संक्षिप्त परिचय-
जिला सीतापुर
अपनी पौराणिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के कारण भारत में अपनी अलग पहचान रखता है. कोई
आधिकारिक विवरण नहीं होने के बावजूद पारंपरिक तौर पर सीतापुर को भगवान राम की
पत्नी सीता के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि 14 साल वनवास के दौरान इस स्थान
पर भगवान राम के साथ रहीं थी. बाद में राजा विक्रमादित्य ने सीता की याद में इस शहर की स्थापना की एवं इस स्थान को
सीतापुर नाम दिया. इस शहर की न केवल राजनीतिक
और ऐतिहासिक मान्यताएं हैं बल्कि इस शहर ने देश की गरिमा को बढ़ाने वाले कई
खिलाड़ी भी दिए हैं. जिसमें राष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाले हॉकी, रैसलिंग और
बालीवॉल चैंपियन शामिल हैं.
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य-
अपने मजबूत
इतिहास और पौराणिक मान्यता के अलावा अबुल फ़ज़ल लिखित आइन अकबरी के अनुसार अकबर के
शासनकाल के दौरान इस जगह को चितपुर या चितईपुर कहा जाता था. प्राचीन मान्यताओं के
अनुसार इस स्थान को
किंगडम ऑफ शिंगुनाग के मगध में शामिल किया गया था. जब कौशल नरेश पुत्र बिद्दुभ के बाद नंदा और
मौर्यों के पतन के बाद शुंग वंश की सत्ता में आया था. सिधौली में शुंग शैली की कुछ
मिट्टी की मूर्तियाँ भी मिलती है. इसी प्रकार गुप्त काल की कुछ छोटी मूर्तियाँ बडेसर तहसील
में मिली. गोमती के बाएं किनारे पर स्थित नैमिषारण्य का एक प्रमुख स्थान तीर्थ है,
जहाँ महर्षि वेद व्यास पुराणों का निर्माण किया
गया था. वैदिक काल के बाद यहां कई बड़े विश्वविद्यालय मौजूद होने के संकेत मिलते
हैं. इसी स्थान पर 88000 ऋषियों ने
शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त किया. मान्यता है कि भगवान राम और सीता ने रावण का वध
करने के बाद इस पवित्र स्थान पर स्नान किया था.
सीतापुर जिले को यहां
के राजनीतिक परिवेश ने भी जागृत किया. 1857 में पहली स्वतंत्रता लड़ाई में इस जिले ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 1857 में आर्य समाज और सेवा समिति
ने जिले में अपने संगठन स्थापित किए. वर्ष 1921 में सीतापुर के हजारों लोग गांधी जी के असहयोग आंदोलन का
हिस्सा रहे. साल 1925 में गांधी जी
सीतापुर आए और लालबाग में स्वतंत्रता आंदोलन में भी साथ आने की अपील की. कई नेता
जैसे मौलाना मोहम्मद अली, पंडित मोतीलाल
नेहरू, पं. जवाहर लाल नेहरू भी इस क्रांती का हिस्सा
रहे.
भौगोलिक ढ़ाचा एवं नदियां-
उत्तर प्रदेश में स्थित सीतापुर जिला लखनऊ मंडल के मध्य भाग में स्थित है. सीतापुर 27.6 ° से 27.54 ° देशांतर और 80.18 ° और लखनऊ के पूर्व में 81.24 ° अक्षांश के बीच है. यह जिला उत्तर से दक्षिण तक लगभग 89 किमी क्षेत्र में फैला हुआ है. यदि पश्चिम से पूर्व की ओर देखें तो लगभग 112 किमी क्षेत्र गोमती नदी सीतापुर और हरदोई के पश्चिम से दक्षिण तक सीमा बनाती है. पूर्व की ओर घाघरा जो जिला बहराइच को सीतापुर से अलग करती है. सरायन नदी यहां की प्रमुख नदियों में से एक है. सीतापुर जिला बाराबंकी, बहराइच, खीरी, हरदोई और लखनऊ को जोड़ता है. सीतापुर 6 तहसीलों में विभाजित है, जिसके अंतर्गत सदर, बिसवां, महमूदाबाद, सिधौली, मिश्रीख और लेहरपुर आते हैं.
जनसंख्या दर-
हिन्दी, उर्दू और अवधी भाषा वाले
क्षेत्र सीतापुर की कुल जनसंख्या 4,483,992 है. सरकार
द्वारा स्वचालित अनेक लाभप्रद योजनाओं के अलावा यहां शिक्षा एवं स्वास्थ को लेकर भी समय-समय पर तरह-तरह के जागरुकता
अभियान चलाए जाते हैं. इसके अलावा महिलाओं और बच्चों की सुविधा हेतु महिला एवं
चाइल्ड हेल्प लाइन नंबर को कार्यशील रखा गया है.
