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फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या से फरवरी में पाएं नवजीवन

भारतीय त्यौहार एवं संस्कृति.

भारतीय त्यौहार एवं संस्कृति. Opinions & Updates

ByDeepika Chaudhary Deepika Chaudhary   {{descmodel.currdesc.readstats }}

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फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

अत्याधिक शीत के उपरांत तापमान में धीरे-धीरे बढ़ोतरी और बसंत के मनोहारी मौसम का प्रारंभ..यानि वर्ष का दूसरा माह फरवरी. संयुक्त राज्य अमेरिका में फरवरी को “अमेरिकन हार्ट मंथ” के रूप में हृदय रोगों के प्रति आम जन में गंभीरता लाने के तौर पर देखा जाता है. इसके अतिरिक्त फरवरी को स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता वाले महीने के रूप में भी जाना जाता है.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

PIC CREDIT - FREEPIK.COM 

यदि भारतीय मौसमानुसार देखा जाये तो फरवरी में मौसम अनुकूल ही रहता है, विशेषकर उत्तर भारत के अधिकतर राज्यों में दिन का तापमान अधिक (औसत तापमान, अधिकतम 25 डिग्री सेल्सियस एवं न्यूनतम 17 डिग्री सेल्सियस) और रात का तापमान कम रहता है. दिसम्बर और जनवरी में चरम पर रहने वाली ठंडक कम होती चली जाती है, जिसका स्वास्थ्य पर भी असर देखा जाता है.

इस कभी बढ़ते, कभी घटते तापमान के साथ संतुलन स्थापित करने के लिए शरीर को एक मजबूत प्रतिरोधक तंत्र की आवश्यकता पड़ती है. सर्दियों में लंबे समय तक ठंड से लड़ने के उपरांत हमारा शरीर अचानक तापमान में आई वृद्धि के लिए तैयार नहीं हो पाता है, जिसके चलते फरवरी में विशेष रूप से फ्लू, हृदय रोग, श्वसन संबंधी रोग, रक्त-संकुलन में जमाव आदि जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

यदि हमारा आहार और दिनचर्या आयुर्वेद के अनुसार व्यवस्थित रहे तो फरवरी में भी हम अचूक स्वास्थ्य का वरदान पा सकते हैं. उचित जीवनशैली और खान-पान से जुड़ी सही आदतें हमें फरवरी में भी तंदरुस्त बनाए रख सकती है.

फरवरी की स्वास्थ्यवर्धक जीवनशैली एवं ऋतू अनुकूल आहारचर्या –

भारत में फरवरी माह के अंतर्गत गेहूं, जौ, चना, सरसों आदि की खेती बहुतर की जाती है, साथ ही बहुत सी सब्जियां, फल एवं दालें बसंत के मौसम में शरीर के लिए उपयुक्त होती हैं. इस माह में विशेष रूप से उपयोग होने वाले अग्र वर्णित मौसमी फल एवं सब्जियों के सेवन से हमारा स्वास्थ्य बना रह सकता है.

1. मौसम के अनुसार खाद्यान्न –

सरसों के पीले फूलों से लदे खेतों को देखकर कोई भी बसंत ऋतू के आगमन का अंदाजा लगा सकता है. यानि मध्य फरवरी तक सरसों, गेहूं, मक्का, जौ, चना, जई इत्यादि का उपयोग अधिक होता है.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

एलिल आइसोथियोसाइनेट, विटामिन ई के गुणों से भरपूर सरसों बीज, तेल अथवा पत्ती तीनों ही रूप में हेल्थ के लिए सर्वोत्तम है, वहीं मक्का एक बेहतरीन कोलेस्ट्रोल फाइटर खाद्यान्न माना गया है, जो अपने खास एंटी-ऑक्सीडेंटस के कारण दिल के लिए बेहद उपयोगी है.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

सरलता से पच जाने वाला जई (ओट्स) फाइबर और कॉम्पलेक्स कार्बोहाइडेट्स का भी अच्छा स्रोत है और इसमें मौजूद बीटा ग्लूकॉन नामक गाढा चिपचिपा तत्व बुरे कोलेस्ट्रॉल से शरीर को बचाता है.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

2. फरवरी माह में उपयोग की जाने वाली सब्जियां –

मटर, गाजर, चकुंदर, बैंगन, पत्तागोभी, शलजम, शकरकंद आदि सब्जियों को ग्रहण करने के लिए फरवरी माह उपयुक्त है. इन सभी मौसमी सब्जियों में तरह तरह की विटामिन्स, प्रोटीन एवं एंटी ऑक्सीडेंट इत्यादि इन्हें शरीर में बेहतर रक्त संचारण के लिए तो लाभप्रद बनाते ही हैं, साथ ही यदि इन सब्जियों को सलाद के रूप में या हल्का उबाल कर भोजन में शामिल किया जाये तो इनके कैंसर-रोधी गुणों का लाभ भी उठाया जा सकता है.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

3. मौसमी फलों से पाए अच्छा स्वास्थ्य –

फरवरी माह में विशेष रूप से मार्किट में बेर, खजूर, किन्नू, अंगूर, अनानास, एवं अमरुद मिलते हैं. भोजन की दृष्टि से देखा जाये तो रोजाना के खान-पान में एक भाग फलों का अवश्य ही होना चाहिए.

