संक्षिप्त परिचय –
गंगा नदी के तट पर बसा प्रतापगढ़ उत्तर- प्रदेश का एक
प्रमुख जिला है. यह जिला प्रयागराज मंडल के अंतर्गत आता है तथा जिले का मुख्यालय
प्रतापगढ़ कस्बा है. प्रतापगढ़ तीर्थराज प्रयागराज के समीप बसा हुआ है तथा कई
धार्मिक पुराणों में भी इस जिले का उल्लेख मिलता हैं. इसके अलावा यह जिला हरिवंश
राय बच्चन और भिखारीदास सरीखे श्रेष्ठ कवियों की जन्मस्थली भी रहा है. वहीं देश के
पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने भी इस जिले के पट्टी विधानसभा क्षेत्र
से पद यात्रा करते हुए अपने राजनीतिक सफ़र की शुरूआत की थी.
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि –
प्रयागराज ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी प्रदेश में अत्यन्त
महत्वपूर्ण स्थान रखता है. इस जिले के नामकरण को लेकर कहा जाता है कि 17वीं
शताब्दी में राजा प्रताप सिंह यहां शासन करते थे तथा उन्होंने यहां एक किले का
निर्माण करवाया, जिसका नाम प्रतापगढ़ रखा. इसी किले के आधार पर इसके आस- पास के
क्षेत्र को भी प्रतापगढ़ कहा जाने लगा. वहीं 1858 में यह जिला अपने मूल अस्तित्व
में आया. यहां बेल्हा देवी का मंदिर होने के कारण जिले को बेल्हा कहकर भी
संबोधित किया जाता है.
इसके साथ ही धार्मिक और पौराणिक आधार पर भी प्रतापगढ़ का
अपना अलग महत्व है. हिन्दु ग्रंथों रामायण व महाभारत में भी इस जिले का उल्लेख
मिलता है. इस जिले को भगवान ने स्वयं अपने पद्चिह्नों से पवित्र किया है. गोस्वामी
तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के आधार पर भगवान श्री राम अयोध्या से वन को
जाते समय यहां बेल्हा क्षेत्र के किनारे बहने वाली सई नदी से होकर ही गए थे. वहीं
महाभारत काल में पाण्डवों ने भी वनवास जाते समय इसी स्थान पर बकासुर नामक राक्षस
का वध किया था तथा शिवलिंग की स्थापना की थी, जिसे भयहरण धाम के रूप में जाना जाता
है.
भौगोलिक परिदृश्य –
प्रतापगढ़ समुद्रतल से 137 मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ है. यह
जिला 25°34’ और 26°11’ उत्तरी अक्षांश एवं 81°19’ और 82°27’ पूर्व
देशान्तर रेखाओं के मध्य स्थित है. जिसका क्षेत्रफल 3,730
वर्ग कि.मी. है. यह जिला उत्तर में सुल्तानपुर, दक्षिण में इलाहाबाद, पूर्व में
जौनपुर व पश्चिम में फतेहपुर से घिरा हुआ है.
जिले का
ज्यादातर भूभाग मैदानी व समतल है. यह एक कृषि प्रधान जिला है, जो देशभर में प्रमुख
रूप से आंवले के उत्पादन के लिए जाना जाता है. जिले की मिट्टी काफी उपजाऊ है तथा
यहां मुख्यतः गेहूं, धान, मक्का व उरद की दाल की खेती की जाती है. वहीं जिले का
लगभग 569 हेक्टेयर क्षेत्र जंगलों से घिरा है, जिसका ज्यादातर क्षेत्र जिले के
मध्य में स्थित है.
नदियों
के लिहाज़ से यह जिला काफी समृद्ध है. प्रतापगढ़ से गंगा व गोमती नदी क्रमशः
दक्षिण- पश्चिम में 50 व उत्तर- पूर्व में 6 कि.मी. वृत्ताकार मार्ग में प्रवाहित
होती है. इसके अलावा जिले में लोनी, परिया, चरौरा, सरकनी, सई व बकुलाही नदियां भी
प्रमुख रूप से बहती हैं.
