यमुना व बेतवा नदी के संगम पर बसा हमीरपुर उत्तर- प्रदेश का महत्वपूर्ण जिला है. इसे जिले को लाल रेत की भूमि भी कहा जाता है. यह जिला चित्रकूट धाम मंडल के अंतर्गत आता है. जिले का मुख्यालय हमीरपुर शहर है. महोबा व चित्रकूट के बाद हमीरपुर उ.प्र. का तीसरा सबसे कम आबादी वाला जिला है. वहीं स्वतंत्रता संग्राम में भी इस जिले का अहम योगदान रहा है. वर्तमान में हमीरपुर एक कृषि प्रधान जिला होने के साथ ही कृषि व्यापार केन्द्र भी है.
हमीरपुर जिले की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि काफी क्रान्तिकारी रही है. आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़ाई में इस जिले की अहम भूमिका रही है. जब पूरा देश अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचारों से जल रहा था, उस वक्त हमीरपुर आजादी की लौ में उबल रहा था. 1905 के ‘स्वदेशी आंदोलन’ के दौरान यह जिला कई हड़तालों व विरोध प्रदर्शनों का गवाह रहा.
वहीं 1920 में हुए ‘असहयोग आंदोलन’ के समय भी जनता में क्रान्ति की भावना फैलाने में इस जिले का अहम योगदान रहा. जिले के सैंकड़ों युवाओं ने आजादी की लड़ाई में बढ़- चढ़ कर हिस्सा लिया. जिसके चलते 1973 में स्वतंत्रता की 25वीं सालगिरह के अवसर पर हमीरपुर के 323 सेनानियों को स्वतंत्रता संग्राम में उनके महत्वपूर्ण योगदान के चलते ताम्र- पत्र से नवाजा गया.
हमीरपुर जिला अक्षांश 25.7913 डिग्री उत्तर और देशांतर 80.0088 डिग्री पूर्व के मध्य स्थित है तथा समुद्रतल से 80 मीटर की ऊंचाई पर बसा हुआ है. जिले का क्षेत्रफल
4,121.9 वर्ग किमी है. यह जिला फतेहपुर, कानपुर, जालौन, बांदा, महोबा व झांसी से घिरा हुआ है. हमीरपुर का ज्यादातर क्षेत्र समतल है. जिले का लगभग 74 प्रतिशत भूभाग कृषि योग्य है, जबकि शेष भाग पहाड़ियों, जंगलों आदि से घिरा हुआ है. जिले का कुल 5.6 प्रतिशत भूभाग पर वनक्षेत्र है, वहीं 7.4 प्रतिशत क्षेत्र गैर-कृषि योग्य है. बुंदेलखंड से जुड़े होने के कारण इस जिले में काबर, माड़, राकर व परबा आदि प्रकार की मिट्टी पाई जाती हैं. राकर व परबा लाल मिट्टी के अंतर्गत आती हैं तथा इनकी उत्पादन क्षमता काफी कम है. यहां के मैदानों में काफी मात्रा में लाल मिट्टी मिलने के कारण ही इसे ‘लाल रेत की भूमि’ भी कहा जाता है.
हमीरपुर जिले की सबसे खास बात यह है कि यहां यमुना व बेतवा नदी का संगम होता है. इसके अलावा जिले में बर्मा, पांडवहा, ध्यास, केन व चंद्रावल आदि नदियां भी बहती हैं, जो कि जिले में पेयजल व सिंचाई का प्रमुख स्त्रोत हैं. वहीं स्वामी ब्रह्मानंद बांध भी हमीरपुर जिले में ही है, जो कि बर्मा नदी पर बना हुआ है. जिले की सड़क एनएच 86 से जुड़ी है, जिसे कानपुर- हमीरपुर- सागर तथा हमीरपुर राष्ट्रीय राजमार्ग भी कहा जाता है.
प्रशासनिक विभाजन –
चित्रकूट मंडल के अंतर्गत आने वाले हमीरपुर जिले को चार तहसीलों (हमीरपुर, मौदाहा, राठ व सरीला) में विभाजित किया गया है. वहीं जिले में सात ब्लॉक गोहाण्ड, राठ, सरीला, कुरारा, मौदाहा, मुस्करा व सुमेरपुर हैं, जिनके अंतर्गत 617 गांव आते हैं. इसके साथ ही जिले में 3 नगर पालिका व 4 नगर पंचायतें हैं. राजनीतिक दृष्टिकोंण से जिले में एक लोकसभा क्षेत्र व कुल 5 विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनके अंतर्गत हमीरपुर, महोबा, राठ, चरखारी और तिंदवारी शामिल हैं.
जनसांख्यिकी –
हमीरपुर उ.प्र. का तीसरा सबसे कम जनसंख्या वाला जिला है. 2011 की जनगणना के अनुसार, जिले के कुल आबादी 11,04,285 है, जिसके अंतर्गत 5,93,537 पुरूष व 5,10,748 महिलाएं हैं. जिले का लिंगानुपात अन्य जिलों की तुलना में काफी बेहतर है, जो कि 954 महिलाएं प्रति 1000 पुरूष हैं. हमीरपुर की ज्यादातर आबादी गांवों से जुड़ी है तथा यहां की कुल 82.79 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण है. वहीं जिले की शहरी आबादी महज़ 17.21 प्रतिशत ही है. हमीरपुर का जनसंख्या घनत्व 268 वर्ग कि.मी. व साक्षरता दर 70.16 प्रतिशत है.