अन्‍य साइट्रस फलों की अपेक्षा किन्नू फल में लगभग 2.5 गुना अधिक कैल्शियम होता है, साथ ही यह शरीर की प्रतिरक्षा क्षमता बढ़ाने में प्राकृतिक रूप से सहायक है.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

रसीले बेर कैलोरी की मात्रा कम होने पर भी शरीर को स्फूर्ति एवं नवऊर्जा प्रदान करने में सहायक है, साथ ही ये कैंसर कोशिकाओं को भी पनपने से रोकते हैं.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

अंगूर में पाया जाने वाला हेरोस्टिलवेन नामक एण्टीआक्सीडेंट पदार्थ शरीर को बहुत से रोगों से बचाता है, साथ ही अंगूर खून में से शूगर की मात्रा को भी कम करता है. काले अंगूरों में ओरोस्टिलवेन की मात्रा अधिक होती है, जिससे खून का संचार बढ़ता है और हृदय ताकतवर बनता है.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

4. नमक और चीनी का प्रयोग करें कम –

वैसे तो नमक और चीनी का उपयोग कम से कम ही किया जाना चाहिए, परन्तु फरवरी माह में मौसम में परिवर्तन के चलते हमारा प्रतिरक्षण तंत्र कमजोर रहता है, जिसके चलते वायरल रोग हमें आसानी से अपना शिकार बना सकते हैं.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

अनियमित रक्तचाप और हृदय पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव भी फरवरी में आमतौर पर बढ़ जाते है, इससे बचने का एक बड़ा उपाय यह है कि हम अपने भोजन में नमक और चीनी की प्रयोग को सीमित रखें. चीनी के स्थान पर गुड़, खजूर का उपयोग भी सरलता से किया जा सकता है.

5. आयुर्वेद के अनुसार फरवरी में शारीरिक संरचना –

आयुर्वेदिक लिहाज से देखा जाये तो फरवरी माह में शरीर में सर्दियों के मौसम में एकत्रित हुआ कफ धीरे धीरे पिघलता है और इससे हमारा शरीर कुदरती तौर पर थोडा कमजोर महसूस करता है. फरवरी में कफ दोष की अधिकता शरीर में  देखी जाती है.

विशेषकर हमारा श्वसन तंत्र इससे अधिक प्रभावित होता है और छाती में भारीपन महसूस होना इस मौसम में सामान्य समस्या है. फरवरी में कफ संबंधित रोग अधिक होते है, जिनमें खांसी, जुखाम, हल्का ज्वर, गले में सूजन और निमोनिया आदि हो सकते हैं.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

6. प्राकृतिक तरीकों से पाए मौसमी बीमारियों से निजात –

फरवरी में साइनस में होने वाली तकलीफों के लिए और कफ की अधिकता को कम कर रक्त-संचारण को बनाए रखने के लिए निम्न आयुर्वेदिक तरीकों को अमल में लाया जा सकता है –

- सरसों के दानों को पीसकर शहद के साथ खाने से कफ और खांसी में राहत तो मिलती ही है, साथ ही यह सर्दी, जुखाम, सिरदर्द और शरीर के दर्द में भी लाभप्रद है.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

- तुलसी को कफनाशक एवं संक्रामक रोगों से लड़ने के लिए कारगर औषधि माना जाता है, गले में टोन्सिलाईटीस की शिकायत होने पर तुलसी, अदरक, मुलहेठी का काढ़ा बना कर लिया जा सकता है.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

- दूध में कच्ची हल्दी और सोंठ पाउडर डाल कर रात के समय इसका सेवन करने से नाक और गले की खराश में राहत मिलती है, साथ ही सीने में होने वाली जलन के लिए भी यह बेहद उपयोगी है.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

- ताजे गाजर एवं पालक के पत्तों का रस नियमित रूप से खाली पेट सेवन करने से कोलेस्ट्रोल का बढ़ना कम होता है, रक्त्चाप नियंत्रण में रहता है तथा बहुत से हृदय रोगों (दिल का दौरा, तीव्र हृदय गति) से भी बचाव होता है.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

- म्‍यूको‍लिटिक गुणों से युक्त मेथीदाना छाती में जमने वाले कफ को पतला करने में उपयोगी है, इसलिए मेथीदाना को पानी में उबालकर चाय की भांति सेवन करने से कफ पिघलता है और यह निमोनिया जैसे रोगों में बेहद सहायक है.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

- लौंग, तुलसी, अदरक और काली मिर्च को पानी में डालकर उबालें और हल्का गर्म रहने पर शहद मिलाकर ग्रीन टी की भांति पीने से कफ के कारण हुई खांसी में अत्याधिक लाभ मिलता है.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