कृषि एवं सिंचाई साधन-
इस जिले की मुख्य
नदियाँ गोमती, चौका, घाघरा आदि हैं. सहायक नदियों में साराइन, पिराई, गोंड, गोदिया, केवनी, गादिया, इछारिया आदि हैं.
यहां का न्यूनतम तापमान 6 ° C और अधिकतम 43.34°C रहता है. सीतापुर जिले
में अधिक वर्षा अधिक होती है. समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 100 मीटर से 50 मीटर के ऊपर
स्थित है.
कृषि यहां का
मुख्य और महत्वपूर्ण व्यवसाय है. गेहूं, चावल और उड़द यहां की मुख्य फसलें हैं. गन्ना, सरसों और मूंगफली मुख्य फसलें हैं. कृषि के अलावा औद्योगिक
स्तर पर कार्य भी यहां की आय का मुख्य स्त्रोत है.
उद्योग एवं कला-
16वीं और 17वीं
शताब्दी में टैक्सटाइल इंडस्ट्री के रूप में सीतापुर प्रसिद्ध था. खैराबाद और
दरियाबाग में ईस्ट इंडिया कंपनी थोक में हथकरघा कपड़े बनवा कर विदेशों में बेचती
थी. कपड़ों के निर्माण के लिए क्षेत्र प्रसिद्ध हो गया था. सीतापुर महिला कुम्हारों के लिए भी काफी प्रसिद्ध रहा है. 1886 में यहां की महिला कुम्हारों को कलात्मक
प्रदर्शन के लिए लंदन में आयोजित प्रदर्शनी में कांस्य पदक भी मिला. लघु एवं कुटीर
उद्योग जैसे कपास से बनने वाली वस्तु एवं चटाई आदि भी बड़ी मात्रा में निर्यात
किया जाता था, जो जिले में आय एवं कला दोनों को बढ़ावा देता रहा है.
साहित्य-
प्राचीन काल से
शिक्षा के क्षेत्र में सीतापुर का विशेष स्थान रहा है. मुगलकाल के दौरान लाहरपुर
और खैराबाद इस्लामिक ज्ञान के प्रसिद्ध केंद्र थे. 16वीं शताब्दी से फारसी,
अरबी और संस्कृत भाषा के केंद्रों का अध्ययन
किया जाने लगा फिर 19वीं शताब्दी में खैराबाद
प्रमुख उर्दू कवि और लेखकों का जन्म स्थल भी रहा. मुजतर वसीम और रियाज खैराबादी
उनमें से प्रसिद्ध हैं. सुदामा चरित्र रचनाकार प्रसिद्ध कवि नरोत्तम दास भी यहीं
के रहने वाले थे, जो तुलसीदास के समकालीन थे. इस जिले के एक अन्य
प्रमुख लोग राजा टोडरमल थे, जो राजस्व मंत्री
थे और सम्राट अकबर के नव-रत्न में से एक थे. राष्ट्रवादी आचार्य नरेंद्र देव का
जन्म भी सीतापुर में हुआ था. इसके अलावा संगीत और नृत्य महाविद्यालय भी यहां मौजूद
हैं. प्राथमिक शिक्षा एवं
पुलिस प्रशिक्षण भी सीतापुर में महाविद्यालय हैं. मनोरंजन और खेल गतिविधियों के
लिए कई पार्क, स्विमिंग पूल और
खेल प्रशिक्षण केंद्र भी स्थित हैं. देश के प्रतिष्ठित नेत्र चिकित्सालयों में अग्रणी सीतापुर नेत्र चिकित्सालय
पिछले 90
वर्षों से मरीजों को वर्ल्ड
क्लास सुविधाएं मुहैया करा मेडिकल क्षेत्र में सीतापुर जिले को उन्नत दर्शाता है. वर्तमान स्थिति की यदि बात करें तो सीतापुर एक प्रगतिशील
जिला है.
पर्यटन क्षेत्र-
नैमिषारण्य शिक्षा एवं मान्यता का प्रतीक के रूप में प्रसिद्ध है. चक्रतीर्थ, नैमिषारण्य में एक धार्मिक स्थान है जहां भगवान ब्रम्हा जी का प्रचीन मंदिर स्थित है. पंचतीर्थ, ललिता देवी मंदिर, श्री हनुमान घाटी एवं पंच पाण्डव, व्यास घाटी आदि धार्मिक एवं प्राचीन स्थल सीतापुर की शोभा बढ़ाते हैं. अगर बात करें ऐतिहासिक स्थलों की तो औरंगाबाद, महमूदाबाद, बारागांव, खैराबाद, लहारपुर, बिसवा आदि अपनी परंपराओं एवं प्राचीन धरोहर के लिए प्रसिद्ध होने के साथ जिले की शोभा बढ़ाते हैं. बात पर्यटन की हो या उत्तर प्रदेश के गौरवगाथा के नमूने देखने की हर रूप में सीतापुर का कोई जोड़ नहीं है.