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Sep 23, 2016  10:54 Sep 8, 2021  00:00 Swarntabh Kumar Swarntabh Kumar 1,758

गोवा के मुख्य सूचना आयुक्त सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रति कितने गंभीर हैं? आरटीआई के ऑनलाइन व

गोवा के मुख्य सूचना आयुक्त सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रति कितने गंभीर हैं? आरटीआई के ऑनलाइन व्यवस्था में इतनी देरी क्यों?

एक पारदर्शी व्यवस्था बनाने, सरकार के काम–काज पर प्रश्न करने, किसी अन्य तरह की जानकारी हासिल करने के लिए दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत ने अपनी जनता को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के रुप में एक शक्ति प्रदान की. इससे यह विश्वास जगा की इसके कारण लोकतंत्र को और भी मजबूती मिलेगी और जनता को सरकार से सवाल करने का अधिकार. लगभग 11 वर्ष हो चुके हैं सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को आये. जनता को इससे बेहद फायदा भी हुआ है और आरटीआई की उपयोगिता भी सिद्ध हो चुकि है.
लोकतंत्र की मजबूती के लिए उठाया गया यह कदम वाकई सराहनीय है मगर इसके पारदर्शिता को लेकर उठने वाले सवाल भी उतने ही जायज हैं. आइए जानने की कोशिश करते हैं की क्या गोवा के मुख्य सूचना आयुक्त सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को कितना पारदर्शी बनाने को तत्पर हैं? आखिर कब तक गोवा का सूचना आयोग अपनी जनता को आरटीआई की ऑनलाइन व्यवस्था दे पायेगी? आपने गोवा राज्य सूचना आयोग की वेबसाइट तो बना ली मगर वहां से कोई खास जानकारी मिल पाना बेहद मुश्किल ही लगता है. आपकी वेबसाइट सुलझाती कम उलझाती ज्यादा है. जबकि ताज्जूब इस बात का है केंद्र और आपकी भी वेबसाइट को NIC की मैनेज करती है. फिर भी इतना बड़ा अंतर, साहेब कुछ तो केंद्र से ही सीख लेते.
इस कानून को बने लंबा अरसा बीत गया है और साथ ही केंद्र सरकार का उदहारण भी आपके सामने है फिर भी अभी तक आप आरटीआई जैसी व्यवस्था को डिजिटल नहीं कर पायें हैं. एक और जहां पूरा भारत डिजिटल इंडिया का दंभ भर रहा है वही आप इतने पीछे है. सूचना आयोग के विभाग से ही जब सूचना पाने के लिए लोगों को इतने मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा तब दूसरे विभागों का क्या होगा. 
अगर लोगों को आप ऑनलाइन आरटीआई की सुविधा दे पाए तो निसंदेह इससे आम जनता का समय, लम्बी लाइनों के झमेले से आजादी और आपके काम-काज में पारदर्शिता ही आएगी. मगर अफ़सोस आप अब तक ऐसा नहीं कर पायें हैं. बेहतर होता बात से ज्यादा आप काम पर ध्यान दे पाते.
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