मैं हूँ तुम्हारी गोमती श्रृंखला में गोमती सेवा समाज टीम ने किया मोहम्मदी क्षेत्र का भ्रमण एवं विचारगोष्ठी
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Mandeep Singh 16
गोमती सेवा समाज से जुड़े अध्यापक व गोमती मित्र हरेन्द्र वर्मा की स्वरचित काव्य रचना के ये कुछ शब्द ही गोमती की आज की तस्वीर बयां करने के लिए काफी हैं. एक ओर जहां आजकल गोमती नदी को मृतप्राय होने से रोकने के लिए शारदा नहर का पानी गोमती में छोड़े जाने की सरकारी योजना पर काम चल रहा है, वहीं आज भी कुछ ऐसे गोमती मित्र हैं जो नदी के प्राकृतिक स्वरुप को जीवित रखना चाहते हैं और उनके विचार हैं कि जमीनी स्तर पर गोमती को बचाने के प्रयास किये जाए. ऐसे ही प्रयास कर रहा है गोमती सेवा समाज, जो गोमती की अविरलता के लिए गोमती यात्राओं, तटों का संरक्षण, नदी घाटों की स्वच्छता, पौधारोपण, सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम आदि का आयोजन कर रहा है.
गोमती संरक्षण अभियान के इसी क्रम में लखनऊ से प्रकाशित होने वाली साहित्यिक, सांस्कृतिक पत्रिका शब्दसत्ता द्वारा चलायी जा रही मुहिम "मैं हूँ तुम्हारी गोमती" के अंतर्गत टीम गोमती सेवा समाज शब्दसत्ता पत्रिका के संपादक सुशील सीतापुरी के साथ मोहम्मदी क्षेत्र के भ्रमण पर निकली. इस श्रृंखला में उनका सहयोग मंदीप सिंह, बक्शीश सिंह, ओमप्रकाश मौर्या सहित अन्य सदस्यों ने किया. साथ ही पीलीभीत से गोमती ट्रस्ट के सदस्य व माधोटांडा में गोमती सेवा कर रहे कुंवर निर्भय सिंह और गोमती के उद्गम स्थल फुलहर झील पर स्थित गोमती माता मंदिर के पुजारी बृजेन्द्र सिंह भी इस यात्रा का हिस्सा बने.
पुरैनाघाट से आरम्भ हुयी इस यात्रा में इमलियाघाट, नासियाघाट, सिद्धबाबा, गोमती पुल, सिरसाघाट, ऊचवाघाट, अमरीदेवीघाट पहुंची. इन सभी स्थानों पर टीम ने गोमती के वर्तमान हालात का जायजा लिया. ऊचवाघाट में मंदिर दर्शन करने के साथ ही एक विचारगोष्ठी का आयोजन भी किया गया, जिसमें शब्दसत्ता से संपादक सुशील सीतापुरी ने आदिगंगा गोमती से जुड़े धार्मिक पक्ष के बारे में चर्चा की. साथ ही उन्होंने आमजन से गोमती के संरक्षण के लिए आगे बढने के लिए बात रखते हुए कहा कि गोमती की ऐसी दशा के लिए हम सभी जिम्मेदार हैं.
गोमती यात्रा श्रृंखला में लखीमपुर खीरी से पर्यावरण जानकार डॉ पुष्पेन्द्र वर्मा ने ये नदियां सदियों से हमारे जीवन को सींचती आ रही हैं, ऐसे में जब आज इन्हें हमारी आवश्यकता है तो समाज को इनके संरक्षण के लिए आगे आना ही होगा. विचारगोष्ठी में गोमती मित्र ओमप्रकाश मौर्या ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि गोमती सेवा समाज गोमती के घाटों को बचाने के लिए स्वच्छता अभियान, वृक्षारोपण, ट्री गार्ड, डस्टबिन आदि की व्यवस्था करा रहा है लेकिन स्थानीय स्तर पर इनका प्रभावी होना आवश्यक है.
टीम के सचिव लेखक व अध्यापक मनदीप सिंह ने पर्यावरण संरक्षण पर अहम जानकारी देते हुए कहा कि पृथ्वी को आज रहने योग्य बनाने के लिए तमाम प्रकृति प्रेमी अथक प्रयास कर रहे हैं. क्योंकि हमें अपनी भावी पीढ़ी के लिए प्रकृति को सहेजना होगा, नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब हमारे पास धन तो होगा पर शुद्ध वायु और जल नहीं होगा. इस अवसर पर समस्त गोमती सेवा टीम ने भागीदारी करते हुए विभिन्न विषयों पर चर्चा की और संपादक सुशील सीतापुरी ने गोमती संरक्षण पर आधारित पत्रिका सभी को भेंट की.