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स्वच्छ भारत के अन्तर्गत ध्वनि प्रदुषण पर भी रोक लगे

Swachh Bharat (Clean India) and Swachh Lucknow (Uttar Pradesh)- How To Avert Dengue chikungunya and Serial Epidemic

Swachh Bharat (Clean India) and Swachh Lucknow (Uttar Pradesh)- How To Avert Dengue chikungunya and Serial Epidemic News and Media coverage

ByAnant Srivastava Anant Srivastava   171

शहर मे बढ़ते ध्वनि प्रदूषण का कोई उपाय कारगर साबित नहीं हो रहा है। माननीय सुप्रीम कोर्ट के जारी आदेशो

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शहर मे बढ़ते ध्वनि प्रदूषण का कोई उपाय कारगर साबित नहीं हो रहा है। माननीय सुप्रीम कोर्ट के जारी आदेशों का निरंतर उलंघन किया जा रहा है। तय किये मानकों से कही ज्यादा दिन और रात का ध्वनि प्रदूषण बढ़ चूका है। 

सन 2005 मे ध्वनि प्रदूषण से जुड़े एक केस की सुनवाई करते समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जीने के अधिकारों मे शामिल है कि आप किसी शोर को सुनना चाहते है या नहीं। कोई भी व्यक्ति शोर मचाने के लिए अनुछेद 19(1) की आड़ नहीं ले सकता। 

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सुप्रीम कोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण के लिए कड़े आदेश पारित किये है पर उनका पालन कहीं नहीं हो रहा है। पुलिस के पास प्रतिदिन 2 या 3 शिकायत आती है परंतु उन पर कारवाही नहीं होती। 

पर्यावरण एक्टिविस्ट अशोक शंकरम जी कहते है सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को अगर आसान भाषा मे समझ जाये तो शादियों, चुनाव प्रचारों और धार्मिक स्थलों से आने वाला शोर को आपको सुनना है या नहीं इसका अधिकार आपको है। वो कहते है कोई भी व्यक्ति अभिव्यक्ति के नाम पर आपको शोर सुनाने के लिए विवश नहीं कर सकता। मद्रास हाई कोर्ट का भी इस पर फैसला है कि धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर न बजे। और इसका पालन भी कई राज्यो मे हो रहा है। 

पुलिस अपनी चेतावनी को निर्देशित करना भूल गयी है। आदेशो के अन्तर्गत रात 10 से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर, एम्पलिफिएड म्यूजिक, ड्रम, पटाखे आदि बजाना दंडनीय अपराध है। ऐसा करते पाए जाने पर एनवायरनमेंट एक्ट 1986 के अन्तर्गत 5 साल की सज़ा और 1 लाख तक के जुर्माने का प्राविधान है। पर इस एक्ट मे पुलिस कोई कारवाही नहीं करती। 

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पोल्लुशन कण्ट्रोल बोर्ड के अनुसार ध्वनि के तीव्रता को डेसिबेल मे नापा जाता है। सामान्य तोर पर बातचीत 60 डेसिबेल पर होती है पर 80 से ज्यादा का शोर कानों के लिए हानिकारक है। 100 डेसिबेल की ध्वनि को 15 मिनट सुनने से कान भी खराब हो सकते है। शहर के कई जगहों पर ध्वनि दिन और रात दोनों मे मानकों से कई ऊपर पायी गयी है: 

ध्वनि प्रदूषण की दिसम्बर मे स्थिति :
शहर मे बढ़ते ध्वनि प्रदूषण का कोई उपाय कारगर साबित नहीं हो रहा है। माननीय सुप्रीम कोर्ट के जारी आदेशोnoise vpol...tem.pdf

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