Ad
Search by Term. Or Use the code. Met a coordinator today? Confirm the Identity by badge# number here, look for BallotboxIndia Verified Badge tag on profile.
 Search
 Code
Searching...loading

Search Results, page of (About Results)

जल प्रदूषण

Mahendra Pratap Singh

Mahendra Pratap Singh Opinions & Updates

ByMahendra Pratap Singh Mahendra Pratap Singh   620

जल में ठोस कार्बनिक, अकार्बनिक पदार्थ, रेडियाऐक्टिव तत्व, उद्योगों का कचरा एवं सीवेज से निकला हुआ पा

जल में ठोस कार्बनिक, अकार्बनिक पदार्थ, रेडियाऐक्टिव तत्व, उद्योगों का कचरा एवं सीवेज से निकला हुआ पानी मिलने से जल प्रदूषित हो जाता है।  

जल प्रदूषण के कारण- 

जल प्रदूषण के मुख्य कारण निम्न प्रकार हैं- 

1. उद्योगों से निकलने वाला कचरा-कई धातुयें जैसे-मरकरी(Hg), कैडमियम(Cd) एवं लेड(Pb) आदि अपने साथ निकालता है।  

2. सीवेज का जल मानव तथा जानवरों के मल को अपने साथ ले जाता है जिसमें कई हानिकारक पदार्थ जैसे यूरिया एवं यूरिक एसिड आदि मिले रहते हैं। 

3. बहुत से साबुनों से निकलने वाला पानी भी जल को प्रदूषित करता है।  

4. निर्माण कार्य में प्रयुक्त पदाथर्, इमारतों में प्रयोग हानेे वाले पदार्थ जैसे फास्फाेिरक एसिड, कार्बाेिनक एसिड, सल्फ्यूरिक एसिड आदि नदी में मिलकर जल प्रदूषण फैलाते हैं।  

5. कुछ कीटनाशक पदार्थ जैसे डी0डी0टी0, बी0एच0सी0 आदि के छिड़काव से जल प्रदूषित हो जाता है तथा समुद्री जानवरों एवं मछलियों आदि को हानि पहुॅंचाता है।  

Ad

6. नाइट्रेट तथा फाॅस्फेट लवण ही साधारणतया उर्वरक के रूप में प्रयोग किये जाते हैं। यह लवण वर्षा में मिट्टी के साथ मिलकर जल को प्रदूषित कर देते हैं।  

7. कच्चा पेट्रोल, कुओं से निकालते समय समुद्र में मिल जाता है जिससे जल प्रदूषित होता है।   

जल प्रदूषण के प्रभाव-  

1. भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाली बीमारियों का एक मुख्य कारण प्रदूषित जल है।अतिसार, पेचिश, हैजा एवं टाॅयफायड आदि दूषित जल के प्रयोग से ही हातेे हैं।

Ad

2. भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में होने वाली बीमारियों का एक मुख्य कारण प्रदूषित जल है।अतिसार, पेचिश, हैजा एवं टाॅयफायड आदि दूषित जल के प्रयोग से ही हातेे हैं। जल में पाए जाने वाले विभिन्न प्रदूषकों से उत्पन्न होने वाली बीमारियाॅं दिम्न प्रकार हैं-

जल में ठोस कार्बनिक, अकार्बनिक पदार्थ, रेडियाऐक्टिव तत्व, उद्योगों का कचरा एवं सीवेज से निकला हुआ पा

3. सूक्ष्म जीव जल में घुले हुये आॅक्सीजन के एक बड़े भाग को अपने उपयोग के लिये अवशाेिषत कर लेते हैं। जब जल में जैविक द्रव्य बहुत अधिक हातेे हैं तब जल में आॅक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। जिसके कारण जल में रहन वाले जीव-जन्तुओं की मृत्यु हो जाती है।   

4. औद्योगिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न रासायनिक पदार्थ प्रायः क्लोरीन, अमोनिया, हाइड्राजेन सल्फाइड, जस्ता, सीसा, निकिल एवं पारा आदि विषैले पदार्थों से युक्त होते  हैं। यदि यह जल पीने के माध्यम से अथवा इस जल में पलने वाली मछलियों को खाने के माध्यम से शरीर में पहॅंच जाये तो गंभीर बिमारियों का कारण बन जाता है जिसमें अन्धापन, शरीर के अंगों को लकवा मार जाना और श्वसन क्रिया आदि का विकार शामिल है। जब यह जल कपड़ा धोने अथवा नहाने के लिये नियमित प्रयोगों में लाया जाता है तो त्वचा रोग उत्पन्न हो जाता है।  

5. प्रदूषित जल से खेतों में सिंचाई करने पर प्रदूषक तत्व पौधों में प्रवेश कर जाते हैं। इन पौधों अथवा इनके फलों को खाने से अनेक भयंकर बीमारियाॅं उत्पन्न हो जाती हैं।  

