विश्व हिन्दू परिषद
संगठन– हिन्दू राष्ट्रवादी
स्थापना– 29 अगस्त 1964
कार्यालय– नई दिल्ली
अध्यक्ष- राघव रेड्डी
कार्याध्यक्ष- प्रवीण तोगड़िया
प्रकार- गैर- राजनीतिक
सदस्य- 6.8 करोड़
चिन्ह– बरगद का पेड़
आदर्श वाक्य- धर्मों रक्षति रक्षितः
वेबसाइट- Vhp.org
‘विश्व हिन्दू परिषद’ जिसे विहिप के नाम से भी जाना जाता है एक ‘हिन्दू राष्ट्रवादी’ संगठन है, जो हिंदुत्व की रक्षा और सेवा के लिए कार्य करता है. यह संगठन विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संस्थान ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ की ही एक शाखा है. विहिप का मुख्य कार्यालय नई दिल्ली में है. इस संगठन के पूरे भारत में वर्तमान में लगभग 6.8 करोड़ सदस्य हैं, जो कि समाज की सेवा तथा हिन्दू धर्म और संस्कृति की रक्षा करने व इसे जीवंत रखने के उद्देश्य से कार्य करते हैं.
वर्तमान में विहिप के अध्यक्ष ‘राघव रेड्डी’ व कार्याध्यक्ष ‘प्रवीण तोगड़िया’ हैं.
‘विश्व हिन्दू परिषद’ का प्रतीक चिन्ह हिन्दू धर्म में पवित्र और पूजनीय माना जाने
वाला बरगद का पेड़ (वटवृक्ष) है, जो कि हिन्दू धर्म के तीनों देवताओं (ब्रह्मा,
विष्णु, शिव) का प्रतीक है. यह संगठन आदर्श वाक्य ‘धर्मों रक्षति रक्षितः’ की नीति
पर विश्वास रखता है अर्थात विहिप का मानना
है, कि जो व्यक्ति धर्म की रक्षा करता है, धर्म भी उसकी रक्षा करता है.
स्थापना -:
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिन्दू संतों, धर्माचार्यों और विचारकों ने हिन्दू समाज को सुसंगठित व मजबूत बनाने तथा भारत को दुनियाभर के हिन्दुओं के आस्था के केंद्र के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से एक नए हिंदूवादी संगठन को स्थापित करने का निर्णय लिया. इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए स्वामी चिन्मयानन्द की अध्यक्षता में मुंबई स्थित उनके ‘संदीपनी साधनालय’ आश्रम में 21 मई 1964 को एक सम्मलेन हुआ, जहां अन्य धर्मों के प्रतिनिधियों के सामने ‘विश्व हिन्दू परिषद’ को एक हिन्दू राष्ट्रवादी संगठन के रूप में स्थापित करने घोषणा की गयी.
इसके बाद 29 अगस्त 1964 को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन विहिप की स्थापना हुई. किन्तु इस संगठन का वास्तविक स्वरूप 1966 में एक विश्व सम्मलेन जो कि प्रयाग के कुम्भ मेले में आयोजित किया गया था, उसमें सामने आया तथा तब 8 जुलाई 1966 को विहिप का पंजीकरण हुआ. स्वामी चिन्मयानन्द, एसएस आप्टे, मास्टर तारा सिंह, केशवराम काशीराम शास्त्री, सतगुरु जगजीत सिंह तथा अन्य कई लोगों ने मिलकर ‘विश्व हिन्दू परिषद’ की स्थापना की थी.
उद्देश्य -:
‘विश्व हिन्दू परिषद’ की
स्थापना हिन्दू समाज को सशक्त बनाने, अध्यात्म की रक्षा करने तथा देश- विदेश में
रहने वाले हिन्दुओं को संगठित करने के उद्देश्य से की गयी थी. इसके अतिरिक्त विहिप
के पंजीकरण संविधान में इस संगठन को गठित करने के कुछ मुख्य उद्देश्य दिए गये हैं,
जो कि इस प्रकार हैं-
1.भारत तथा विदेशस्थ हिंदुओं में भाषा, क्षेत्र, मत, सम्प्रदाय और वर्ग सम्बन्धी भेदभाव
मिटाकर एकात्मता का अनुभव कराना.
2.हिन्दुओं को सुदृढ़ और अखंड समाज के रूप में खड़ा कर
उनमें धर्म और संस्कृति के प्रति भक्ति, गौरव और निष्ठा की भावना उत्पन्न करना.
