संक्षिप्त परिचय-
यमुना एवं सेंगर नदी
के तट पर बसे फिरोजाबाद की चूड़ियों की खनक पूरे देश में फैली है. फिरोजाबाद अपने
शाही अंदाज और मेजबानी के लिए प्रसिद्ध है. फिरोजाबाद की मिठाईयों के नाम से मुंह
में पानी आना तो स्वभाविक सी बात है. लागातार
विकास की राह पर अग्रसर फिरोजाबाद उत्तर प्रदेश के प्रमुख जिलों में से एक है. यह जिला आजादी की लड़ाई, मैनपुरी के
चौहान, छंदवार के जमींदार एवं इलाकाई मल्लाह के लिए भी प्रसिद्ध है.
ऐतिहासिक परिदृश्य-
सुहागनगर के नाम से
जानी जाने वाली नगरी को प्राचीनतम भारत में फिरोजाबाद का नाम चंदवार नगर था. शहर
को यह नाम 1566 में मंसबदार
फिरोजशाह द्वारा अकबर के शासन काल में दिया गया था. कहा यह भी जाता है कि राजा
टोडरमल इस शहर से होकर गुजर रहे थे और तब उन्हें लुटेरों द्वारा लूट लिया गया. अनुरोध
करने पर,
बादशाह अकबर ने अपने मंसबदार फिरोज शाह को यहां भेजा। वह दातूजी, रसूलपुर, मोहम्मदपुर गजमलपुर, सुखमलपुर निजामाबाद, प्रेमपुर रायपुरा से होते हुए यहां आए
जिसके प्रमाण के रूप में फिरोज शाह का मकबरा और कटरा पठान के खंडहर मिलते हैं।
सन्
1662 में अंग्रेजों के शासन काल के दौरान मिस्टर पीटर जो ईस्ट इंडिया कंपनी से
संबद्ध थे वे भी यहां आए थे. जिसके लिखित प्रमाण गैजेटर ऑफ आगरा एंड मथुरा में
मिलते हैं.
फिरोजाबाद
को शाहजहाँ के शासन में नबाब सादुल्ला को जागीर के रूप में दिया गया था वहीं दूसरी ओर जहाँगीर ने 1605 से 1627 तक शासन किया। वे इटावा, बदायूं, मैनपुरी, फिरोजाबाद, फर्रूखसर के प्रथम श्रेणी के मनसबदार
थे। मुगलों के शासन के बाद जाटों ने भी यहां 30 साल तक शासन किया. 18वीं शताब्दी
के अंत में फिरोजाबाद पर मराठों के सहयोग से हिम्मत बहादुर गुसाईं का शासन था।
मिर्जा
नवाब साहब भी यहां लगभग 1782 तक रुके. मराठों के फ्रेंच चीफ ने यहां 1794 में
आर्डिनेन्स फैक्ट्री लगाई थी. थॉमस भी यहां पर घूमने आए जिसका जिक्र उन्होंने अपनी
पुस्तक ट्रैवल्स इन इंडिया में किया. मराठों के तत्कालीन सूबेदार लकवाडो ने भी
यहां एक किले का निर्माण कराया जिसे वर्तमान की पुराने तहसील गेरई के नाम से जाना
जाता है.
जनरल
लेक और जनरल वेलाजल्ली ने 1802 में फिरोजाबाद पर आक्रमण किया था. ब्रिटिश के शासन
काल में फिरोजाबाद, इटावा जिले का हिस्सा था. महात्मा गाँधी, सेमंत गांधी, पंडित
जवाहर लाल नेहरू, नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने भी 1900-1940 के बीच फिरोजाबाद का
दौरा किया था. इस शहर का इतिहास वृहद है.
भौगोलिक परिप्रेक्ष्य-
समुद्र
तल से 164.467 ऊंचाई में स्थित यह जिला पूर्व में 78 डिग्री देशांतर और 27 डिग्री
उत्तरी अक्षांश पर स्थित फिरोजाबाद अपनी संप्रभुता के लिए अत्याधिक प्रसिद्ध है.
पूर्व दिशा में इटावा तथा मैनपुरी और उत्तर में ईटा के बेहद करीब स्थित है. यह जिला फरवरी माह, 1989 में पूर्ण रूप से
अस्तित्व में आया था जिसकी घोषणा तत्कालीन
मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने की थी. आगरा का हवाई अड्डा यहां से बेहद करीब
है. बस अड्डा और रेलवे स्टेशन से यहां सुगमता से पहुंचा जा सकता है. जिले की लगभग 73.6%
आबादी ग्रामीण क्षेत्र में रह रही है। फिरोजाबाद जिले का क्षेत्रफल यूपी के कुल
क्षेत्रफल का लगभग 0.8% है। तुलना करें तो यू.पी. की कुल जनसंख्या का 1.1% भाग इसी
शहर में निवास कर रहा है।
जलवायु-
जिले की जलवायु
व वातावरण की बात करें तो शहर में ग्रीष्म, शरद एवं वर्षा का मौसम मुख्य रूप से
देखा जाता है. उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जनपद समतल पर हैं लेकिन यह शहर
उत्तर-पश्चिम से दक्षिण की ओर ढलान पर बसा है.