Ad

6. आज हजारों जलयान एवं पेट्रोलियम टैंकर समुद्र में चल रहे हैं। ये लाखों टन पेट्रोलियम का छिड़काव समुद्र की सतह पर करते हैं। ये छिड़काव इनके लीकेज अथवा अथवा छोटी- मोटी दुघर्टनाओं से हातेे हैं। यह तेल मछलियों के लिए विष है और समुद्री पर्यावरण के लिए अभिशाप है। इस तेल की कुछ हानिकारक धातुएॅं जैसे- सीसा, निकिल अथवा कोबाल्ट आदि वनस्पतियों  अथवा जीवों के माध्यम से मनुष्य तक पहुॅंच जाती हैं। ‘एयरोसोल' के श्वसन तन्त्र में पहुॅंच जाती है।  

मनुष्य द्वारा पृथ्वी का कूरा- कचरा समुद्र में डाला जा रहा है। नदियाॅं भी अपना प्रदूषित जल समुद्र में मिलाकर उसे लगातार प्रदूषित कर रही हैं।  

वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि भू मध्य सागर में कूड़ा- कचरा डालना बन्द न किया गया तो डालफिन, फिश और टूना जैसी युन्दर मछलियों का यह सागर शीघ्र ही इनका कब्रगाह बन जाएगा।  

जल प्रदूषण रोकने के उपाय- 

1. अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग को रोका जाना चाहिए तथा उसके स्थान पर गोबर की खाद का प्रयागे किया जाना चाहिए। 

2. रासायनिक साबुनों के बढ़ते प्रयागे को कम किया जाना चाहिए। 

3. उद्योगों के कचरे को नदियों में मिलाने से पूर्व उसमें उपस्थित कार्बनिक तथा अकार्बनिक पदाथों को नष्ट कर देना चाहिए। 

4. रेडियो एक्टिव पदार्थ, अस्पतालों एवं रासायनिक प्रयोगशालाओं के कूड़े को जल में मिलाने से स्थान पर उसे जमीन में गाड़ना चाहिए।  

जल संकट की आरे विश्व जनमत का ध्यान आकृष्ट करने हेतु प्रतिवर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है।

Leave a comment for the team.
रिसर्च को सब्सक्राइब करें

इस रिसर्च पर अपडेट पाने के लिए और इससे जुड़ने के लिए अपना ईमेल आईडी नीचे भरें.

ये कैसे कार्य करता है ?

start a research
जुड़ें और फॉलो करें

ज्यादा से ज्यादा जुड़े लोग, प्रतिभाशाली समन्वयकों एवं विशेषज्ञों को आकर्षित करेंगे , इस मुद्दे को एक पकड़ मिलेगी और तेज़ी से आगे बढ़ने में मदद ।

start a research
संगठित हों

हमारे समन्वयक अपने साथ विशेषज्ञों को ले कर एक कार्य समूह का गठन करेंगे, और एक योज़नाबद्ध तरीके से काम करना सुरु करेंगे

start a research
समाधान पायें

कार्य समूह पारदर्शिता एवं कुशलता के साथ समाधान की ओर क़दम बढ़ाएगा, साथ में ही समाज में से ही कुछ भविष्य के अधिनायकों को उभरने में सहायता करेगा।

आप कैसे एक बेहतर समाज के निर्माण में अपना योगदान दे सकते हैं ?

क्या आप इस या इसी जैसे दूसरे मुद्दे से जुड़े हुए हैं, या प्रभावित हैं? क्या आपको लगता है इसपर कुछ कारगर कदम उठाने चाहिए ?तो नीचे फॉलो का बटन दबा कर समर्थन व्यक्त करें।इससे हम आपको समय पर अपडेट कर पाएंगे, और आपके विचार जान पाएंगे। ज्यादा से ज्यादा लोगों द्वारा फॉलो होने पर इस मुद्दे पर कार्यरत विशेषज्ञों एवं समन्वयकों का ना सिर्फ़ मनोबल बढ़ेगा, बल्कि हम आपको, अपने समय समय पर होने वाले शोध यात्राएं, सर्वे, सेमिनार्स, कार्यक्रम, तथा विषय एक्सपर्ट्स कोर्स इत्यादि में सम्मिलित कर पाएंगे।
समाज एवं राष्ट्र, जहाँ लोग कुछ समय अपनी संस्कृति, सभ्यता, अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझने एवं सँवारने में लगाते हैं। एक सोची समझी, जानी बूझी आवाज़ और समझ रखते हैं। वही देश संसार में विशिष्टता और प्रभुत्व स्थापित कर पाते हैं।
अपने सोशल नेटवर्क पर शेयर करें

हर छोटा बड़ा कदम मायने रखता है, अपने दोस्तों और जानकारों से ये मुद्दा साझा करें , क्या पता उन्ही में से कोई इस विषय का विशेषज्ञ निकल जाए।

क्या आपके पास कुछ समय सामजिक कार्य के लिए होता है ?

इस एक्शन ग्रुप के सहभागी बनें, एक सदस्य, विशेषज्ञ या समन्वयक की तरह जुड़ें । अधिक जानकारी के लिए समन्वयक से संपर्क करें और अपने बारे में बताएं।

क्या आप किसी को जानते हैं, जो इस विषय पर कार्यरत हैं ?
ईमेल से आमंत्रित करें
The researches on ballotboxindia are available under restrictive Creative commons. If you have any comments or want to cite the work please drop a note to letters at ballotboxindia dot com.

Code# 52375

ज़ारी शोध जिनमे आप एक भूमिका निभा सकते है.

Follow