सहरसा डिस्ट्रिक्ट
बिहार के पूर्वी दिशा में स्थित है. बिहार में कुल 38 डिस्ट्रिक्ट
हैं जिनमें से एक सहरसा है. इसका निर्माण सन् 1 अप्रैल 1954 में हुआ. 2 अक्टूबर
1972 में यह कोशी प्रमंडल का मुख्यालय बन गया. सहरसा
के उपप्रभाग सहरसा सदर और सिमरी बख्तियारपुर हैं. सहरसा 24 विकास खंडों से मिलकर बना है. राघोपुर, छतापुर,
बसंतपुर और निर्मली जिले यहां के उपखंड
के अंतर्गत आते हैं. सहरसा को पारशर्मा भी कहा जाता है. कोसी नदी के पश्चिम में
घिरे इस स्थान पर मछलियां, दूध, मखाना प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. आमों की कुछ विदेशी किस्में
और गर्मियों में लीची अधिक पाई जाती है.
एतिहासिक परिदृश्य -
इतिहास की बात करें तो यह सहरसा जिले के महिषी गांव शास्त्रार्थ के लिए प्रसिद्ध था. यहां पंडित मदन और आदि शंकराचार्य के बीच शास्त्रार्थ के लिए वाद-विवाद हुआ था. सहरसा पहले मिथिला राज्य का हिस्सा था. मिथिला के विस्तार के बाद यह मगध का हिस्सा बन गया. जिसका प्रमाण सिकलीगढ़, किशनगंज पुलिस स्टेशन के पास मौर्य स्तूप मिलने से लगाया जा सकता है. बिम्बिसार के कार्यकाल के दौरान यहां बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार बढ़ता गया. महान संत "श्री श्री 108 परमहंस गोस्वामी लक्ष्मीनाथ" का जन्म सहरसा में हुआ था.
जनसंख्यिकी-
2011 की जनगणना के अनुसार सहरसा जिले की आबादी 1,900,661 है जो कि 2001 में 1,508,182 थी. जिनमें महिलाओं की संख्या 718,750 की तुलना में पुरुषों की संख्या 789,432 है. आबादी का बड़ा हिस्सा लगभग 1,744,121 आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है वहीं शहरी आबादी केवल 8.24% यानि 156,540 है. 2011 की जनगणना के अनुसार जिले का में 1,127 लोग प्रति वर्ग किमी हैं. साल 2001 की जनगणना की तुलना में 2011 में 26.02% का परिवर्तन देखने मिला. सहरसा में लिंग अनुपात 2001 की जनगणना के अनुसार 1000 पुरूषों के अनुपात में 904 महिलाएं थी जबकि 2011 में यह संख्या बढ़ कर 910 हो गई. बात करें जिले की औसत साक्षरता दर की तो 2001 में 39.08 प्रतिशत की तुलना मे बढ़ कर 2011 53.20 प्रतिशत हो गयी. अगर साक्षरता दर को लिंग के आधार पर देखा जाए तो पुरुष और महिला साक्षरता क्रमशः 63.56 और 41.68 थी.
इन आंकड़ो का गहन अध्ययन करते हुए हम पाते हैं कि जनसंख्या वृद्धि होने के साथ ही साक्षरता दर और लिंगानुपात में सकारात्मक बढ़ोत्तरी हुई है.
कृषि एवं सिंचाई-
यहां के
जीवनयापन का प्रमुख साधन कृषि है जिसमें धान यहां की मुख्य फसल है. इसके अतिरिक्त
खरीब की फसल में धान, मक्का, दलहन, रेशा फसलें यहां होती हैं. रबी की फसल में मक्का, गेंहू, दाल फसल होती
है. जायद की फसल में धान, मक्का, मूंग उपलब्ध होती है तथा गर्मी में यहां नहर का पानी सूख जाता है जिसके परिणामस्वरूप जमीन के सतही
स्तर के पानी को प्रयोग में लाया जाता है.
भौगोलिक परिदृश्य-
सहरसा बिहार के उत्तर-पूर्वी भाग में मौजूद है. जो गंगा के मध्य बेसिन भाग और कोसी के उप-बेसिन में आता है. कोसी गंगा नदी की महत्वपूर्ण उत्तरी सहायक नदी है. तिब्बत, हिमालय और सिंधु और ब्रह्मपुत्र के बाद तीसरी सबसे बड़ी हिमालय नदी है. वर्षा के दौरान जल निकासी चैनल द्वारा दक्षिण की ओर जाती है. वर्ष 2008 की बाढ़ से कोसी में पूर्वी तटबंध टूटने पर प्रकृति ने विनाशकारी रूप दिखाया था. इससे मची तबाही से सुपौल, सहरसा और मधेपुरा जिलों में बड़े पैमाने पर बाढ़ से भारी नुकसान हुआ.
जलवायु और वर्षा स्तर-
सहरसा में उच्च
तापमान और मध्यम से उच्च वर्षा के साथ गर्म और आर्द्र जलवायु होती है.
दिसंबर-जनवरी के दौरान तापमान न्यूनतम 8 डिग्री सेल्सियस से 10 डिग्री सेल्यिस के बीच औसत रहता है और अधिकतम 24 डिग्री सेल्सियस
से 25 डिग्री सेल्सियस रहता है.
अप्रैल से जून के सबसे गर्म महीनों में तापमान न्यूनतम 23 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 35 डिग्री
सेल्सियस से 38 डिग्री
सेल्सियस होता है. जिले में सामान्य वर्षा 1360 मिमी है. मानसून (जून-सितंबर) घटक
1138 मिमी (84%) है. वर्षा का (80% से 90%) प्राप्त होता है. वर्षा कृषि के लिए
बहुत महत्वपूर्ण है.
शिक्षा-
सहरसा जिले में
बिहार शिक्षा परियोजना बीईपी-सहरसा में यूनिवर्सल एलीमेंट्री एजुकेशन (यूईई)
प्राप्त करने के लिए संगठन है. बिहार में प्राथमिक शिक्षा प्रणाली में मात्रात्मक
और गुणात्मक सुधार लाने के उद्देश्य से 1991 में BEPC की शुरुआत की गई थी. मुख्य रूप से
यहां बिहार बोर्ड का बोलबाला है।
बीईपी और
डीपीईपी-तृतीय कार्यक्रमों के क्रियान्वन के अंतर्गत वर्ष 2001 से 2002 तक
प्राथमिक शिक्षा को केंद्र में रखा गया था, जिसमें बाद में सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) और लड़कियों की प्राथमिक
शिक्षा के लिए राष्ट्रीय शिक्षा कार्यक्रमों के अंतर्गत और अधिक सुधार लाया गया.
पर्यटन स्थल-
यदि सरहसा जिले में पर्यटन की बात करें तो यह स्थल मंदिरों के लिहाज से प्रसिद्ध है. श्री उग्रतारा मंदिर, महिषी (सहरसा) के महिषी गांव से 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस प्राचीन मंदिर में भगवती तारा की मूर्ति स्थित है. श्रद्धालु भारत के अनेक हिस्सों से देवी के दर्शन के लिए आते हैं. इसके अलावा सरहसा का मंडन भारती धाम, सूर्य मंदिर, रक्त काली मंदिर, बाबा की कुटी, चंडिका स्थान, वरदराज मंदिर, विष्णु धाम आदि प्रसिद्ध मंदिर एवं धार्मिक स्थल हैं.
संदर्भ-
https://saharsa.nic.in/about-district/
https://www.census2011.co.in/census/district/66-saharsa.html