नाम : अल्पना निषाद
पद : पार्षद (कांग्रेस), दारागंज, वार्ड-58, प्रयागराज
नवप्रवर्तक कोड़ : 71184269
परिचय
वर्ष 2017 से नगर निगम चुनावों से राजनीति में प्रवेश करने वाली अल्पना निषाद एक शिक्षित व राजनीतिक परिवार से संबंध रखती हैं. उन्होंने बी.एस.सी तथा पी.जी डीसीएम बी.एड तक शिक्षा प्राप्त की है. राजनीति के साथ-साथ एक समाज सेविका की भूमिका निभाने वाली अल्पना निषाद का रुझान प्रारम्भ से ही सामजिक कार्यों में रहा है, जिसके चलते उन्होंने राजनीतिक मार्ग अपनाया.
राजनीतिक पर्दापण
पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनीतिक होने के कारण अल्पना निषाद की दिलचस्पी भी स्वाभाविक रूप से राजनीति में ही रही, उनके पिता व ससुर भी कांग्रेस समर्थक रह चुके हैं. वह स्वयं भी अपने बड़ो के पदचिन्हों पर ही चल कर व उनके जीवन से प्रेरणा लेकर समाज के लिए बेहतर करने की इच्छा रखती हैं, इसी ध्येय से उन्होंने राजनीति के जरिए सामाजिक कार्यों में योगदान देने का निर्णय लिया. वर्तमान में वह दारागंज, वार्ड 58, से पार्षद पद पर सेवाएं दे रही हैं.
प्रमुख क्षेत्रीय मुद्दें
अल्पना निषाद का कहना है कि उनके क्षेत्र में उनकी सरकार न होने के कारण वार्ड की समस्याएं भी देर से ही सुलझ पाती हैं. उन्हें कोई भी विकास कार्य करने के लिए अधिकारीयों को पत्र लिखने पड़ते हैं, उनसे जाकर मिलना पड़ता है परन्तु तब भी समस्याओं से कोई निज़ात नही मिल पाती. दूसरे वार्डों की अपेक्षा उनके वार्ड दारागंज में विकास कार्यों को लेकर काफी भेदभाव किया जाता है. जिसके कारण उन्होंने स्थानीय निवासियों के साथ 3 माह पूर्व विरोध प्रदर्शन भी किया. परन्तु कोई कार्यवाही नही की गयी. जिसके चलते उन्होंने सरकार के प्रति खासी नाराज़गी जताई.
संपन्न विकास कार्य
अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि के बारे में अल्पना निषाद बताती हैं कि प्रयागराज में कुम्भ के समय सड़कों को चौड़ा करने के लिए जनता के घरों का अतिक्रमण किया जा रहा था, जिसके विरोध में उन्होंने सैंकड़ों स्थानीय निवासियों के साथ मिलकर उनके घरों को अतिक्रमण से बचाया. साथ ही क्षेत्र की अन्य समस्याओं पर भी कार्य जारी है.
राष्ट्रीय मुद्दों पर विचारधारा
राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर उनका मानना है कि इस समय देश में आर्थिक मंदी का दौर चल रहा है, जिसकी वजह से बेरोजगारी की समस्या बढती जा रही है, साथ ही बड़ी संख्या में उद्योग धंधे बंद होने की कगार पर है. इसके अतिरिक्त बढ़ती महंगाई को भी वह देश की मुख्य समस्या मानती हैं. जिसके लिए सरकार को गंभीरता से सोचना होगा.