संक्षिप्त परिचय –
सरयू और घाघरा जैसी पवित्र नदियों के किनारे बसा गोंडा जिला उत्तर- प्रदेश के
प्रमुख जिलों में से एक है. यह जिला देवीपाटन मंडल के अंतर्गत आता है तथा मंडल का
प्रशासनिक केन्द्र भी है. गोंडा शहर जिले का मुख्यालय है. यह जिला प्रदेश के
प्राचीनतम जिलों में से एक है. नदियों के बीच बसे होने के कारण कृषि के दृष्टिकोण
से भी गोंडा को एक समृद्ध जिले के रूप में जाना जाता है. यह जिला चीनी के उद्योग
के लिए भी प्रसिद्ध है.
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि –
यह जिला प्राचीन होने के साथ ही पौराणिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है. गोंडा
को लेकर मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान श्री राम की गायें जिले से जुड़े भूभाग
में चरने आया करती थीं. इस क्षेत्र को ‘गोनर्द’ नाम से जाना जाता था.
गोनर्द के परिवर्तित रूप को ही आज गोंडा नाम से जानते हैं. गोंडा को राजा कौशल की
गोचर भूमि के रूप में भी जाना जाता है. प्राचीन इतिहास में जिले के कोशल महाजनपद
का भाग होने का भी वर्णन मिलता है.
वहीं मुगलकालीन इतिहास में यह जिला अवध साम्राज्य के अंतर्गत आता था. जिस पर
बाद में अंग्रेजों के कब्जा कर लिया था. आधुनिक इतिहास में इस जिले के शासक वीर
योद्धा व स्वतंत्रता सेनानी राजा देवीबक्श सिंह थे, जिन्होंने अंग्रेजों से लोहा लेते
हुए स्वतंतत्रा संग्राम में न सिर्फ अपना अमूल्य योगदान दिया, बल्कि आजादी के
महायज्ञ में अपने प्राणों की भी आहुति दे दी. आज भी गोंडा की धरती राजा देवीबक्श
सिंह की वीरगाथाओं की गवाही देती है.
भौगोलिक परिदृश्य –
गोंडा
जिले का क्षेत्रफल 4003 वर्ग कि.मी. है. यह जिला 26°47’ - 27°20’ उत्तरी अक्षांश व 81°30’ - 82°46’ पूर्वी देशांतर
के मध्य स्थित है. गोंडा पूर्व में बस्ती, उत्तर में श्रावस्ती. उत्तर- पूर्व में
बलरामपुर व सिद्धार्थनगर, दक्षिण में फैजाबाद तथा दक्षिण पश्चिम में बाराबंकी जिले
से घिरा हुआ है. नदियों से घिरे होने के कारण जिले की मिट्टी काफी उपजाऊ है. यहां
प्रमुख रूप से चावल, मक्का, गेहूं व तम्बाकू की खेती होती है. इसके अलावा जिले में रेत और
कंकरीट भी बड़ी मात्रा में पाई जाती है.
जिले में मुख्य रूप में घाघरा नदी बहती है, जो कि दक्षिणी भाग से जिले में
प्रवेश करती है. वहीं दूसरी ओर बहराइच से जिले में प्रवेश करने वाली सरयू नदी यहां
बहते हुए घाघरा नदी में ही मिल जाती है. इसके अलावा जिले से कुआनो व टेढ़ी समेत
अन्य कई नदियां भी होकर गुजरती हैं. इसके अलावा जिले में कई प्रमुख झीलें भी बहती
हैं, जिसके अंतर्गत अरंगा पार्वती व कोलार आदि झीलें शामिल हैं.
जनसांख्यिकी –
2011 की जनगणना के आधार पर गोंडा की कुल जनसंख्या 34,02,376 है. यहां का
स्त्री- पुरूष लिंगानपात 921 व बाल लिंगानुपात 926 है. गोंडा का जनसंख्या घनत्व 858 प्रति वर्ग कि.मी. व जनसंख्या
वृद्धि दर 24.17% है. यहां की जनसंख्या उ.प्र. की कुल जनसंख्या का
1.72 प्रतिशत है.
जिले की साक्षरता दर 58.71 प्रतिशत है, जिसके अंतर्गत पुरूष साक्षरता दर 69.41
% व महिला साक्षरता दर 47.09 % है. जिले का ज्यादातर भाग गांवों से जुड़ा हुआ है. अतः यहां ग्रामीण आबादी
शहरी आबादी से काफी अधिक है. जिले की ग्रामीण जनसंख्या 32,09,542 व नगरीय जनसंख्या
1,95,834 है.
प्रशासनिक विभाजन –
प्रशासनिक आधार पर यह जिला काफी विस्तृत है. गोंडा को कुल चार तहसीलों (सदर,
करनैलगंज, मनकापुर, तरबगंज) में विभाजित किया गया है. इसके साथ ही जिले में तीन
नगर पालिका परिषदें व 16 ब्लॉक हैं, जिनके अंतर्गत 1821 गांव शामिल हैं. जिले में
1054 ग्राम पंचायतें व 166 नगर पंचायतें हैं.
