Swarntabh Kumar 1,736
Swarntabh Kumar 03/12/2021 AMt 12:00AM
आइए जानने की कोशिश करते हैं की क्या असम के मुख्य सूचना आयुक्त सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को कितना पारदर्शी बनाने को तत्पर हैं? आखिर कब तक असम का सूचना आयोग अपनी जनता को आरटीआई की ऑनलाइन व्यवस्था दे पायेगी? आपने अपनी वेबसाइट- http://www.sicassam.in/index.html पर ‘योर राईट टू नो’ और उसके अन्दरजानकारी के लिए आवेदन प्रक्रिया क्या है?जानकारी पाने के लिए समय सीमा क्या है? तो बता दिया मगर एक छोटा सा कार्य आरटीआई आवेदन के लिए ऑनलाइन सुविधा प्रदान नहीं कर पाए.
लोकतंत्र को और भी मजबूत बनाने के लिए 2005 में केंद्र सरकार ने अपने नागरिकों को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का एक तोहफा दिया. अपने-अपने स्तर पर राज्य सरकारों ने भी इसे लागू किया. माना गया कि इससे सरकार और आम लोगों की बीच की दूरी कम होगी. नागरिकों को यह अधिकार मिला की वह सरकार से उनके काम-काज का हिसाब मांग सके. मगर सच कहें तो आम नागरिकों को दी गई ये ताकत तब तक बैमानी है जब तक की व्यवस्था पुर्णतः पारदर्शी न हो.
इस कानून को बने लगभग 11 वर्ष की लम्बी अवधि के बावजूद और केंद्र सरकार का उदहारण होने के बाद भी आप अभी तक आरटीआई जैसी व्यवस्था को डिजिटल नहीं कर पायें हैं. एक और जहां पूरा भारत डिजिटल इंडिया का दंभ भर रहा है वही आप इतने पीछे है. आपने असम सूचना आयोग की वेबसाइट तो बना ली मगर वह भी खानापूर्ति भर ही है. जहां हम उचित जानकारी भी हासिल नहीं कर सकते, ऑनलाइन आरटीआई आवदेन करना तो दूर की बात है. सूचना आयोग के विभाग से ही जब सूचना पाने के लिए लोगों को इतने मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा तब दूसरे विभागों का क्या होगा. अगर लोगों को आप ऑनलाइन आरटीआई की सुविधा दे पाए तो निसंदेह इससे आम जनता का समय, लम्बी लाइनों के झमेले से आजादी और आपके काम-काज में पारदर्शिता ही आएगी. मगर अफ़सोस आप अब तक ऐसा नहीं कर पायें हैं. जबकि आपके सामने केंद्र का एक बेहतरीन उदहारण मौजूद हैं. कई वर्ष पहले से जब केंद्र सरकार ऑनलाइन व्यवस्था दे सकती है तो आप क्यों नहीं? बेहतर होगा आप इस और ध्यान दे पाते.
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