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इडियट शब्द सर्च करने पर गूगल दिखा रहा है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की तस्वीरें : गूगल से जुड़ा नया विवाद

Fake Information on Facebook – Broken democracies and Criminal Culpability on Facebook Owners, a Research

Fake Information on Facebook – Broken democracies and Criminal Culpability on Facebook Owners, a Research News and Media Coverage

ByDeepika Chaudhary Deepika Chaudhary   Contributors Rakesh Prasad Rakesh Prasad 31

गूगल की अवधारणा ही गलत है, और जनता में इसकी ज़रुरत सिर्फ पैसे के बल पर बनायीं गयी है, वही पैसा जो कोई भी लगा कर गूगल से कुछ भी करवा सकता है. आपके पास अगर पैसा हो तो आप अपने बिगड़े हुए नाम को संवार भी सकते हैं, फ़ायदा सिर्फ गूगल को ही मिलेगा.दिन में बिगाड़ना और शाम को संवारना इसी में ट्रिलियन डॉलर का कारोबार हो जाता है.राकेश प्रसाद 

दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन है “गूगल”, जिसके माध्यम से एक क्लिक से ही सारी जानकारियां उपलब्ध हो जाती है. एक ऐसा सर्च इंजन, जिसने अपने अन्दर पूरे ब्रह्माण्ड की जानकारियों को समाहित किया हुआ है. इसके द्वारा सर्च किये गए प्रत्येक शब्दों को कीवर्ड के आधार पर प्राप्त किया जाता है. पलक झपकते ही मात्र कुछ सेकंड में ही सर्च की गयी जानकारी को हमारे सामने प्रस्तुत करता है “गूगल सर्च इंजन”. स्वयं गूगल के सीईओ सुन्दर पिच्चई के अनुसार वर्ष 2017 में तकरीबन 3 ट्रिलियन लोगों ने जानकारी प्राप्त करने के लिए गूगल का उपयोग किया और एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2017 में यह आंकड़ा लगभग 25 करोड़  है. अब प्रश्न यह उठता है कि गूगल से प्राप्त होने वाली जानकारियां कितनी प्रमाणिक होती हैं? जैसे हाल ही में विवादित एक मुद्दे पर नजर डालते है, जिसमें “इडियट” शब्द को गूगल सर्च करने पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की तस्वीर सामने आती है.

गूगल की अवधारणा ही गलत है, और जनता में इसकी ज़रुरत सिर्फ पैसे के बल पर बनायीं गयी है, वही पैसा जो कोई

सर्च इंजन पर लगे प्रश्नचिन्ह

यूँ तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प आए दिन सुर्ख़ियों में ही रहते हैं परन्तु इस बार उनके सुर्ख़ियों में रहने का कारण बना है गूगल. गूगल में “इडियट” शब्द लिख कर सर्च करने से डोनाल्ड ट्रम्प की तस्वीर दिखाई देती है. यह तस्वीर गूगल अल्गोरिथम की वजह से दिखाई दे रही है, क्यूंकि गूगल पर कोई भी कीवर्ड यदि टाइप किये जाये तो वही तस्वीरें उपलब्ध होती हैं जिनमे वो टैग हो. इससे स्पष्ट होता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की काफी तस्वीरों में भी इडियट टैग ही डाला गया है. इडियट शब्द डालने से ट्रम्प की जो तस्वीर सामने आ रही है वह बेबीस्पिटल अमेरिकी ब्लॉग साईट की है, जिसमें 12 मई 2017 को इडियट नाम की हैडलाइन से एक आर्टिकल प्रकाशित हुआ था. बस यही से इस मुद्दे की शुरुआत हो गयी.

गूगल सर्च इंजन की कार्यप्रणाली :

अब जानते हैं की गूगल सर्च इंजन काम कैसे करता है? आखिर क्यों इडियट शब्द टाइप करने से सबसे ऊपर डोनाल्ड ट्रम्प की ही तस्वीर आ रही है. वास्तविकता यह है कि हम किसी कीवर्ड या किसी प्रश्न को सर्च करते हैं तो सर्च इंजन के बोट्स, स्पाइडर तथा क्रॉलर हमारे कीवर्ड से जुड़े वेब पेज पर जाकर उनकी हैडिंग, कंटेंट, कीवर्ड या यूआरएल इन सभी को चेक करते हैं, तत्पश्चात रैंकिंग व क्वालिटी के अनुसार जो भी वेब पेज मिलते हैं उन्हें हमारे सामने उपलब्ध करा देते हैं. यह पूरी प्रक्रिया गूगल के द्वारा मात्र 1 सेकंड में पूरी हो जाती है. यही कारण से ट्रम्प की तस्वीर इडियट शब्द सर्च करने से सबसे ऊपर दिखाई दे रही है.

पहले मोदी जी को भी बताया था मूर्ख प्रधानमंत्री :

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हालाँकि यह कोई नहीं घटना नहीं है ऐसा पहले भी हो हुआ है. भारत के प्रधानमंत्री भी इस श्रेणी में आ चुके हैं. गूगल सर्च के अनुसार भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी दुनिया का सबसे मूर्ख (वर्ल्डस मोस्ट स्टुपिड प्राइम मिनिस्टर) प्रधानमंत्री बताया गया है. इससे पहले गूगल के अनुसार मोदी जी दुनिया के शीर्ष अपराधी की लिस्ट में भी शामिल थे. एक और जहाँ हम गूगल के द्वारा उपलब्ध जानकारियों की प्रमाणिकता की बात करते हैं, वहीं दूसरी और ऐसी बेतुकी जानकारियां हमारे सामने आती हैं. सिर्फ भारत के प्रधानमंत्री ही नहीं गूगल द्वारा इस श्रेणी में थाईलैंड की प्रधानमंत्री यिंगलुक शिनवात्रा, न्यूज़ीलैण्ड के प्रधानमंत्री जॉन को भी शामिल किया जा चुका है.

