Name-Ashok singh
Designation - Block leader Rohini, congress, Kanpur dehat
Innovator Code - 71182898
परिचय
अशोक सिंह ने २००३ में १२वीं कि शिक्षा ग्रहण की। उस वक्त उनके जीवन में सबसे बड़ा परिवर्तन तब आया जब उनके हिन्दी के प्रवक्ता ने कक्षा में बोर्ड पर एक रेखा खींच कर विद्यार्थियों
से यह सवाल पूछा कि यदि उस रेखा को छोटा करना है तो क्या किया जाए? जल्दबाजी में अशोक जी ने उस रेखा को मिटा कर उसे छोटा करने का उत्तर दिया था जिस पर उनके अध्यापक मुस्कुरा उठे और बोले कि यदि उस रेखा से बड़ी रेखा खींच दी जाए तो पहली रेखा अपने आप छोटी हो जाएगी। उन्हें अशोक जी से बहुत उम्मीदें थी। उस दिन अशोक जी ने सीखा कि अगर किसी से आगे निकलना है तो बिना उसे नुकसान पहुँचाए उससे आगे बढ़ कर काम करना चाहिए। यही उद्देश्य उनके जीवन का भी बन चुका था।
राजनीतिक सफर
२००७ में उन्होनें अपना दिल और दिमाग पूर्ण रूप से समाज सेवा में लगा दिया। २०११ मे वह कांग्रेस पार्टी के सदस्य बने और समाज कि भलाई के लिए काम करने लगे। उन्होंने निम्न वर्ग कि आवाज़ बुलंद करने का भी संकल्प लिया और उस पर खड़े उतरे। समाज में फैले भेद-भाव के कारण अशोक जी को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा । उनके साथ
के लोगों के द्वारा उन पर डाला जा रहा दबाव और तानों से वह कमज़ोर नहीं पड़े और पूरी निष्ठा के साथ उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी का बढ़-चढ़ कर 2012 के विधान सभा चुनाव में साथ दिया। हालांकि उनके क्षेत्र से बसपा विजयी हुई और कांग्रेस को हार का सामना करना
पड़ा था। उनकी लगन, मेहनत और कांग्रेस के प्रति उनका समर्पण देख कर पार्टी ने उन्हें ज़िला अध्यक्ष बना दिया था।
अशोक जी दो बार ग्राम सभा चुनाव में भी खड़े हो चुके थे परंतु समाज में निम्न जाति कि बात हमेशा आगे रखने के कारण उनके बराबरी के लोगों ने उनका हर तरीके से साथ छोड़ दिया था। उस कारण वह दोनों बार ग्राम सभा चुनाव में हार गए ।
लक्ष्य लोगों की सहायता करना
उनके समाज सेवा कि ओर रूझान कि सबसे बड़ी वजह थी उनके क्षेत्र कि अविकसित व्यवस्था। जमुना के बीहड़ पट्टी इलाके से कोई भी नेता या प्रतिनिधि चुनाव में खड़ा नही हुआ । सारे विधायक -सांसद बाहरी होने के कारण गरीबों को वादे करके गायब हो जाते थे। भ्रष्टाचार के कारण गरीबों को रोजमर्रा की कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। आज आलम यह है कि सामान जाति /आय /निवास प्रमाणपत्र के लिए कार्यकर्ता गरीबों को लूट रहे हैं। वह बस इस काबिल बनने कि तमन्ना रखते हैं कि वह लोगों कि रोजमर्रा कि परेशानियों का निवारण कर सके।
क्षेत्रीय मुद्दे
अपने क्षेत्र में वह शिक्षा कि कमी को सबसे बड़ी सामाजिक दिक्कत बताते हैं। बीहड़ पट्टी में ना ही अच्छे विद्यालय हैं व ना ही यातायात के साधन। अच्छे विद्यालय क्षेत्र से बाहर हैं और यातायात कि असुविधा से कठिनाइयां और बढ़ जाती हैं । दूसरी समस्या वह बताते हैं खेतों में सिचाई कि खस्ताहाल सुविधा। किसान मूलरूप से खेती पर निर्भर रहता है और सिंचाई के पानी कि अनउपलब्धता किसानी कठोर कर देती है। यदि सिचाई का कोई साधन बनाता भी है तो बिजली कि कमी के कारण वह प्रयास भी व्यर्थ हो जाता
है।
अशोक जी इन समस्याओं का यह समाधान बताते हैं कि जिस प्रकार इंसानों का इलाज पशु चिकित्सक नहीं कर सकता है उसी प्रकार उनके क्षेत्र की समस्याओं की समझ और उसका विकास कोई बाहरी व्यक्ति नहीं बल्कि क्षेत्र का कोई प्रतिनिधि ही कर सकता है। वह मानते हैं कि यदि भारतवर्ष मे लोगों को अच्छी शिक्षा प्राप्त हो जाए तो भ्रष्टाचार, बेरोजगार और बढ़ती जनसंख्या का चिंतन स्वयं दूर हो जाएगा।