अरविंद केजरीवाल भारतीय राजनीतिज्ञ और दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं. वह आम आदमी पार्टी से जुड़ें हुए हैं और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं. सक्रिय राजनीति में आने से पहले वह भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में कार्यरत थे बाद में उन्होंने नौकरी छोड़ सामाजिक कार्यों में अपनी रुचि दिखानी शुरू कर दी.
उन्होंने सरकारी कामकाज़ में पारदर्शिता लाई जा सके उसके लिए काफी संघर्ष किया. भारत में सूचना का अधिकार कानून बनाने के लिए उन्होंने अरुणा रॉय के साथ जमीनी स्तर पर इसे सक्रिय बनाने के लिए चुपचाप सामाजिक आंदोलन चलाया और 2005 में इस कानून को बनवाने में मदद की. इसके लिए उन्हें देश भर से पुरस्कार और प्रोत्साहन मिला. साथ ही हमारी सरकारों को जनता के प्रति जवाबदेह बनाने के लिए और सबसे गरीब तबकों को भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ने के लिये सशक्त बनाने हेतु उन्हें साल 2006 में वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) में नौकरी करते हुए उन्हें दिल्ली में आयकर आयुक्त कार्यालय में नियुक्त किया गया. यहां कार्य करते हुए उन्होंने महसूस किया कि सरकार में फैले भ्रष्टाचार के कारण पारदर्शिता की बेहद कमी है. भारतीय राजस्व सेवा में कार्यरत रहते हुए भी उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज उठानी शुरू कर दी. अरविंद केजरीवाल ने इसकी शुरुआत अपने आयकर कार्यालय से ही की. पारदर्शी व्यवस्था के लिए उन्होंने कई परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.
वर्ष 2000 में, उन्होंने काम से अवकाश ले लिया और ‘परिवर्तन’ नामक एनजीओ की स्थापना की, जिसका लक्ष्य पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन को सुनिश्चित करने के लिए काम करना है. इसके जरिए उन्होंने दिल्ली और उसके आसपास की जगहों में लोगों की मदद करने का लक्ष्य रखा. बाद में नौकरी पर भी लौटे मगर वर्ष 2006 में वह नौकरी से इस्तीफा देकर अपना पूरा समय 'परिवर्तन' के ही काम में लगाने लगे.
केजरीवाल लंबे समय से सामाजिक सरोकार से जुड़ें रहे हैं. वह 'साथी' नामक एनजीओ से भी जुड़े रहे हैं. केजरीवाल ने पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन नामक एक गैर-सरकारी संगठन भी बनाया हुआ है. यही नहीं इंडिया अगेंस्ट करप्शन के साथ जुड़ कर केजरीवाल ने सन् 2011 के अप्रैल में समाजसेवी अन्ना हजारे और कई सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ जंतर-मंतर पर एक सशक्त लोकपाल विधेयक बनाने की माँग को लेकर आंदोलन शुरु किया. अन्ना हजारे जंतर-मंतर पर आमरण अनशन पर बैठ गए. उनकी मांग थी एक मजबूत भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल विधेयक बनाया जाए इस मांग के तहत भारत सरकार को लोकपाल बिल का मसौदा भी दिया गया था. सरकार ने इसकी उपेक्षा की जिसका परिणाम यह हुआ कि आगे चलकर यह छोटा सा आंदोलन जन आंदोलन के रुप में परिवर्तित हो गया. देशभर से असंख्य लोगों का साथ मिला जिसके कारण सरकार को लोकपाल की मांग को लेकर झुकना पड़ा.

जन लोकपाल आंदोलन को मिले समर्थन से उत्साहित अरविंद केजरीवाल ने राजनीतिक पार्टी बनाने का विचार बनाया. अरविंद केजरीवाल का मानना था कि देश में जिस तरीके से राजनीति की जा रही है उसमें बदलाव लाये जाने की जरुरत है और उसी के विकल्प के तौर पर उन्होंने राजनीतिक पार्टी बनाने का फैसला किया. हालांकि अन्ना हजारे इसके पक्ष में नहीं थे बावजूद उसके केजरीवाल राजनीति में सक्रिय हो गए. अन्ना और किरण बेदी किसी भी पार्टी से जुड़ने से इनकार कर दिया और वह केजरीवाल से अलग हो गए. केजरीवाल ने जन लोकपाल के अपने दूसरे सहयोगियों के साथ मिलकर गाँधी जयंती के दिन 2 अक्टूबर, 2012 को राजनीतिक पार्टी का गठन किया और 26 नवम्बर 2012 को भारतीय संविधान अधिनियम के 63 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर जंतर-मंतर पर इसे ‘आम आदमी पार्टी’ का नाम दिया. दावा है कि आम आदमी पार्टी का उद्देश्य स्वराज है.

आगे जो हुआ उसे सब जानते हैं. आम आदमी पार्टी को आज भारत में लगभग सभी जानते हैं. दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 67 सीटों पर ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद आज धीरे-धीरे पार्टी ने दूसरे राज्यों में भी अपने पैर जमाने शुरू कर दिए हैं और अरविंद केजरीवाल आज पूर्णतः राजनीति में सक्रिय हो चुके हैं.
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