अमल कुमार भारतीय राजनीतिज्ञ और जनता दल (यूनाइटेड) के सक्रिय नेता है. फिलहाल वह दिल्ली के युवा जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष हैं. महज कुछ वर्ष पहले ही यानि 2010 में जनता दल यूनाइटेड से जुड़े अमल कुमार ने राजनीति में अपनी अच्छी खासी पहचान बना ली है. आप जनता दल यूनाइटेड से जुड़ने से पहले रामविलास पासवान की पार्टी से वर्ष 2009 में जुड़े थे जहां वह दलित सेना में थे. मगर यहां वह जो करना चाह रहे थे वह कर नहीं पा रहे थे. ऐसे में उन्हें जनता दल यूनाइटेड से जुड़ने का मौका मिला और तब से अब तक वह जनता दल यूनाइटेड में सक्रिय तौर पर कार्य कर रहे हैं. आप समाजसेवी के तौर पर भी सक्रिय रहे हैं. मुख्य तौर पर अमल कुमार बिहार के मूल निवासी हैं और बेगूसराय के रहने वाले हैं. दिल्ली में उनका निवास स्थान रोहिणी है. वैसे तो इनकी छवि राजनेता की है मगर व्यक्तिगत तौर पर इन्होंने अपने मेहनत और कार्यों से लोगों के दिल में अपना अलग स्थान बना रखा है.
1997 में वह बिहार से दिल्ली एक सपने को लेकर आए. वह दिल्ली में एलएलबी कर यहीं वकालत करना चाहते थे और साथ ही इसी माध्यम से वह लोगों की मदद भी करना चाहते थे. मगर उन्हें इसमें सफलता नहीं मिली. पारवारिक हालात के कारण वह एलएलबी नहीं कर पाए और उन्हें नौकरी करनी पड़ी. बाद में भले ही उन्होंने लगभग दस वर्षों के बाद बारहवीं पूरी की और फिर स्नाताक की पढाई. बहरहाल एलएलबी का सपना त्याग वह कई शहरों में काम की तलाश और काम करने गए. ग्वालियर में काम करते हुए उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया वह भी बिना कसूर. इसके बाद उन्हें काम मिलने में काफी मशक्त करना पड़ा तब उन्हें यह एहसास हुआ कि ऐसे में जो अनपढ़ होंगे उन्हें कितनी परेशानी होती होगी. ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जो इन्हें काम की पूर्ण गारंटी दे पाये. ऐसे में अमल कुमार को लगा कि इस सिस्टम को बदलना चाहिए जिसे एक व्यक्ति नहीं बदल सकता इसे बदलने के लिए राजनीतिक भागीदारी जरुरी है. जहां इसके लिए कानून बनाया जा सकता है.
राजनीति में आने के बाद भी उनके स्पष्ट विचार आपको हतप्रभ कर देंगे. उनका कहना है कि आज राजनीति का स्तर गिरा है इंसान को इंसान नहीं समझा जा रहा. सब अपने स्वार्थ के लिए एक दूसरे को दबाने में लगे हुए हैं. आदमी तानाशाही की ओर बढ़ रहा हैं. चाहे एक परिवार को ले लीजिए, समाज को ले लीजिए या किसी देश को. उनका कहना है कि वह समाज में विकास देखना चाहते हैं, चाहते हैं कि देश में विकास हो. उनका मानना है शिक्षा व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए, सभी को रोजगार मिल सके, सभी किसान को उसका हक मिल सके, उसकी आए अच्छी हो. लेकिन ऐसा कुछ नहीं है हर आदमी परेशान है चाहे किसान ले लीजिए, मजदूर को देख लीजिए, युवा ले लीजिए, शिक्षा व्यवस्था देख लीजिए, रोजगार सभी जगह एक ही जैसा हाल है.
उनका मानना है कि युवाओं को एक सही दिशा देने की जरूरत है अगर ऐसा नहीं होता है देश गलत दिशा में चली जाएगी. ऐसे में युवाओं को देश के लिए सोचना चाहिए अगर हमारे युवा देश के बारे में सोचें तो देश का बहुत भला हो सकता है. मगर युवाओं के बारे में कोई नहीं सोच रहा है. मोदी जी सत्ता में आए थे तो युवाओं के लिए उन्होंने कई घोषणाएं की थी मगर किसी को भी उन्होंने पूरा नहीं किया.
अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनकर वो राजनीति में आए. एक साथ कई कंपनियों को संभाल रहे अमल जी चाहते तो अपने बिजनेस में रहकर आसानी से अपना जीवन चला सकते थे मगर उन्हें खुद ही लगा करता था कि उन्हें संतुष्टि नहीं मिल रही. ऐसा लगता था कि देश के प्रति वह कुछ सोच नहीं रहे. उन्हें एक समय लगने लगा कि देश हित के लिए कुछ खास किए जाने की जरूरत है और अगर ऐसा नहीं करते तो जीने का कोई मतलब ही नहीं बनता. यही सबसे बड़ी वजह रही कि उन्होंने राजनीति में आने के बारे में सोचा.
इनकी जिंदगी काफी संघर्ष में रही है, वह एक मध्यम वर्गीय परिवार से हैं. वह कहते हैं कि एक मध्यम वर्गीय परिवार को बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. ऐसा ही एक वाक्या रहा जिसने उनकी पूरी जिंदगी ही बदल कर रख दी. हुआ यह कि मेट्रिक की परीक्षा के लिए उनके पास फॉर्म भरने के पैसे तक नहीं थे, घर का वातावरण अशांत सा हो रखा था ऐसे में एक दोस्त ने उनकी मदद की और फॉर्म भरने के पैसे दिए. इस वाक्या ने उनके पूरे जीवन को बदल कर रख दिया. उन्हें लगा कि पैसे की कमी हर दुख को सामने लाकर रख देती है और यही से उनके संघर्षरत जीवन की शुरुआत हुई.
मालूम हो कि 3, दिसंबर 2016 को नीतीश कुमार ने मालवंकर हॉल, नई दिल्ली से जनता दल यूनाइटेड की दिल्ली इकाई को फिर से रिलॉन्च किया और साथ ही पूरे दमखम से 2017 के एमसीडी चुनाव में उतरने का फैसला किया. वैसे में एक बहुत बड़ा उत्तरदायित्व इनके कंधे पर भी आ गया. पर्दे के पीछे रह कर अपने काम में यकीन करने वाले इस नेता ने महज 3 से 4 महीने के अन्दर अन्य नेताओं के साथ मिलकर जेडीयू में बहुत से कार्यकर्ताओं को जोड़ा. आलम यह है कि इनकी मेहनत के दम पर जनता दल यूनाइटेड आज लगभग 150 सीटों पर पूरे दमखम के साथ एमसीडी का चुनाव लड़ रही है.
अमल कुमार जमीन से जुड़े हुए इंसान है और हर किसी से बड़े सहज ढंग से मिलते हैं. इनमें जबरदस्त नेतृत्व क्षमता है शायद यही वजह है कि इतने कम समय में इन्हें जेडीयू ने इतने बड़े पद की जिम्मेदारी दी है. एमसीडी चुनाव इनके नेतृत्व क्षमता की परीक्षा होगी. मगर जिस तरह से जनता दल यूनाइटेड ने अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है उससे इनका वोट प्रतिशत अच्छा रहने की उम्मीद है और इसमें अमल कुमार का बहुत बड़ा हाथ है.