अरुण सिंह एक समाजसेवक हैं तथा वर्तमान में वह वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में एक्सपर्ट के रूप में कार्यरत हैं. वह सामाजिक सरोकार के कार्यों से भी जुड़े रहते हैं. उन्होंने अब तक समाज के लिए कई कार्य किए हैं. अरुण सिंह का जन्म उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के प्रतापपुर गाँव में हुआ. इन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा प्रतापपुर गाँव के प्राइमरी विद्यालय से ही की. इन्होंने कक्षा 6 से 12 तक की पढ़ाई सुल्तानपुर के गवरमेंट इंटर कॉलेज से पूरी की. उसके बाद गुलबर्गा यूनिवर्सिटी (कर्नाटक) से मकैनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की.
वर्तमान में यह लखनऊ के सरोजिनी नगर में अपना वर्कशॉप चलाते हैं. उन्होंने सन 1991 में ही सुल्तानपुर छोड़ दिया था तथा इसके बाद वह 2012 से स्थायी तौर पर लखनऊ में रह रहे हैं. ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद सन 1996 से 2010 तक इन्होंने कई कंपनियों में काम किया. 2010 के पश्चात इन्होंने खुद का व्यापार शुरू किया. अरुण सिंह जी ने देश में पहली बार किसी प्राइवेट चैनल की ओवी वैन बनाई. जी हाँ ये अरुण जी ही हैं जिन्हें देश में पहली बार आउटर ब्राडकास्टिंग वैन बनाने का श्रेय प्राप्त है. इन्होंने सर्वप्रथम आजतक चैनल के लिए ओवी वैन बनाया. इसके अलावा इन्होंने एनडीटीवी, ज़ी न्यूज़ के लिए भी ओवी वैन का निर्माण किया.
अरुण सिंह लगातर सामाजिक कार्यों के प्रति जागरूक रहते हैं तथा उन्होंने कई एनजीओ में भी काम किया है. इतना ही नहीं उन्होंने पूर्व में हमारे महँ वैज्ञानिक और पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर ए.पी.जे अब्दुल कलाम जी के साथ मिलकर एक “बटरफ़्लायी” नामक एनजीओ में भी काम किया है, जो कि मनरेगा के कामों जैसा था. जिसमें उन्होंने ऐसे ग्रामीणों पर सर्वे किया, जो गांवों से पलायन कर रहे थे. जिसके अनुसार गाँव में आधारभूत सुविधाओं के अभाव के कारण गाँव के लोग पलायन करते हैं. अब्दुल कलाम जी उस समय ऐसी योजना बनाना चाहते थे, जिससे युवाओं का गांवों से पलायन रुक जाए. इसके लिए तीन राज्य चिन्हित किए गए थे, किन्तु यह योजना कागजों पर ही रह गयी.
अरुण सिंह वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में कार्य करते रहते हैं, जिसके तहत उन्होने ‘इंटरलॉकिंग टाइल्स’ का कान्सैप्ट अपनाया. उनका ऑटोसबमीशन का बिजनेस था, जिसमें वह मशीनों को नई तरीके से डिज़ाइन करते हैं. इसके अलावा सॉलिड व तरल वेस्ट मैनेजमेंट के लिए जरूरत पड़ने वाली मशीनों को बनाने का काम भी किया जाता है. वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में वह कूड़े को रीसाइकल करके उसे दोबारा उपयोग में लाते हैं. हम आज जो सड़कों के किनारे फूटपाथ पर सफ़ेद और लाल रंग के टाइल्स देखते हैं वह इन्हीं के द्वारा वेस्ट मैनेजमेंट के तहत बनाया गया है. अरुण जी खुद ही समाज सेवा का कार्य नहीं करते बल्कि उनका मानना है कि सभी लोगों को अपने व्यवसायिक कार्यों के अलावा भी समाज के लिए थोडा वक्त निकल कर कार्य करने की जरुरत है.