बसंत उत्सव के कुछ परंपरागत भारतीय व्यंजन –

राग, रंग एवं उत्सव के बासंती मौसम, यानि फरवरी माह में वृक्ष नई कोपलों से भर जाते हैं, आम बौरों से लद जाते हैं तथा सम्पूर्ण प्रकृति न केवल हरीतिमा से सुशोभित अपितु विभिन्न रंगों से नहाई हुई प्रतीत होती है. बसंत पंचमी, जिसे श्री पंचमी अथवा ऋषि पंचमी के नाम से भी जाना जाता है, इस माह का सबसे प्रमुख उत्सव है, जो भारत के विभिन्न भू-भागों में पृथक पृथक नामों के साथ मनाया जाता है.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के अनुसार बसंत उत्सव देवी सरस्वती को समर्पित पर्व है और पीला रंग बसंत का प्रतीक माना जाता है. इस दौरान उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब, दिल्ली अदि राज्यों में बनाये जाने वाले व्यंजनों में भी पीले रंग को ही प्रमुखता दी जाती है. ये सभी परंपरागत व्यंजन अपने आप में बेहतर स्वास्थ्य को प्रमुखता देते हुए प्रतीत होते हैं..इनमें से कुछ मुख्य इस प्रकार है –

1. येलो लेमन राइस –

विशेष तौर पर बिहार, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में हल्दी-लेमन राइस प्रमुखता से बनाए जाते हैं. इन्हें ओर अधिक स्वास्थ्यवर्धक बनाने के लिए इनमें सब्जियों का उपयोग किया जा सकता है.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

2. स्वीट राइस –

गुड और सूखे मेवों के साथ तैयार यह पारम्परिक व्यंजन देवी सरस्वती के भोग में भी प्रयोग किया जाता है. शुद्ध देसी घी तथा औषधीय गुणों से युक्त मसाले इलायची, दालचीनी, सौंफ, जायफल पाउडर आदि के प्रयोग से इनके स्वास्थ्य गुणों को बढाया जा सकता है.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

3. खांडवी –

गुजरात और दिल्ली में विशेष रूप से प्रसिद्द यह व्यंजन बेसन से तैयार होता है..चूंकि फरवरी में चने की फसल अधिक होती है, इसलिए यह व्यंजन भी बसंत में खास माना जाता है. बेहद कम अथवा जीरो आयल में बनने वाली खांडवी स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम आहार है.

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4. केसर राजभोग –

दूध से बना यह मिष्ठान पश्चिम बंगाल की लोकप्रिय मिठाइयों में से एक है. केसर के उपयोग से इसे पीली रंगत मिलने के साथ साथ एक अच्छी महक और केसर के औषधीय गुण भी मिल जाते हैं.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

5. सरसों का साग –

बसंत पंचमी के अवसर पर पंजाब, दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ स्थानों पर भारत में अत्याधिक लोकप्रिय सरसों के साग को मक्का की रोटी के साथ परोसा जाता है. इस खास व्यंजन को घर में निकाले गए मक्खन, छाछ, गुड आदि के साथ परोसकर इसके स्वास्थ्य गुणों में अधिक इजाफ़ा कर दिया जाता है.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

6. गाजर/कद्दू हलवा –

पीले रंग को प्रमुखता देते हुए गाजर या कद्दू से तैयार हलवा भी फरवरी माह के अंतर्गत विशेष तौर पर बनाया जाता है. सेहत के लिए लाभप्रद बनाने के उद्देश्य से इन्हें गुड या खजूर पेस्ट की प्राकृतिक मिठास और मेवों (मगज बीज, चिरोंजी, किशमिश आदि) का उपयोग कर बनाया जा सकता है.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

परंपरा के साथ साथ नवीनता का समागम -

इन सभी के परंपरागत व्यंजनों के अतिरिक्त बासंती उत्सव के गौरव को कायम रखते हुए पीली शिमला मिर्च, गाजर, मकई के दानों के उपयोग से उपमा, पोहा, पुलाव या दलिया इत्यादि बनाये जा सकते हैं. साथ ही केला, अनानास, खजूर के साथ दूध/दही के प्रयोग से स्मूदी या शेक तैयार कर सेहत के साथ साथ स्वाद का भी लुत्फ़ लिया जा सकता है. किन्नू, संतरा, नींबू जैसे उपयोगी फलों से केक, कुकीज या फ्लेवर्ड ब्रेड बना सकते हैं, जो नए होने के साथ साथ सेहतमंद भी है.

फरवरी विशेषांक - ऋतूराज बसंत का आगमन : स्वस्थ दिनचर्या  से फरवरी में पाएं नवजीवन-

इस प्रकार आहार में भारतीय एवं पाश्चत्य तकनीकों के फ्यूज़न से स्वास्थ्य एवं स्वाद दोनों का अनूठा संगम कर तथा उचित जीवनचर्या का पालन कर फरवरी माह में आरोग्य का वरदान पाया जा सकता है.

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