प्रशासनिक
ढांचा –
क्षेत्रफल
के दृष्टिकोण से यह जिला जितना विशाल है, इसका प्रशासनिक ढांचा भी उतना ही विस्तृत
है. जिले को 5 तहसीलों व 5 उपखंडों व 9 नगर पालिका (नगर पंचायतों) में विभाजित
किया गया है. प्रतापगढ़ में कुल 17 ब्लॉक (विकास खंड) हैं, जिसके अंतर्गत 2265
गांव आते हैं.
प्रदेश
की राजनीति में भी इस राज्य की अहम भूमिका है. जिले को कुल 7 विधानसभा क्षेत्रों
में विभाजित किया गया हैं, जिसके अंतर्गत रामपुर खास, विश्वनाथगंज, कुण्डा,
बाबागंज, प्रतापगढ़ सदर, रानीगंज व पट्टी क्षेत्र शामिल हैं. सूबे के जाने- माने
बाहुबली नेता रघुराज प्रताप सिंह ऊर्फ राजा भैया इसी जिले की कुण्डा सीट से 1993
से लेकर अब तक निर्दलीय विधायक चुने जा रहे हैं. वहीं प्रतापगढ़ की लोकसभा सीट भी
सूबे की एक हाई प्रोफाइल सीट मानी जाती है.
जनसांख्यिकी
–
2011 की
जनगणना के अनुसार, प्रतापगढ़ जिले की कुल आबादी 32,09,141 है, जिसमें अंतर्गत
पुरूष आबादी 16,06,085 तथा महिला आबादी 16,03,056 है. जिले की जनसंख्या उत्तर-
प्रदेश की कुल जनसंख्या का 1.61 प्रतिशत है. प्रतापगढ़ की जनसंख्या बढ़ोतरी दर
17.50 प्रतिशत है. जिले में 2000 से भी अधिक गांव है. अतः यहां ग्रामीण आबादी शहरी
आबादी की तुलना में काफी अधिक है. आंकड़ों के मुताबिक, प्रतापगढ़ की करीब 94
प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण है तथा शेष 6 प्रतिशत आबादी ही शहरी है.
प्रतापगढ़
का जनसंख्या घनत्व 863 वर्ग कि.मी. है. जिले का लिंगानुपात 994 है, जो कि अपने आप
में जिले के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. वहीं बाल लिंगानुपात 917 है. यहां की
साक्षरता दर 70.09 प्रतिशत है, जिसके अंतर्गत पुरूष व महिला साक्षरता दर क्रमशः
81.88 प्रतिशत व 58.45 प्रतिशत है. लगभग समान लिंगानुपात होने के बावजूद यहां
महिला व पुरूष साक्षरता दर में बड़ा अंतर है.
जलवायु –
प्रतापगढ़
जिले की जलवायु सामान्य है. यहां गर्मी की मौसम का मार्च के अंत से शुरू होता है
तथा इस मौसम में जिले का अधिकतम तापमान 46 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. वहीं
जिले में मानसून जून तक आता है, लेकिन ज्यादातर बारिश जुलाई व अगस्त के महीने में
होती है तथा इन महीनों में जिले का तापमान 23 से 28 डिग्री सेल्सियस के मध्य रहता
है. इसके अलावा अक्टूबर के अंत में जिले में शीत ऋतु का आगमन होता है तथा मार्च की
शुरूआत तक हल्की सर्दी रहती है. सर्दियों के मौसम में यहां का तापमान 10 से 25
डिग्री सेल्सियस तक रहता है, हालांकि कभी- कभी पारा 3 डिग्री से नीचे भी चला जाता
है.
पर्यटन
स्थल –
इतिहास
के पन्नों में कई जगह अपनी भूमिका दर्ज कराने वाले प्रतापगढ़ के प्रमुख पर्यटक
स्थल इस प्रकार हैं.
1.
