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Oct 24, 2016  07:22 Oct 3, 2020  00:00 Swarntabh Kumar Swarntabh Kumar 1,719

कर्नाटका मुख्य सूचना आयुक्त सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रति कितने गंभीर हैं? आरटीआई के ऑनलाइन व्यवस्था में इतनी देरी क्यों? पारदर्शिता एक अहम प्रश्न.

कर्नाटका मुख्य सूचना आयुक्त सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रति कितने गंभीर हैं? आरटीआई के ऑनलाइन

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 एक ऐसा तंत्र जिसे लोकतंत्र के मजबूती का आधारशिला माना गया. जनता को समर्पित यह कानून वास्तव में उन्हें यह हक़ प्रदान करता है कि वह अपनी सरकार के काम काज का आकंलन कर सके, उनकी जवाबदेही के प्रति उन्हें सतर्क कर सके, उनके काम का हिसाब मांग सके, उनसे प्रश्न कर सके. आज इस कानून को बने दस वर्ष से उप्पर हो चुके है. कुछ लोगों ने इसका बेहतर उपयोग भी किया है मगर देश की अधिकांश आबादी अभी भी इसके उपयोग से काफी दूर है.

हमारी कोशिश हर राज्य के पास हो आरटीआई फाइल करने की ऑनलाइन सुविधा. इसी कोशिश को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं. हमारी कोशिश है कि सूचना का अधिकार को और मजबूती मिले. आम नागरिकों को मिले अधिकार के प्रति सरकार सजग हो, उस अधिकार को वह और मजबूती प्रदान करें. हम एक ऐसे भारत की कल्पना करते हैं जहां का हर राज्य देश के प्रत्येक नागरिक को एक ऐसी उन्नत व्यवस्था दे सके जिससे सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की शक्ति को और भी बल मिले. हर राज्य के पास खुद की आरटीआई फाइल करने की ऑनलाइन व्यवस्था होनी चाहिए जिससे इसे और भी सुचारू तरीके से चलाया जा सके. इससे इस कानून में पारदर्शिता भी आयेगी. हमारे सामने केंद्र सरकार का उम्दा उदहारण भी है. जब केंद्र आरटीआई फाइल करने की ऑनलाइन व्यवस्था प्रदान कर सकती है तब दूसरे राज्य उसका अनुसरण क्यों नहीं कर सकते? जब भारत एक है तो #OnenationOneRTI क्यों नहीं हो सकता?

कर्नाटका सूचना आयोग भी उसी श्रेणी में खड़ा है. अपनी वेबसाइट पर बड़ी-बड़ी बात और सूचना आयुक्त को उनकी ड्यूटी बता देने से ही आपके कार्य का निर्वाह नहीं हो जाता. आज जरुरत है जनता आरटीआई के प्रति सजग हो मगर उससे पहले आपका सजग होना ज्यादा जरुरी है. किसी कानून के बन जाने भर से ही उसकी उपयोगिता और उसका उद्देश सिद्ध नहीं हो जाता. उस कानून की कमियों को लागातार सही करने की आवश्यकता होती है. पारदर्शिता किसी भी कानून को लागू करने के लिए अति आवश्यक होता है खासकर आरटीआई जैसी अधिनियम से जहां सरकार की जनता प्रति जवाबदारी और भी बढ़ जाती है.

लोकतंत्र की मजबूती के लिए उठाया गया यह कदम वाकई सराहनीय है मगर इसके पारदर्शिता को लेकर उठने वाले सवाल भी उतने ही जायज हैं. आइए जानने की कोशिश करते हैं की क्या कर्नाटक के मुख्य सूचना आयुक्त और कर्नाटक सूचना आयोग सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को कितना पारदर्शी बनाने को तत्पर हैं? आखिर कब तक कर्नाटक का सूचना आयोग अपनी जनता को आरटीआई की ऑनलाइन व्यवस्था दे पायेगी? आपने कर्नाटक राज्य सूचना आयोग की वेबसाइट तो बना ली मगर वहां से कोई खास जानकारी मिल पाना बेहद मुश्किल ही लगता है. आपकी वेबसाइट में कहां से जानकारी प्राप्त होगी इसे समझना बेहद मुश्किल है. उम्मीद है आप जल्द ही आरटीआई को पारदर्शी बनाने के दिशा में आगे बढ़ेंगे और देश की जनता को ऑनलाइन आरटीआई करने की सुविधा प्रदान कर पायेंगे.

कर्नाटका मुख्य सूचना आयुक्त सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रति कितने गंभीर हैं? आरटीआई के ऑनलाइन

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