नाम – अशोक सिंह
पद - प्रदेश प्रवक्ता (काँग्रेस), लखनऊ, उत्तर प्रदेश
नवप्रवर्तक कोड – 71188959
कॉंग्रेस पार्टी से उत्तर प्रदेश मीडिया संचालन समिति के समन्वयक व प्रदेश प्रवक्ता की जिम्मेदारी का वहन कर रहे अशोक सिंह विगत तीन दशकों से राजनीतिक तौर पर सक्रिय हैं। मूल रूप से प्रदेश के इटावा जिले से आने वाले अशोक सिंह कॉंग्रेस के बैनर तले विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके हैं।
छात्र जीवन से ही कॉंग्रेस के माध्यम से राजनीति में सक्रिय होकर उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय स्वयं संगठन, युवक कॉंग्रेस, एलएनटीए कॉंग्रेस कमेटी, संगठन मंत्री इत्यादि विभिन्न पदों पर सेवाएं दी हैं। इटावा जिले से पिछले 27-28 वर्ष से पार्टी के विकास क्रम से अशोक सिंह जुड़े हैं और संगठन के अंतर्गत उनका जनसेवा क्रम जारी है। बैलटबॉक्सइंडिया को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को लेकर पार्टी की विचारधारा व अन्य दलों की भूमिका से जुड़े बहुत से विचारों को साझा किया।
कॉंग्रेस से जुड़े अपने राजनीतिक अनुभवों के बारे में बताएं?
अशोक सिंह - अपने 27-28 वर्ष के राजनीतिक व सामाजिक जीवन में हमने बहुत से उतार चढ़ाव देखें हैं, लेकिन अपनी सशक्त विचारधारा को लेकर आगे बढ़े हैं। इंदिरा जी, राजीव जी, जवाहर लाल नेहरू जी की विचारधारा व उनके सिद्धांतों को हमने आगे बढ़ाने का प्रयास सदैव किया है और आज भी बिना किसी पद-प्रतिष्ठा की इच्छा के निरंतर यही प्रयास जारी है।
समाज की अगुवाई करने का निर्णय क्यों लिया?
अशोक सिंह - आप संस्था/एनजीओ से जुड़कर कार्य करें, स्वयंसेवक के तौर पर सेवा करें या किसी राजनीति संगठन से जुड़कर लेकिन किसी भी क्षेत्र में जनसेवा करना बेहद अहम है। हमें कॉंग्रेस की विचारधारा प्रभावित करती है, बाकी दलों में राजनीतिक लालसा, महत्वाकांक्षा और अमर्यादित भाषा शैली अधिक दिखाई देती है लेकिन कॉंग्रेस में ऐसा नहीं है। कॉंग्रेस के तहत यदि कोई भी कार्यकर्ता एक छोटा सा भी कार्य करता है तो पार्टी उनका सम्मान करती है।
उदाहरण के तौर पर आप पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू जी को देखें, वह स्वयं भी एक साधारण परिवार से आते हैं और पार्टी में इस तरह से साधारण लेकिन कर्मठ लोगों की कोई कमी नहीं है। हम पार्टी के लिए हमेशा शीर्ष नेतृत्व के अंतर्गत जनसेवा करेंगे।
आपके जीवन का आदर्श कौन हैं, जिनसे प्रभावित होकर आपने राजनीति में शामिल होने का निर्णय लिया?
अशोक सिंह - छात्र जीवन से ही हम पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी ने प्रेरित होकर आगे बढ़े हैं, जैसे उन्होंने संचार क्रांति, किसानों की प्रगति को लेकर एक वैचारिक लहर उत्पन्न की, वैसे ही हमने उनसे प्रभावित होकर छात्र आंदोलन में शिरकत की।
पहले राजनीति का स्वरूप बेहद स्वच्छ था, वर्तमान की तरह बिगड़ी हुई भाषा शैली, अत्याधिक महत्वाकांक्षा इत्यादि नहीं था लेकिन अब राजनीति का स्तर बेहद गिरा है। हम व्यक्तिगत तौर पर मानते हैं कि राजनीति में भाषा की अहमियत काफी अधिक है क्योंकि एक राजनीतिक व्यक्ति समाज का आईना होता है, उसके कंधों पर समाज की जिम्मेदारी होती है। लेकिन आज वर्तमान सरकार के अंतर्गत नेताओं की भाषा अच्छी नहीं है।
हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि देश के निर्माण में कॉंग्रेस की अहम भूमिका रही है। चुनावों के दौर में बार बार यह कहना कि 70 सालों में देश में सुधार नहीं हुआ, तरक्की नहीं हुई, रोजगार नहीं मिला और फिर उसी को आधार बनाकर जनता से बड़े बड़े खोखले वायदे कर लेना क्या उचित है? और उस पर अंतत: सरकार के नुमाइंदे कहते हैं कि यह तो राजनीतिक जुमले हैं तो इस तरह का व्यवहार गलत है। इस जुमलेबाजी से व्यक्तिगत तौर पर आघात लगता है कि यह किस प्रकार की विचारधारा है।
देश को आजादी लंबे संघर्ष के बाद मिली है, उसमें हमारे पूर्वजों का, देश के नागरिकों का अहम योगदान रहा है। मगर जिस तरह की कटाक्षपूर्ण, अमर्यादित भाषा का प्रयोग आज सरकार के नुमाइंदे करते है वह निराधार है।
प्रदेश स्तर पर कौन से ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर सरकार को ध्यान देना चाहिए?