जनसंख्या
एवं साक्षरता दर-
शहर
की कुल जनसंख्या 2,49,69,761 है. जिसमें पुरुषों की कुल जनसंख्या 13,37,141 है.
वहीं महिलाओं की कुल जनसंख्या 11,59,620 है. फिरोजाबाद डिस्ट्रिक्ट में गांवों की
संख्या 806 है. डिस्ट्रिक्ट के कुल साक्षरता दर को देखें तो पुरुषों में यह आंकड़ा
83.08 प्रतिशत और महिलाओं में 64.8 प्रतिशत है, जो यह सोचने पर मजबूर कर ही देती
है कि वास्तव में महिलाओं को वर्तमान समय में भी शिक्षा का पूर्ण अधिकार प्राप्त
नहीं है.
पर्यटन स्थल-
फिरोजाबाद
की खासियत वहां के कंगन हैं जिसके कारण उत्तर प्रदेश में जिले की अलग ही पहचान बनी
हुई है. शहर से थोक में कंगन का व्यापार किया जाता है. इसके अलावा यदि घूमने के
लिहाज से देखा जाए तो शहर का अपना ही रुतबा रूबरू होता है. शहर के मंदिर और
प्राचीन मूर्तियां अपनी अस्मिता का प्रतीक बनती हैं.
महावीर
दिगंबर जैन मंदिर-
स्व
छम्मी दामी लाल जैन द्वारा बनावाया गया यह मंदिर जैन परंपराओं और अपने सात्विकपन
के लिए मशहूर है. मंदिर को 1976 में बनवाया गया था. इसकी भव्यता का अंदाजा यहां
स्थित 45 फिट ऊंची और 12 फिट चौड़ी मूर्ति से लगाया जा सकता है.
चंद्रावर
गेट-
फिरोजाबाद
डिस्ट्रिक्ट में स्थित चंद्रवार गेट मोहम्मद गोरी और जयचंद की लड़ाई के लिए मशहूर
है. इसका विवरण बाहुबली चरित में लिखित है.
सोफी
साहब मजार-
हिरनगांव
से 15 किमी दूर फिरोजाबाद यमुना नदी के तट पर स्थित है.
मार्शलगंज
जैन मंदिर-
फिरोजाबाद
से 21 किमी दूर फरीहा के जैन मंदिर को तीर्थ स्थल माना जाता है. जैन मंदिर में सफाई
और सही रखरखाव के चलते पुराने मंदिर को आज भी बेहतर माना जाता है.
बाबा
नीम कारोरी महाराज-
फिरोजाबाद
से 500 किमी दूर स्थित यह मंदिर श्रृद्धालुओं की श्रद्धा का प्रतीक है.
वैष्णो
देवी मंदिर-
फिरोजाबाद, टूंडला से 4 किमी दूर स्थित माता वैष्णो देवी के मंदिर में प्रति वर्ष सैकड़ों श्रृद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.
राजा
का ताल-
फिरोजाबाद
से 2 किमी दूर स्थित हिरनगांव में राजा का ताल नामक पर्यटन स्थल स्थित है. इतिहास
के पन्नों को पलटें तो वर्णित मिलता है कि राजा टोडरमल ने इस स्थल का निर्माण
कराया था.
फिरोज़शाह
का मकबरा-
16वीं
शताब्दी में फिरोज़शाह का मकबरा हिरनगांव में बनवाया गया था. फिरोजाबाद जाने पर यह
घूमने के लिहास से बेहतर स्थल माना जाता है.
गोपाल
आश्रम-
फिरोजाबाद
मुख्य शहर से आधा किमी दूर स्थित गोपाल आश्रम को सेठ राम गोपाल मित्तल ने बनवाया
था. आश्रम में लगभग 57 फिट ऊंची हनुमान की भव्य प्रतिमा बनावायी गयी थी.
हनुमान मंदिर-
बाजीराव
पेशवा द्वितीय द्वारा बनवाए गए मंदिर मराठाओं की भव्यता का प्रतीक बनता है.
कोटला
का किला-
1884
के गेजेटर के अनुसार फिरोजाबाद से 12 किमी दूर स्थित कोटला का किला अपनी प्रचीनता
का अद्भुत प्रमाण देता है.
माता टीला मंदिर-
दुर्गा माता का
पूर्व मंदिर जो परहम पंचायत फिरोजाबाद में स्थित है. अपनी अस्मिता और धार्मिक
अनुभूति कराने वाला स्थल है.
http://cgwb.gov.in/District_Profile/UP/Firozabad.pdf
https://firozabad.nic.in/places-of-interest/
https://www.jagran.com/uttar-pradesh/firozabad-thirty-year-old-firozabad-district-18920067.html