वहीं राजनीतिक आधार पर भी प्रदेश में गोंडा का अपना अलग महत्व है. जिले में दो
लोकसभा क्षेत्र गोंडा व कैसरंगज हैं. जिसमें गोंडा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत पांच
विधानसभा क्षेत्र (गोंडा, मनकापुर, उतरौला, गौरा व मेहनोन) आते हैं. वहीं कैसरगंज
लोकसभा क्षेत्र को भी पांच विधानसभा क्षेत्रों (पयागपुर, तरबगंज, कैसरगंज, कटरा
बाजार व कर्नलगंज) में विभाजित किया गया है. हालांकि इसमें गोंडा जिले के अंतर्गत
सात विधानसभा क्षेत्र गोंडा, तरबगंज, मनकापुर, महनोन, कटरा बाजार, गौरा, करनैलगंज
ही आते हैं.
जलवायु –
जिले की जलवायु औसत है. यहां ग्रीष्म ऋतु काफी गर्म और शीत ऋतु सुखद रहती है.
गोंडा में गर्मी का मौसम उत्तर भारत के अन्य जिलों की भांति मार्च से जून के मध्य
रहता है. इस दौरान जिले का औसत तापनाम 34°C के आस- पास रहता है. यहां मानसून का
आगमान जून के अंत में होता है तथा सितम्बर तक रहता है. जिले में वार्षिक आधार पर
औसत वर्षा 1152 मि.मी. तक होती है. वहीं यहां सर्दी का मौसम नवम्बर से फरवरी तक
रहता है.
पर्यटन स्थल –
इस प्राचीन व पौराणिक जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल इस प्रकार हैं –
1 पृथ्वीनाथ मंदिर –
महादेव को समर्पित यह मंदिर जिले के खरगूपुर क्षेत्र में स्थित है. इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग विश्व की सबसे ऊंची शिवलिंग है. यह दिव्य व अलौकिक मंदिर हजारों वर्ष पुराना है. मान्यता है कि इस शिवलिंग को महाभारत काल में पांडवों के निर्वासन के समय भीम ने स्थापित किया था, जिसका पुर्ननिर्माण राजा मानसिंह द्वारा कराया गया. इस मंदिर में शिवरात्रि पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रृद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. इस प्राचीन मंदिर को लेकर भक्तों की आस्था है कि यहां दर्शन मात्र से ही सारे कष्ट समाप्त हो जाते हैं.
देवीपाटन शक्तिपीठ –
गोंडा से कुछ दूरी पर स्थिति देवीपाटन शक्तिपीठ 51
शक्तिपीठों में से एक हैं. जिसकी स्थापना नाथ संप्रदाय के गुरू गोरखनाथ ने की.
धार्मिक मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान शिव की पत्नी सती का वामस्कन्ध गिरा था.
मंदिर में प्रतिदिन श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. वहीं नवरात्रि के मेले के
दौरान इस मंदिर की भक्तों का सैलाब देखते ही बनता है.
गोंडा के पसका क्षेत्र के समीप स्थित यह मंदिर मां भगवती को समर्पित है, जो कि जिले के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है. मंदिर में आदिशक्ति वाराही की प्रतिमा स्थापित है, जिन्हें ‘उत्तरी भवानी’ के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था व श्रद्धा का केन्द्र है. नवरात्रि के अवसर पर मंदिर की शोभा दर्शनीय है.
स्वामीनारायण मंदिर –
जिले के छपिया क्षेत्र में स्थित स्वामीनारायण मंदिर यहां
के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है. मंदिर का निर्माण संत सहजानंद जिन्हें
स्वामीनारायण के नाम से भी जाना जाता है, उनके भक्तों द्वारा उनकी स्मृति में
कराया गया. यह भव्य मंदिर काफी विशाल प्रांगण में बना हुआ है.
अरंगा पार्वती झील –
गोंडा की अंरगा पार्वती झील की अनुपम छटा यहां आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर ही लेती है. झील के आस- पास कई मनमोहक दृश्य देखने को मिलते हैं. वहीं झील में विचरण करने वाला विदेशी पक्षियों का गुंजन भी रोमांचित करने वाला है.
नागरिक सुविधाएं –
शिक्षा के दृष्टिकोण से जिले में अच्छे इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट कॉलेजों का
अभाव है. वहीं यहां कुल 2396 प्राथमिक विद्यालय, 1066 उच्च प्राथमिक विद्यालय तथा
221 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हैं. इसके अलावा जिले में 10 महाविद्यालय भी हैं. वहीं जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति भी
औसत है.
मूलभूत सुविधाओं के मामले में गोंडा के कुछ गांव अभी भी काफी पिछड़े हैं. जिले में कुल 1821 गांव हैं, जिसमें अब तक 1678 गांव ही विद्युतीकृत हो पाए हैं.
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