3.हिंदुओं के नैतिक एवं आध्यात्मिक जीवन मूल्यों
को सुरक्षा प्रदान कर उनका विकास और विस्तार करना.
4. छुआछूत की भावना समाप्त कर हिन्दू समाज
में समरसता पैदा करना.
5. हिंदू समाज के बहिष्कृत और धर्मान्तरित, पर हिंदू जीवन पद्धति के प्रति लगाव
रखने वाले भाई-बहिनों को हिंदू
धर्म में वापस लाकर
उनका पुनर्वास करना.
6. विश्व के भिन्न-भिन्न देशों में
बसे हिंदुओं को धार्मिक एवं सांस्कृतिक आधार पर परस्पर स्नेह के सूत्र में बांधकर
उनकी सहायता करना और उन्हें मार्गदर्शन देना.
7. संपूर्ण विश्व में मानवता के कल्याण
हेतु हिन्दू धर्म के सिद्धांतों और व्यवहार की व्याख्या करना.
इन्हीं उद्देश्यों के साथ ‘विश्व हिन्दू परिषद’
देशभर में काफी सक्रियता से कार्य कर रहा है.
कार्यशैली -:
‘विश्व हिन्दू परिषद’ वार्ड
स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक पूरे भारत में
सक्रिय है. कार्यप्रणाली के आधार पर यह संगठन वार्ड, खण्ड, प्रखण्ड (नगर),
जिला, प्रान्त तथा राष्ट्रीय स्तर पर विभाजित है. इसके अलावा हर स्तर पर सुनियोजित
तरीके से कार्य करने के लिए एक अध्यक्ष, कार्याध्यक्ष, उपाध्यक्ष, संगठन मंत्री,
सह मंत्री तथा एक कोषाध्यक्ष होता है. यह लोग हर स्तर पर अपने क्षेत्र के
कार्यकर्ताओं को दिशा निर्देश देते हैं तथा राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित की गयी
योजनाओं का हर स्तर पर ठीक प्रकार से संचालन हो, यह सुनिश्चित करते हैं. इस संगठन
से सम्बंधित नीतियों तथा कार्यों पर चर्चा करने के लिए समय- समय पर हर स्तर पर
बैठकें बुलाई जातीं हैं. वहीं राष्ट्रीय स्तर पर भी विहिप का वर्ष में एक बार
राष्ट्रीय अधिवेशन होता है.
सामाजिक व धार्मिक कार्य -:
‘विश्व हिन्दू परिषद’ एक धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक संगठन है, जो कि धर्म व समाज की सेवा के लिए कार्य करता है तथा समय- समय पर कई धार्मिक व सामाजिक कार्यक्रम भी आयोजित करता रहता है. मुख्य रूप से विहिप हिन्दू धर्म, गौ माता तथा मंदिर – मठों की रक्षा व सेवा करने का कार्य करता है.
इसके अलावा इस संगठन के कार्यकर्ता श्रीराम जन्मभूमि, रामसेतु व गंगा की रक्षा के लिए भी सक्रियता से प्रयासरत रहतें हैं. वहीं सामाजिक कार्यों के प्रति भी यह संगठन अत्यंत जागरूक है. प्राकृतिक आपदाओं या हादसों के दौरान इस संगठन के कार्यकर्ता उस स्थान पर पहुंच कर लोगों की हर संभव सहायता करते हैं. इसके अतिरिक्त विहिप सामाजिक समरसता के भी कई कार्य करता है.
‘विश्व हिन्दू परिषद’ विश्वभर के हिन्दुओं का मार्गदर्शन करने का कार्य करता है. इस हिंदूवादी संगठन के संविधान में दी गयी ‘हिन्दू’ की परिभाषा के अनुसार, “जो व्यक्ति भारत में विकसित हुए जीवन मूल्यों में आस्था रखता है, वह हिन्दू है.” विहिप जातिवाद में विश्वास न रखकर सिर्फ ‘हिंदुत्व’ में विश्वास रखता है.
इस संगठन में जाति के आधार पर किसी से कोई भेदभाव नहीं किया जाता तथा सभी को समान दृष्टि से देखा जाता है. विहिप ने आज न सिर्फ भारत के बल्कि पूरे विश्व के हिन्दुओं में जाति, वर्ग सम्बन्धी भेदभाव को मिटाकर उन्हें ‘एकता’ का पाठ पढ़ाया है.