अशोक सिंह - यदि हम विचार कर देखेंगे तो पाएंगे कि प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बसपा, सपा और भाजपा तीनों की ही रही है। लेकिन फिर भी बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या रही है। कोई भी समाज तभी तरक्की करता है जब युवाओं के पास बेहतर रोजगार हो, समाज की कानूनी व्यवस्था उत्तम हो।
हमनें 20 वर्ष की राजनीति में बहुत से ऐसे दौरा देखें, जहां लोगों को कभी धर्म, कभी जाति या कभी अन्य किसी आधार पर बरगलाया गया और अपराधों का स्तर बढ़ता रहा। आप मंथन करें कि आस्था सभी की है, धर्म सभी के लिए है, लोकतंत्र में सभी को समान अधिकार प्राप्त हैं तो फिर धर्म, आस्था या जाति को लेकर दिखावा क्यों।
आज युवाओं, किसानों, मजदूरों को रोजगार चाहिए न कि 2-4 किलो अनाज। मुद्दों पर चुनाव लड़े जाने चाहिए न कि धर्म-मजहब या जातिगत राजनीति को लेकर। मात्र जिलों के नाम बदलने से आप भारत का विकास नहीं कर सकते हैं, उसके लिए आपको धरातल पर विकास के कार्य करने होंगे। आज सरकार के प्रत्येक भाषण में हिंदू-मुसलमान आ जाता है, क्या यह सही है? यदि सरकार की नजरों में लोकतंत्र की सार्थकता होती तो प्रदेश में किसानों की शहादत नहीं होती, दलितों के साथ अत्याचार नहीं होता, संविधान के स्वरूप को खंडित नहीं किया जा रहा होता। कॉंग्रेस इन सभी मुद्दों को लेकर ही आज खड़ी हुई है और जनता के बीच पहुँच रही है।
बड़े नेताओं के कॉंग्रेस छोड़ने पर क्या कहना चाहेंगे?
अशोक सिंह - गद्दारों को तो समाज भी माफ नहीं करता है। आपको पार्टी के द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारी व सम्मान दिया गया, जो कि एक आम आदमी का स्वप्न होता है। आज जब पार्टी को आपकी जरूरत है तो आप पार्टी को ही छोड़ रहे हैं। इस प्रकार के लोग दोगले चरित्र के लोग होते हैं जो आगे जाकर भले ही व्यक्तिगत स्तर पर किसी बड़े पद को प्राप्त कर लें लेकिन वें कभी भी समाज को दिशा नहीं दे सकते क्योंकि उनके पास सिद्धांतों की ताकत नहीं है।
यह प्रश्न सोच और विचारधारा का है, कार्यकर्ता पार्टी की रीढ़ होते हैं। आज भी कॉंग्रेस के सच्चे कार्यकर्ता खड़े हैं और प्रियंका गांधी जी के नेतृत्व में एक सामाजिक व राजनीतिक क्रांति देश-प्रदेश में होने जा रही है। प्रियंका जी ने आज महिलाओं, युवाओं, छात्रों, किसानों सहित समाज के उन तमाम वर्गों की भी आवाज उठाई है, जिन्हें किसी भी दल में सम्मान नहीं मिलता है। जिनके अधिकारों को झूठ व फरेब की राजनीति में दबा दिया जाता है।
आप बैलटबॉक्सइंडिया के मंच के माध्यम से जनता को क्या संदेश देना चाहेंगे?
अशोक सिंह - मैं अपने युवा भाइयों, मित्रों, बहनों सभी से यह अपील करना चाहूंगा कि हम सभी के पास मतदान का अधिकार है, जिसका उचित उपयोग हमें करना है। आप देखें कि वास्तविक मुद्दों यानि महंगाई, बेरोजगारी पर आज कोई भी बात नहीं कर रहा है। आप सभी नौजवान सोच समझ कर विचार कर अपने मतदान का प्रयोग करें। आपने प्रदेश में सभी सरकारों का दौर देखा है, उसे परखिये व समझिए। आइए एक अवसर कॉंग्रेस को दें। मैं अपने नौजवानों, मित्रों, बहनों से अपील करता हूँ कि प्रियंका जी को, कॉंग्रेस को एक मौका दें और एक स्थायी सरकार के लिए परिवर्तन में सहभागी बनें।