अमेज़न, स्नैपडील और पेटीएम जैसे ई-कॉमर्स साईट घाटे में रहकर क्या वाकई में दे रहे हैं आपको लाभ? क्या यह छूट बस एक दिखावा है ?
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Swarntabh Kumar 169
अमेज़न, स्नैपडील और पेटीएम जैसे ई-कॉमर्स साईट घाटे में रहकर क्या वाकई में दे रहे हैं आपको लाभ?
यह छूट बस एक दिखावा है
आईये एक बार फिर से आप पर लालच का भूत चढ़ाने को तैयार है आपके प्यारे ई-कॉमर्स साइट्स. घाटे में रहने वाली यह कंपनियाँ फिर से खुद को घाटे में रखकर आपको पहुचाएंगे लाभ ही लाभ. आपकी दिवाली में खुद का दिवाला निकालने को बेकरार अमेज़न का ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल, स्नैपडील का अनबॉक्स दिवाली सेल या पेटीएम का 'महाबाजार' सेल फिर से एक बार आपको बेहद कम में बहुत कुछ देने जा रहा है. फिर से शुरू हुए इस सेल में आपको फिर से मिलेगी बंपर छूट. मगर रुकिए, एक बार सोचिये जरुर, समझने की कोशिश करें कि जब कोई कंपनी खुद घाटे में चल रही है तो वह खुद अपने आप को और भी ज्यादा नुकसान पहुंचा कर क्यों आपको लाभ पहुंचा रही हैं या यह छूट बस एक दिखावा है? वास्तव में यह आपके सामने परोसा गया ऐसा आडंबर है जो आपके दिल और दिमाग दोनों पर वार करती है. आपके दिल पर लालच का बार-बार किया जाने वाला हमला आपके दिमाग को उसी लाभ के बारे में सोचने को विवश कर देती है जहां आपको बस 50-60 प्रतिशत का छूट ही नज़र आती है. यह साधारण सी मानसिकता है कि हम 100 रूपए के मूल्य की वस्तु को 200 का बेचें 50 प्रतिशत छूट के साथ तो ज्यादा लोग इससे आकर्षित होंगे बजाय इसके की हम बिना किसी छूट के उसे उसी दाम पर यानि 100 रूपए में बेचें.
एक हाथ से कमा कर दूसरे हाथ गंवाने का सच
जिस देश ने दुनिया को शून्य दिया. जिसने गणित को गढ़ा आज उसी देश में आकर बाहर के लोग भी गणितीय गुणा-भाग द्वारा भारत को चुना लगा रहे हैं. अब ई-कॉमर्स के घाटे वाली बात पर जरा गौर फरमाया जाए. यह कंपनियां घाटे की बात करके हमेशा टैक्स देने से बचती रही हैं. मगर विज्ञापन में खर्च कर, भारी डिस्काउंट देकर क्या कोई कंपनी फायदे में आ सकती है? शायद आप सब का जवाब नहीं में होगा. एक उदहारण से सच समझने की कोशिश करते हैं. अगर आपको किसी उत्पाद बनाने में अगर 10 रूपए (सभी खर्च शामिल) का खर्च आता है और उसे आप 100 रूपए में बेच रहे हैं तो यहां आपका मुनाफा 90 रूपए का हुआ. वहीं जिस कंपनी को हमने माल बेचा है वह अगर अपना बाजार बनाने के नाम पर उस 100 रूपए वाली खरीद की वस्तु पर 20 प्रतिशत की छूट दे रही है तो उसे वह माल 80 रूपए में बेचना होगा यानि उसे प्रत्येक माल पर 20 रूपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है. अब अगर इसे ऐसे देखा जाए की कंपनी भी आपकी है और उत्पाद का निर्माण भी आप ही करते हो, तब स्थिति क्या होगी? आपके उत्पाद की लागत 10 रूपए है और उत्पाद को बेचने की कीमत 100 रूपए जिसपर हम 20 प्रतिशत की छूट दे भी दें तो भी प्रत्येक वस्तु पर मुनाफा 70 रूपए होगा. यानी स्वामित्व अगर किसी एक का है (जैसा अकसर होता भी है) तो आप घाटे के रुप में अपने ई-कॉमर्स बिजनेस को दिखा कर टैक्स से भी बच रहे हो, ग्राहकों को डिस्काउंट का लोभ देकर खुद की मार्केट भी तैयार कर रहे हो और वास्तव में जबरदस्त मुनाफा भी आपके ही पॉकेट में जा रहा है. तो सच यह है कि हर हाल में घाटा सरकार और ग्राहकों का ही होता है.
तो इस बार, इस बार ही नहीं हर बार फैसला आप ही लें कि आपकी जेब को चपत लगाने वाला और देश पर आर्थिक चोट करने वाले इन ई-कॉमर्स साइट के लुभावने छूट के वादों पर आप मोहित होंगे या इनके सच को समझ इन्हें टाटा - गुड बाय करेंगे. हमें यह बिल्कुल समझने की जरूरत है कि बाजार में आज भी ग्राहक सबसे बड़ी शक्ति है और यही शक्ति इन ई कॉमर्स साइटों को मजबूर कर सकती है कि वह ग्राहकों के मुताबिक चलें ना कि अपने आधार पर. तो आप तैयार हैं न?
-स्वर्णताभ