बेला देवी मंदिर –
सई नदी के तट पर बना यह मंदिर प्रतापगढ़ जिले में आस्था का केन्द्र है. इस
मंदिर की स्थापना को लेकर मान्यता है कि जब भगवान शिव अपनी पत्नी सती का जलता हुआ
शव लेकर जा रहे थे तो इसी स्थान पर मां सती के कमर (बेला) का भाग गिरा था. जिसके
बाद से यहां मंदिर की स्थापना हुई. इसी कारण इसे बेला (बेल्हा) भवानी का मंदिर
कहते हैं.
2.
घुश्मेश्वरनाथ धाम –
भगवान शिव के जागृत 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक घुश्मेश्वरनाथ ज्योतिर्लिंग इसी धाम में स्थापित है, जो कि 12वें ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रसिद्ध है. यह ज्योतिर्लिंग अवध क्षेत्र ही नहीं बल्कि संपूर्ण देश की आस्था व श्रृद्धा का केन्द्र है. जहां लाखों की संख्या में भक्त भगवान शिव के बाबा घुश्मेश्वर नाथ रूप के दर्शन करने आते हैं. कहते हैं यहां आने से मन, आत्मा, प्राण व चेतना की जागृति होती है. भगवान शिव के इस धाम को लेकर भक्तों की अपार आस्था है.
3. शनिदेव मंदिर –
जिले के विश्वनाथगंज के कुशफरा में स्थित भगवान शनिदेव का अवध प्रान्त में यह एकमात्र पौराणिक मंदिर है. बकुलाही नदी के तट पर बसा यह मंदिर प्राचीन होने के साथ ही चमत्कारिक भी है. मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां प्रवेश करते ही भक्त भगवान शनि की कृपा का पात्र बन जाता है. मंदिर में श्रद्धा व आकर्षण के वशीभूत होकर प्रतापगढ़ के बाहर के भी सैंकड़ों श्रद्धालु यहां शनिदेव के दर्शन के लिए आते हैं.
4.
भक्तिधाम –
कुंडा के निकट स्थित इस मंदिर की स्थापना कृपालु जी महाराज ने करवायी थी. जहां राधा- कृष्ण की भव्य व सुंदर प्रतिमा विराजमान है. इस भव्य मंदिर में अद्भुत कला का प्रदर्शन किया गया है. साथ ही मंदिर में श्रीकृष्ण लीला का चित्रण इसे और आकर्षक बनाता है. भक्तिधाम में आने वाला श्रृद्धालु राधा- कृष्ण की भक्ति में डूब कर ही वापस जाता है. जन्माष्टमी के अवसर इस मंदिर की शोभा और भी बढ़ जाती है तथा इस अवसर पर यहां लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ती है. मंदिर की विशेषता इसके प्रांगण में बना राधा- कृष्ण का दरबार है.
5.
बाबा भयहरणनाथ धाम –
भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर प्रतापगढ़ अत्यन्त प्राचीन व पौराणिक मंदिर है.
जिसका महाभारत में भी उल्लेख मिलता है. यह मंदिर बकुलाही नदी के तट पर प्रकृति की
गोद में बसा हुआ है. मंदिर को लेकर कहा जाता है कि पाण्डवों ने वनवास जाते समय इसी
स्थान पर बकासुर राक्षस का वध किया था तथा इसके बाद अपने आत्म विश्वास को पुनः
जाग्रत करने के लिए यहां पर शिवलिंग की स्थापना की थी. जिसे भयहरणनाथ के नाम से
संबोधित किया गया. यह अद्भुत व ऐतिहासिक मंदिर प्रतापगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थलों
में से एक है.
6.
मां पंचमुखी मंदिर –
जिले के लोहिया मार्ग के समीप स्थित यह मंदिर जिले का अत्यन्त मान्यता प्राप्त
मंदिर है. जहां देवी की पांच मुख वाली प्रतिमा स्थापित है. मंदिर को लेकर कहा जाता
है कि यहां सच्चे मन से भक्त जो भी मांगते हैं, उनकी इच्छा अवश्य पूर्ण होती है.
REFRENCES -
http://dcmsme.gov.in/dips/Pratapgarh.pdf
http://censusindia.gov.in/2011census/dchb/DCHB_A/09/0942_PART_A_DCHB_PRATAPGARH.pdf
https://www.census2011.co.in/census/district/544-pratapgarh.html