संक्षिप्त परिचय-
पूर्वी उत्तर प्रदेश में बसे संतकबीर नगर का
नाम कबीर दास जी के नाम पर पड़ा. यह शहर राप्ती, घाघरा और कुआन नदी के तट पर बसा
है. जिला क्षेत्रफल के लिहाज से वृहद तो नहीं है लेकिन अपनी सादगी और इतिहास के
लिए जाना जाता है.
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य-
संतकबीर नगर 5 सितंबर, 1997 को जिला बस्ती से बनाया गया था, जिसमें तहसील
बस्ती के 131 गाँव और जिला सिद्धार्थ नगर की बांसी तहसील के 161 गाँव शामिल थे. यह
जिला पूर्व दिशा में गोरखपुर, पश्चिम दिशा की ओर से बस्ती,
उत्तर दिशा में सिद्धार्थ नगर और दक्षिण में अंबेडकर नगर के बीच
स्थित है.
जनसांख्यिकी-
संतकबीर नगर जिले की कुल जनसंख्या 17,06,706
है. कुल आबादी में से पुरुषों की संख्या 8,65,195 तो वहीं महिलाओं की संख्या 8,41,511
है. क्षेत्र हिन्दी भाषी है.
ग्रामीण क्षेत्र की आबादी 15,86,652 है. जिले में 1582 बसे हुए गाँवों और
144 निर्जन गाँवों के साथ 648 ग्राम पंचायतें और 1726 राजस्व गाँव हैं.
प्रशासनिक ढांचा-
1646 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले संतकबीर
नगर जिले के अंतर्गत आने वाले गांवों की संख्या 1727 है. यहां की तहसील की संख्या
3 है और उन तहसीलों के नाम मेहदावल, खलीलाबाद और घांघटा
है. जिले में 794 ग्राम पंचायत, 1 नगर पालिका परिषद और 3 नगर पंचायत मौजूद हैं. जिले में सोथा, मेहदावल, बघौली, सेमरियावां,
खलीलाबाद, नाथ नगर, हिसार
बाजार, बेलहर कला और पौली कुल 9 ब्लॉक्स हैं.
जलवायु एवं कृषि-
संतकबीर नगर जिला उप-आर्द्र और यह मौसम उत्तर
भारत के पूर्वी भाग से मिलता जुलता है. वर्षा ऋतु जुलाई से सितंबर, शरद ऋतु
अक्टूबर से फरवरी एवं ग्रीष्म ऋतु मार्च से जून तक रहती है. मानसून के दौरान भूजल
स्तर बढ़ाने के लिए जलसंचय व्यवस्था उपलब्ध है. गर्मियों में जिले का औसत तापमान 41.50C रहता है. वर्षा की बात करें तो संत कबीर नगर में 1166 मिमी तक औसत वार्षिक वर्षा होती है.
बात करें फसलों की तो रबी की
फसल में हल्दी, मसूर दाल की खेती की जाती है. खरीब की फसलों में मुख्यरूप से अरहर
दाल, मूंगफली की खेती होती है. इसके अलावा चावल की भी खेती इस क्षेत्र में
की जाती है.
नदियां एवं बांध-
सिंचाई व्यवस्था के लिहाज से जिले
में मुख्य रूप से राप्ती नदी, कुआनो नदी और घाघरा नदी बहती हैं. कुआनो
नदी बहराइच जिले के बसऊपुर गांव के पास से इसका प्रवाह
शुरु होता है. पश्चिम से पूर्व की ओर जैसे-जेसे यह नदी आगे बढ़ती है. इसका फैलाव
बढ़ने के साथ ही इसकी गहराई भी बढ़ती जाती है. इस नदी की विचित्रता जमीन के अन्दर
से निकलने वाले वे हजारों छोटे-छोटे जलस्रोत हैं क्योंकि वे नदी को जल उपलब्ध
कराते हैं.
बांधों की बात करें तो मदरहा
रिंग बांध, घाघरा नदी पर बना है. प्रजापितपुर कल्याण पट्टी, कुआनो नदी पर बनी है. जल व्यवस्था के
लिहाज से क्षेत्र में तमाम इंतजाम हैं. धारौली रिंग तटबंध, राप्ती नदी पर बना है, इसके अलावा बेलैली
रिंग तटबंध, राप्ती नदी पर बना है.
पर्यटन-
जिले का क्षेत्रफल भले ही
छोटा हो पर जिले का इतिहास बहुत वृहद है. क़ाज़ी ख़लील-उर-रहमान का किला, बरदहिया बाजार, तमेश्वर नाथ मंदिर, सामाय माता मंदिर,
मगहर, बखिरा पक्षी अभयारण्य है.
बखिरा पक्षी अभयारण्य-
बखिरा पक्षी अभयारण्य पूर्वी
उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले में भारत का सबसे बड़ा प्राकृतिक बाढ़ का मैदान
है. अभयारण्य 1980 में स्थापित किया गया था. यह गोरखपुर शहर के पश्चिम में 44 किमी
दूर स्थित है. यह 29 किमी 2 के क्षेत्र में विस्तारित जल निकाय का एक विशाल खंड है.
यह पूर्वी यूपी की एक महत्वपूर्ण झील है, जो
कई प्रवासी जलपक्षी और निवासी पक्षियों के लिए प्रजनन स्थल के लिए एक शीतकालीन और
मंचन भूमि प्रदान करती है.
मगहर-
संतकबीर नगर में घूमने के लिए मगहर जगह जो यहां जन्में संत कबीर दास जी का समाधि स्थल है. बुद्ध स्वामी, कबीर ने 1518 में विक्रम संवत 1575 में हिंदू पंचांग के अनुसार माघ शुक्ल एकादशी को मगहर में अपने शरीर को यहीं त्यागा था.
Reference-
https://sknagar.nic.in/about-district/
https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/sant-kabir-nagar/growing-water-of-rapti-and-kuano
http://cgwb.gov.in/District_Profile/UP/Sant%20Kabir%20Nagar.pdf
http://idup.gov.in/pages/en/topmenu/dept.-activities/civil/floods/en-flood
https://www.districtsofindia.com/uttarpradesh/santkabirnagar/agriculture/index.aspx