समाज को जोड़ने का नहीं तोड़ने का काम कर रहा है आज का सोशल मीडिया
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समाज एवं राष्ट्र, जहाँ लोग कुछ समय अपनी संस्कृति, सभ्यता, अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझने एवं सँवारने में लगाते हैं। एक सोची समझी, जानी बूझी आवाज़ और समझ रखते हैं। वही देश संसार में विशिष्टता और प्रभुत्व स्थापित कर पाते हैं।
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By
Amit Kumar Yadav 78
बीते दिनों एक और पूर्व फेसबुक एग्जिक्यूटिव ने दुनिया भर के नागरिकों के लिए जो सोशल मीडिया नेटवर्क से जुड़े हैं उनके हो रहे नुकसान के बारे में बात की । 2007 में फेसबुक में शामिल होने वाले और “यूसर ग्रोथ” के विकास के लिए उपाध्यक्ष बनने वाले चमथ पलाहिपितीया ने कहा कि उन्हें इस बात कर जबर्दस्त पछतावा है की उन्होने फ़ेसबूक के विकास में मदद की ।
स्टैनफोर्ड ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिज़नेस में लोगों को सोशल मीडिया से "हार्ड ब्रेक" लेने की सिफारिश करने से पहले, उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि हमने ऐसे उपकरण बनाए हैं जो सामाजिक ताने बाने को बेहद नुकसान पहुंचा रहे हैं"।
पालहापितीया की आलोचनाओं का केंद्र न केवल फेसबुक था, लेकिन पूरा ऑनलाइन सोशल मीडिया तंत्र भी था। उन्होंने कहा, " लोग डोपोमिन आधारित लूप्स में फसते जा रहे हैं और एक दूसरों से सामाजिक तौर पर मेल जोल कम करके लाइक, शेयर और थम्स अप के जरिये अपनी भावनाएं शेयर करने में लगे हुए हैं । गलत सूचना, गलतफहमी केवल एक अमेरिकी समस्या नहीं है - यह रूसी विज्ञापनों के बारे में भी नहीं है यह एक विकराल रूप लेती वैश्विक समस्या है"।
उन्होने भारत की एक घटना जिसमे एक अपहरण की अफवाह के चलते 7 लोगों की जान गयी थी का उदाहरण देते हुए कहा की "इसी के तरह की घटनाओं से हम रोज दो चार हो रहे हैं," पालीपियातिया ने कहा। कहा। "अब इसे चरम पर ले जाकर कल्पना करो, जहां एक खराब कलाकार समाज में अपने अजेंडे को फैलाने के लिए सोशल मीडिया पर मासूम लोगों के दिमाग से खेले और विकृत विचार डाले , यह सचमुच बेहद भयावह और डरावना है ।
"वह कहते हैं कि वह जितना संभव हो सके फेसबुक को उतना कम उपयोग करने की कोशिश करता हूँ, और अपने बच्चों को भी इससे दूर ही रखता हूँ " हालांकि फ़ेसबूक ने दुनिया में सारे काम खराब किए हों ऐसा नहीं है ।
पालीपियातिया की टिप्पणियां उन अन्य लोगों से बयानों से मेल खाती हैं जिन्होंने आज के शक्तिशाली फेसबुक को बनाने में मदद की है । नवंबर में, प्रारंभिक निवेशक सीन पार्कर ने कहा था कि वह सोशल मीडिया के लिए "ईमानदार ओब्जेक्टर " बन गया है, और कहा कि फेसबुक इतना सफल इंसानी मनोविज्ञान को समझने के बाद इसका शोषण करके हुआ है ।
कंपनी के पूर्व उत्पाद प्रबंधक एंटोनियो गार्सिया-मार्टिनेज, ने कहा है कि फेसबुक की समस्त विचार धारा ही अपने असीम डेटा के माध्यम से लोगों को प्रभावित करने में है, उन्होने इस विषय को विस्तृत तौर से अपनी किताब “ केयोस मोंकिस ” में लिखा है ।
इन पूर्व कर्मचारियों ने समय समय पर विश्व को फेसबूक की बढ़ती हुई ताकत और प्रभाव के बारे में आगाह करने की कोशिश की है । पिछले साल हुए अमेरिकी चुनावों में सोशल मीडिया की संदिग्ध भूमिका को लेकर सभी पूर्व कर्मचारी और विशेषज्ञ चिंतित हैं व सोशल मीडिया पर फैलती अनैतिक खबरों और पोस्ट्स को लेकर अपनी बेहद सख्त नाराजगी दर्ज कराते हुए सोशल मीडिया कंपनियों को दोष देते हैं
अपने भाषण में, पालीपियातिया ने न केवल फ़ेसबुक की आलोचना की, बल्कि सिलिकॉन वैली की पूरे पूंजीगत वित्तपोषण प्रणाली को कटघरे में खड़ा किया । उन्होंने कहा कि निवेशक जलवायु परिवर्तन और बीमारी जैसी वास्तविक समस्याओं को संबोधित करने के बजाय "छोटे, बेकार, बेवकूफ कंपनियों के समूहों" में पैसे पंप करते हैं। पलहपतिया वर्तमान में अपनी वीसी फर्म, सोशल कैपिटल चलाते हैं, जो स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में कंपनियों को वित्तपोषण करने पर केंद्रित है।
पालीपतिया यह भी नोट करते हैं कि हालांकि तकनीकी निवेशक काफी शक्तिशाली व प्रभावी लगते हैं, लेकिन वह भी कौशल के बल पर नहीं बल्कि किस्मत के बल पर सफल बने हैं उन्होंने कहा। "यदि आप एक सीट पर हैं, और आपके पास एक बेहद अच्छा और क्रांतिकारी विचार का सौदा है, और आपके पास उसे खरीदने के लिए बहुमूल्य पूंजी है, तब होती है दुनिया में तकनीकी क्रांति ! बाकी सब बकवास है और यही अटूट सत्य है