके अनुसार जेजे कॉलोनी की 80 प्रतिशत
गलियां कीचड़ से सरोबार हैं, जो बेहद शर्मनाक है. दिल्ली में शिक्षा एवं स्वास्थ्य
ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर कार्य होना अति आवश्यक है. इसके साथ ही बिहार की ही भांति
दिल्ली में भी शराबबंदी की जानी चाहिए, ताकि युवा वर्ग नशे में अपना जीवन बर्बाद
नहीं करे.
सामाजिक सरोकार :
प्रवासी एवं जरुरतमंद लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का निदान करने में आशीष रंजन सदैव आगे रहते हैं, फिर चाहे वह हॉस्पिटल में नंबर लगवाना हो या किसी डॉक्टर से परामर्श दिलवाना. इसके अतिरिक्त वे जनता की मूलभूत आवश्यकताओं को लेकर संबंधित अधिकारियों को अवगत कराते रहते हैं. उनका कहना है कि विशेषकर पेयजल के मुद्दे को लेकर राजधानी में हालात बेहद खराब हैं, लोगों को घंटों टैंकरों की लाइन में खड़ा होना पड़ता है, इस स्थिति के निवारण के लिए वे जल बोर्ड के अधिकारियों से वार्तालाप करते रहते हैं.
राष्ट्रीय मुद्दों पर अवलोकन :
किसी भी देश की प्रगति के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा के मुद्दों पर कार्य किया जाना आवश्यक है, उनके अनुसार यदि इन दोनों मुद्दों पर सुनियोजित तरीके से ध्यान दिया जाए तो निश्चित रूप से देश का विकास होगा. साथ ही उनका मानना है कि बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण रखना भी आज समय की मांग है. राजधानी दिल्ली में घातक रूप से बढ़ते प्रदूषण के चलते लोग सांस तक ठीक प्रकार से नहीं ले पा रहे हैं, इस दिशा में उचित कदम उठाने की आवश्यकता है.
वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत :
आशीष रंजन के अनुसार विगत कुछ वर्षों में भारत ने काफी प्रगति की है, देश में बहुत बदलाव आया है. नागरिकों के अथक योगदान से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि सुधरी है. उनका मानना है कि विदेशी नीति लॉन्ग टर्म होती है, इसलिए उसमें नवपरिवर्तनों की गुंजाइश सदैव बनी ही रहती है, सरकार यदि इस स्तर पर विचारपूर्ण होकर कार्य करे तो देश वैश्विक तौर पर नए कीर्तिमान स्थापित कर सकता है.