गूगल की अवधारणा ही गलत है, और जनता में इसकी ज़रुरत सिर्फ पैसे के बल पर बनायीं गयी है, वही पैसा जो कोई

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गूगल सीईओ सुन्दर पिच्चई का बयान :

इस मुद्दे पर हाउस जुडिशियरी कमेटी की कैलिफ़ोर्निया सांसद जो लोफ्रेन ने गूगल के सीईओ सुन्दर पिच्चई से प्रश्न किया गया तथा उनसे सीधे तौर पर पूछा कि,

“गूगल सर्च के नतीजों में हेरफेर के चलते हुए मेरे ख्याल से यह जानना जरूरी हो जाता है कि सर्च कैसे कार्य करती है? फ़िलहाल यदि आप गूगल पर इडियट शब्द लिख कर इमेज सर्च करेंगे तो डोनाल्ड ट्रम्प की तस्वीर नतीजो में निकल कर आयेगी, जैसे मैंने अभी करके देखा.”

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इस प्रश्न के आधार पर गूगल सीईओ सुन्दर पिच्चई ने स्पष्ट करते हुए कहा है कि,

“गूगल जो सर्च उपलब्ध कराता है वह कीवर्ड पर आधारित होती है. हम किसी भी समय गूगल सर्च करने के लिए कोई कीवर्ड डालते है तो गूगल उसे क्रॉल करता है और गूगल में अरबों की संख्या में वेबपेज पर अनुक्रमाणिका के अनुसार उपलब्ध संबंधित जानकारियों को मिलान कर के 200 से अधिक सिग्नल्स के आधार पर उन्हें रैंक करता है और लोकप्रियता व नवीनता के अनुसार बेहतर से बेहतर परिणाम सर्च कर के हमारे द्वारा पूछे गए सवालों की जानकारियां उपलब्ध करता है. फिर गूगल द्वारा उसका मूल्यांकन किया जाता है और अंततः यह सुनिश्चित किया जाता है की यह प्रक्रिया ठीक ढंग से कार्यरत है.”

गूगल सीईओ सुन्दर पिच्चई के आंकड़ों के अनुसार,

"पिछले साल 3 ट्रिलियन लोगों ने गूगल को सर्च के रूप में प्रयोग किया था. तथ्यानुसार देखा जाये तो हर एक दिन 15 प्रतिशत सर्च जो देखने में आती है, उन्हें हमने पहले कभी नहीं देखा होता. तो यह एक पैमाने की तरह कार्य करता है. हम खुद से किसी विशेष सर्च परिणाम में हस्तक्षेप नहीं करते हैं."

कैलिफ़ोर्निया सांसद जो लोफ्रेन के साथ साथ ही समिति के कई रिपब्लिकन और प्रतिनिधि लैमर स्मिथ ने भी अपने बयान समिति के समक्ष प्रस्तुत किये. लैमर स्मिथ ने कहा कि गूगल संस्कृति राजनीतिक पक्षपात से परिपूर्ण है.

और अंततः कुछ प्रश्न गूगल के लिए :

1. यदि आप विश्व के सर्वाधिक लोकप्रिय सर्च इंजन के तौर पर अपना एक बड़ा साम्राज्य स्थापित करते हैं, तो क्या आपकी सार्वजनिक जवाबदेही भी बढ़ नहीं जाती? क्यों नहीं आपको एक सार्वजानिक यूटिलिटी की तरह लाया जाए, जैसे राईट तो इनफार्मेशन?

2. तकनीकी क्षमता से लेस सिलिकॉन वैली की भीमकाय कंपनी होने के बावज़ूद आपके पास अगर अपना प्रोडक्ट ही कण्ट्रोल नहीं कर पा रहे हैं तो क्या ये ऐसा नहीं है जैसे पुरुलिया में गिराए हुए हथियार, जिसको मिला वही जीता?

3. विश्व की सर्वश्रेष्ठ तकनीकी इंजिनियर्स की दक्ष टीम होने पर भी आपके कार्यों पर प्रश्नचिंह उठाये जा रहें हैं तो क्या आप वास्तव में खरबों यूजर्स के भरोसे को कायम रख पा रहे हैं, या आपका प्रोडक्ट सिर्फ लोगों की मूढ़ता पर टिका है?

4. जहाँ आप एक ओर प्रोजेक्ट मेवेन जैसे सैन्य अभियान को बढ़ावा देकर अमेरिकी सेना को मजबूती और एकाधिकार प्रदान करने में सहायता कर रहे हैं, वहीँ दूसरी ओर आप चीन के लिए उनका सरकारी सर्वेलेंस सिस्टम बना रहे हैं, आपके इंसानी दासत्व से जुडी दुनिया के प्रभुत्व की दौड़ कहाँ तक जाती है.

5. क्या मात्र कुछ तकनीकी शब्दों से गूगल की कार्य प्रणाली की व्याख्या कर देना आपकी जवाबदेही को परिपूर्ण कर देता है?   

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