जलवायु –
हमीरपुर जिले की जलवायु सामान्य है. यहां गर्मियों में अत्याधिक गर्मी पड़ती है, जबकि सर्दी के मौसम में औसत सर्दी रहती है. ग्रीष्मऋतु में जिले का न्यूनतम तापमान 28 डिग्री व अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक रहता है. वहीं सर्दी में जिले का औसत तापमान 8-12 डिग्री सेल्सियस तक रहता है. कभी- कभी पारा 2-3 डिग्री सेल्सियस के नीचे भी चला जाता है. जिले में मानसून जून में आता है और सितम्बर के अंत तक रहता है. यहां अधिकतम वर्षा जुलाई व अगस्त में होती है.
बुंदेलखंड में स्थित यह मंदिर शिल्प कला का बेजोड़ उदाहरण है. मंदिर की दिवारों पर अद्भुत कला का प्रदर्शन किया गया है. इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण की बांकेबिहारी के रूप में पूजा की जाती है. मंदिर का निर्माण 1872 में पंडित धानी राम ने करवाया था.
2.
संगमाहेश्वर मंदिर –
संगमाहेश्वर मंदिर हमीरपुर का अत्यन्त प्राचीन मंदिर है. इसका निर्माण गुप्त काल में कराया गया था. यह मंदिर हमीरपुर के मेरापुर गांव में यमुना नदी के तट पर स्थित है. यह मंदिर भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है तथा मंदिर के मुख्य भाग में शिवलिंग स्थापित है. संगम के तट पर स्थित होने के कारण इस मंदिर को संगमेश्वर मंदिर भी कहते हैं.
3. चौरादेवी मंदिर –
यह मंदिर हमीरपुर का अत्यन्त मान्यता प्राप्त मंदिर है, जो कि काली देवी (चौरा देवी) को समर्पित है. यह मंदिर पीपल के वृक्ष के समीप है, जिसके पास सुंदर व मनोरम अभ्यारण्य भी बना हुआ है.
4.
कल्पवृक्ष –
इस वृक्ष की विशेषता यह है कि यह कोई साधारण वृक्ष न होकर अत्यन्त प्राचीन व पौराणिक वृक्ष है. जिसकी आयु 1000 वर्षों से अधिक मानी जाती है. जिसका उल्लेख वेदों और पुराणों में भी मिलता है. इस वृक्ष को लेकर मान्यता है कि समुद्र मंथन से निकले 14 रत्नों में से यह एक है, जिसे देवराज इन्द्र को दे दिया गया था. कहा जाता है इस वृक्ष के नीचे बैठकर व्यक्ति जो भी इच्छा करता है, वह अवश्य ही पूर्ण होती है. इस अद्भुत, ऐतिहासिक व चमत्कारिक वृक्ष के पीछे मां भद्रकाली का मंदिर भी बना हुआ है.
5.
मेहर बाबा मंदिर –
इस मंदिर में मेहर बाबा की मूर्ति स्थापित है. मंदिर का निर्माण 1964 को मेहर बाबा के भक्त परमेश्वर दयाल पुकर ने करवाया था. यह विशाल मंदिर हमीरपुर मुख्यालय में स्थित है. यहां प्रति वर्ष नवंबर में 18-19 नवबंर को विश्व प्रेम मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश- विदेश के लोग बड़ी संख्या में शामिल होते है.
I.
स्वास्थ्य -
जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए प्रदेश सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं. जिसके अंतर्गत सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों का निर्माण करवाना शामिल है. जिनमें मरीजों को सभी जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएंगी. वहीं गर्भवती महिलाओं व नवजातों की सुरक्षा व उचित इलाज के लिए जिले में ‘जननी सुरक्षा योजना’ व ‘जननी शिशु सुरक्षा योजना’ भी सक्रियता से कार्य कर रही है. हालांकि व्यवस्थाओं में अभी भी काफी सुधार की आवश्यकता है.
जिले में शिक्षा व्यवस्था की बात करें तो ज्यादातर आबादी ग्रामीण होने के कारण यहां प्राथमिक विद्यालयों में काफी संख्या में छात्र उपस्थित रहते हैं. वहीं जिले में कई प्राईवेट स्कूल भी हैं. हमीरपुर में कोई विश्वविद्यालय नहीं है, बल्कि इस जिले के कॉलेज बुंदेलखंड विश्वविद्यालय सम्बद्ध हैं. हालांकि जिले में कई डिग्री कॉलेज हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख कॉलेज इस प्रकार हैं –
1. गर्वमेंट पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री कॉलेज
2. रामकृष्ण पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज
3. महिला डिग्री कॉलेज
4. त्रिवेदी महिला डिग्री कॉलेज
5. बाबा ध्यानिदास डिग्री कॉलेज
इसके अलावा नागरिक
सुरक्षा के दृष्टिकोंण से जिले की चार तहसीलों में कुल 14 पुलिस स्टेशन मौजूद हैं.
REFRENCES -