नाम - आशीष कुमार सिन्हा
पद - विधायक प्रत्याशी, पूर्वी लखनऊ विधानसभा 173 (बसपा), लखनऊ
नवप्रवर्तक कोड - 71190153
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में लखनऊ की पूर्वी लखनऊ विधानसभा 173 से बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी आशीष कुमार सिन्हा पेशे से वकालत से जुड़े हैं। एक अधिवक्ता के तौर पर जनता की सेवा करते करते उन्होंने राजनीति का दामन थामा और जनता की प्रेरणा से ही अपने समाजसेवा के जज्बे को आगे बढ़ाया। बैलटबॉक्सइंडिया को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को लेकर पार्टी की विचारधारा, विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं सहित अनेकों मुद्दों के बारे में अपनी राय साझा की।
समाज की अगुवाई करने का निर्णय क्यों लिया?
आशीष कुमार सिन्हा - मैं पेशे से वकालत से जुड़ा हुआ हूं और मैंने हमेशा जनता की सेवा की है। एक वकील के तौर पर मैंने कभी निर्धन लोगों से फीस की उम्मीद नहीं की और आज भी मैं राजनीति के साथ साथ वकालत की प्रैक्टिस करता हूं ताकि कमजोर तबके की सहायता कर सकूं। राजनीति में आने का मेरा मुख्य कारण यह रहा कि बहुत बार जब किसी कमजोर, बेसहारा और मजलूम व्यक्ति की मदद के लिए मैं आगे बढ़ा तो विपक्ष दल की ओर से किसी तरह का राजनीतिक दबाव मुझे देखने को मिला। उस समय मैं अपने आपको सक्षम महसूस नहीं कर पा रहा था, इसलिए मैंने राजनीति से जुड़कर लोगों की मदद करने का निर्णय लिया।
आपके विधानसभा क्षेत्र में ऐसे कौन से ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर आप आने वाले समय में काम होते देखना चाहती हैं?
आशीष कुमार सिन्हा - पूर्वी लखनऊ विधानसभा के अंतर्गत पूर्ववर्ती समस्याओं पर ही ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यहां किसी भी सरकार ने जनता के पैसों का सही इस्तेमाल नहीं किया है और न ही जन सुविधा को ध्यान में रखा जाता है। सड़कें, नाली, पेयजल, बिजली इत्यादि अनगिनत समस्याएं यहां पसरी हुई हैं, चुनाव आने से पहले ही यहां सड़कें इत्यादि बनवाने की औपचारिकता कर दी जाती है और अगले चुनाव आने से पहले ही वह उखड़ भी जाती हैं। यानि जनता के पैसों का पूरी तरह से दुरुपयोग यहां होता है और इस पर सरकार का ध्यान नहीं जाता है।
आपके अनुसार देश में कौन से ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर सरकार को काम करना चाहिए?
आशीष कुमार सिन्हा - देश में आज सबसे बड़ा मुद्दा स्वास्थ्य का है। हम सभी ने कोरोना काल में किसी न किसी अपने को खोया है लेकिन फिर भी सरकार चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर नहीं कर पा रही है। जो हर नागरिक को नि:शुल्क दवाइयों की सुविधा मिलनी चाहिए, वह आज भी नहीं मिल पा रही है। सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर बाहर की दवाइयाँ लिख देता है, जो कमजोर तबकों के लोग खरीद ही नहीं सकते हैं। दवाइयाँ, मास्क, सैनिटाईजर इत्यादि जो व्यक्ति को नि:शुल्क मिलनी चाहिए और जिसके लिए सरकार के पास धन जाता भी है, तब भी लोगों को बेहतर चिकित्सा की सुविधा नहीं मिल पा रही है।
दूसरे सबसे बड़ी समस्या छात्रवृति की है, संविधान और कानून में यह सुविधा छात्रों को दी गई है लेकिन फिर भी उन तक यह सुविधाएं पहुंच नहीं रही है। मध्यस्थ लोग इतनी कागजी कार्यवाही बच्चों व अभिभावकों के सामने रख देते हैं कि वह सरकार की योजनाओं का लाभ ही नहीं ले पाते और भ्रष्ट तंत्र बीच में ही छात्रवृति राशि को गबन कर जाते हैं। यह बेहद गलत है कि बच्चों को आज उनका मौलिक अधिकार ही नहीं मिल पा रहा है। सही समय पर यदि बच्चों को छात्रवृति की सुविधा मिलेगी तो बच्चे आसानी से शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे।