संक्षिप्त परिचय
पवित्र रामगंगा नदी के तट पर बसा बरेली उत्तर- प्रदेश के
प्रमुख महानगरों में से एक है. यह जिला बरेली मंडल के अंतर्गत आता है. क्षेत्रफल
के दृष्टिकोण से बरेली काफी विस्तृत जिला है, जो कि भारत के सबसे बड़े शहरों में
50वें स्थान पर है. व्यावसायिक दृष्टिकोण से भी यह जिला काफी महत्वपूर्ण है, साथ
ही कई प्रकार के लघु व कुटीर उद्योगों को विकसित करने व बरकरार रखने में भी इस
जिले का अहम योगदान है. वहीं विशेष रूप से यह जिला लकड़ी के फर्नीचर के निर्माण व
ज़री की कारीगरी के लिए प्रसिद्ध है. इसके अलावा यह उ.प्र. का चौथा ऐसा जिला है,
जहां सीएनजी फ्यूल स्टेशन मौजूद हैं.
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
ऐतिहासिक आधार पर बरेली का महत्वपूर्ण स्थान है. हिन्दू
महाकाव्य महाभारत में भी इस जिले का उल्लेख है, जिसके आधार पर पाण्डवों की पत्नी व
भगवान श्री कृष्ण की मुंहबोली बहन द्रौपदी का जन्म इसी क्षेत्र में हुआ था. पुरातत्वविदों
के अनुसार, जिले का इतिहास ग्यारहवीं शताब्दी के आस- पास का है तथा बरेली के
गुप्तकाल से जुड़े होने के भी कई प्रमाण मिले हैं. वहीं प्राचीनकाल में यह जिला
रोहिलखंड की राजधानी भी रहा है.
इसके अलावा जिले का कुछ क्षेत्र पांचाल साम्राज्य का भाग
होने के भी प्रमाण मिलते हैं. बरेली के वर्तमान स्वरूप की स्थापना सन् 1657 में
मुकरंद राय द्वारा की गई थी तथा उसी समय यह जिला अपने वास्तविक अस्तित्व में आया. आधुनिक
इतिहास की बात करें तो स्वतंत्रता संग्राम में इस जिले की महत्वपूर्ण भूमिका रही
है तथा स्वयं महात्मा गांधी ने इस दौरान दो बार बरेली आए थे.
इसके साथ ही यह शहर अपनी धार्मिक व सांस्कृतिक विविधता के
लिए भी जाना जाता है. इस जिले के चारों ओर शिव मंदिर स्थापित हैं, जिसके कारण इस
जिले को नाथनगरी भी कहा जाता है. इसके अलावा बरेली को विभिन्न मुस्लिम धार्मिक
स्थलों का गढ़ होने के कारण बरेली शरीफ़ व ज़री नगर के नाम से भी जानते हैं.
भौगोलिक परिदृश्य
सूबे के आठवें महानगर के रूप में जाना जाने वाला बरेली 28°10’ उत्तरी
अक्षांश व 78°23’ पूर्वी देशांतर
रेखा के मध्य स्थित है. यहां का क्षेत्रफल 4,120 वर्ग कि.मी. है. जिसके अंतर्गत
352 हेक्टेयर क्षेत्र जंगलों से घिरा हुआ है. बरेली पूर्व में पीलीभीत व
शाहजहांपुर, पश्चिम में रामपुर, उत्तर में नैनीताल व दक्षिण में बदायूं जिले से
घिरा है. वहीं जिले में बहने वाली रामगंगा नदी इसे बदायूं जिले से अलग करती है.
बरेली में प्रमुख रूप से रामगंगा नदी के अतिरिक्त कई अन्य
नदियां भी प्रवाहित होती हैं, जिनके अंतर्गत शंख, बहगुल, नकटिया, कैलासी आदि नदियां
शामिल हैं. जिले का ज्यादातर भूभाग समतल हैं तथा यहां प्रमुख रूप से दोमट व मटियार
मिट्टी पाई जाती है. वहीं एनएच 24 जिले को मुख्य सड़क से जोड़ता है.
जनसांख्यिकी
2011 की जनगणना के आधार पर जिले का कुल जनसंख्या 4,448,359
है, जिसके अंतर्गत 2,357,665 पुरूष व 2,090,694 महिलाएं शामिल हैं. यहां की जनसंख्या
बढ़ोतरी दर 22.93% है. जिले का जनसंख्या घनत्व 1080 वर्ग कि.मी. है. जिले
की जनसंख्या सूबे की कुल आबादी का 2.23 प्रतिशत है. यह एक ग्रामीण बहुल जिला है
तथा जिले की कुल ग्रामीण आबादी लगभग 65% व शहरी आबादी 35% के करीब है.
वहीं यहां का लिंगानुपात 887 ही है, हालांकि जिले में बाल लिंगानुपात का आंकड़ा इसकी तुलना में बेहतर है तथा यहां का बाल लिंगानुपात 903 है. साक्षरता के मामले में यह जिला काफी पिछड़ा है तथा यहां की साक्षरता दर महज़ 58.49 प्रतिशत है, जिसमें पुरूष साक्षरता दर 67.50% व महिला साक्षरता दर बेहद कम 48.30% ही है.
प्रशासनिक विभाजन
प्रशासनिक आधार पर जिले को 6 तहसीलों (आंवला, बहेरी, मीरगंज, फरीदपुर, बरेली व नवाबगंज) तथा 15 विकासखंड़ों (ब्ल़ॉक) में विभाजित किया गया है. जिले में कुल 20 नगर पालिकाएं व 1 नगर निगम है. इसके अलावा बरेली के अंतर्गत कुल 2070 गांव आते हैं.
वहीं राजनीतिक आधार पर जिले में एक लोकसभा क्षेत्र है,
जिसके अंतर्गत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं, जिसमें मीरंगज, बरेली, बरेली छावनी,
भोजीपुरा व नवाबगंज शामिल हैं.
जलवायु
यह जिला
एक तराई क्षेत्र है, जिस कारण यहां की जलवायु सामान्य व सुखद है. जिले में गर्मी
का मौसम काफी जल्दी शुरू हो जाता है तथा गर्मियों में यहां का अधिकतम तापमान 44 डिग्री
सेल्सियस तक रहता है. जिले में जून के अंत में मानसून दस्तक देता है, जो कि
सितम्बर तक रहता है. इस दौरान यहां औसत वर्षा 1050 मि.मी. तक होती है. वहीं जिले में सर्दियों में जमकर कोहरा
पड़ता है तथा सर्दी के मौसम में जिले का तापमान 4 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है.
पर्यटन स्थल
विभिन्न धर्मों की ऐतिहासिक विरासतों को संजोने वाला बरेली जिला पर्यटन के क्षेत्र में भी अहम योगदान है. जिले के कुछ प्रमुख प्राचीन व आधुनिक दर्शनीय स्थल इस प्रकार हैं –
1.
अहिछत्र मंदिर –
आंवला तहसील के रामनगर गांव में स्थित यह मंदिर अत्यन्त ही प्राचीन व ऐतिहासिक
मंदिर है. महाभारत काल में अहिछत्र को उत्तरी पांचाल साम्राज्य की राजधानी के रूप
में जाना जाता था, जिसे कौरवों ने गुरू द्रोण को दे दिया था.
वहीं इस मंदिर की बात करें तो यह त्रिकोणाकार में बना हुए है, जो कि टीले के
रूप में दिखाई पड़ता है. मंदिर में गुप्तकालीन कई मूर्तियां व मुद्राएं भी पाई गई
हैं. जिसके आधार पर इसका निर्माण 600 से 1100 ई. पूर्व में कराए जाने का अनुमान
लगाया जाता है.
2.
शिव मंदिर –
इसे बरेली की विशेषता बोलिए, विरासत बोलिए या भगवान शिव की महिमा बोलिए. इस जिले की चारों दिशाओं में चार प्राचीन शिव मंदिर (धोपेश्वर नाथ, मढ़ी नाथ, अलख नाथ तथा त्रिवटी नाथ) स्थापित हैं, जो कि आश्चर्य व आस्था का केन्द्र हैं. इन चारों ही मंदिरों को लेकर भक्तों की अपार श्रद्धा है. इन मंदिरों के कारण ही बरेली को नाथ नगरी के नाम से भी जाना जाता है.
3.
कारगिल चौक –
1999 में कश्मीर में पाकिस्तान से हुए कारगिल युद्ध की विजय के बाद इस चौक का
निर्माण किया गया, जो कि युद्ध के शहीदों को समर्पित है. कारगिल चौक का निर्माण
युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों के शौर्य के सम्मानित करने के लिए किया गया. यह चौक
वर्तमान में बरेली के प्रमुख आकर्षण केन्द्रों में से एक है.
4.
आला हजरत दरगाह -
यह जिले के मुख्य मुस्लिम धार्मिक स्थलों में से एक है, जो कि इस्लामिक विद्वान व समाज सुधारक रहे आला हजरत जिन्हें अहमद राजा खान के नाम भी जाना जाता था, उनकी दरगाह है. यहां बड़ी संख्या में सभी धर्मों के लोग आते हैं.
5.
फनसिटी पार्क –
आधुनिक दर्शनीय स्थलों की कड़ी में यह एम्यूजमेंट पार्क बरेली का प्रमुख
आकर्षण केन्द्र है. विशाल क्षेत्र में फैले हुए इस वाटर पार्क में कई ड्राई व वाटर
राइडस (झूले आदि) हैं. इसके साथ ही पार्क में फोटोग्राफी के लिहाज़ कई सुन्दर
मूर्तियां आदि भी बनी हुई हैं. यह पार्क बरेली के आधुनिक विकास का परिचायक है,
जहां बड़ी संख्या में लोग घूमने आते हैं.
औद्योगिक महत्व –
औद्योगिक
रूप से भी इस जिले का सूबे में विशेष महत्व है. फर्नीचर और ज़री की कारीगरी के
अलावा जिले में और भी कई उद्योग धंधे फल- फूल रहे हैं. जिसके अंतर्गत कपास ओटने,
दियासलाई, गांठ बनाने आदि लघु उद्योग शामिल हैं. इसके अलावा यह जिला चीनी
प्रसंस्करण के लिए भी जाना जाता है. वहीं यहां कई छोटे- बड़े कारखाने भी हैं.
जिसके तहत सूती कपड़ों की मिलें, लकड़ी से तारपीन का तेल निकालने आदि के कारखाने
शामिल हैं. लघु व कुटीर उद्योगों के विकास के साथ ही ये कारखाने क्षेत्र में बड़ी
मात्रा में रोजगार उपलब्ध कराते रहे हैं.
REFRENCES
http://dcmsme.gov.in/dips/Bareilly.pdf
https://www.census2011.co.in/census/district/521-bareilly.html