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नव संवत्सर वर्ष की महकती बेला का हुआ शुभारम्भ -वार्षिक महोत्सव का क्या है, महत्व

Mallahi Tola - II, Ward-87, (Lucknow)

Mallahi Tola - II, Ward-87, (Lucknow) Opinions & Updates

ByAnurag Pandey Anurag Pandey   Contributors Princy Gupta Princy Gupta 0

पूरी दुनिया में एक जनवरी को नया साल का दिन मनाया जाता है, लेकिन भारतीय संस्कृति के अनुसार, हिंदू नववर्ष की शुरुआत इस साल 1अप्रैल को हो रही है। दरअसल हिंदू नववर्ष पंचांग के अनुसार चैत्र माह की, शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को मनाया जाता है। ठाकुरगंज क्षेत्र से पूर्व पार्षद और वर्तमान पार्षद प्रतिनिधि एवं अधिवक्ता अनुराग पांडे ने नव संवत्सर के इस वार्षिक महोत्सव पर क्षेत्रवासियों को ढेरों शुभकामनाएँ दीं।

नव संवत्सर वर्ष की महकती बेला का हुआ शुभारम्भ -वार्षिक महोत्सव का क्या है, महत्व-पूरी दुनिया में एक

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वर्षारंभ मनाने का पौराणिक कारण यह है, कि इस दिन भगवान श्रीराम ने बाली का वध किया था। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन अयोध्या में श्रीरामजी का विजयोत्सव मनाने के लिए अयोध्यावासियों ने घर-घर के द्वार पर धर्मध्वज फहराया। इसके प्रतीकस्वरूप भी इस दिन धर्मध्वज फहराया जाता है। महाराष्ट्र में इसे गुडी कहते हैं। ब्रह्म पुराण में मान्‍यता है, कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि बनी इसलिए यही वो दिन है जब से भारत वर्ष की काल गणना की जाती है। हेमाद्रि के ब्रह्म पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी ने पृथ्वी की रचना चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन की थी। 

नव संवत्सर के इतिहास की बात करें, तो इसकी शुरुआत शकरि महाराज विक्रमादित्य ने की। हिन्दू धर्म में चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को नवसंवत की शुरुआत होती है। इसे भारतीय नववर्ष भी कहा जाता है। इसका आरम्भ विक्रमादित्य ने किया था, इसलिए इसे विक्रम संवत भी कहा जाता है। यह दिन भारत के अलग अलग राज्यों में गुड़ी पड़वा, उगादी आदि नामों से मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार नव वर्ष के साथ वसंत ऋतु का भी आरंभ हो जाता है जो उल्लास, उमंग, खुशी और  चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।  इसके अलावा चैत्र महीने में ही किसानों की फसल पकना शुरू हो जाता है। यानी साल की शुरुआत देश के किसानों के मेहनत का फल मिलने का भी समय होता है। चैत्र महीने के पहले दिन नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं। आसान भाषा में समझे तो इस दिन किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिए यह शुभ मुहूर्त होता है। 

नव संवत्सर वर्ष की महकती बेला का हुआ शुभारम्भ -वार्षिक महोत्सव का क्या है, महत्व-पूरी दुनिया में एक                                                                                                                                                                                                                  

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अनुराग पण्डे ने भी इस शुभ अवसर को मनाने हेतु, लोगों से अपील की कि एक सप्ताह पहले हम लोगों को अपने अपने घरों की छतों पर रेशमी पताका फहरानी चाहिए। घरों व दफ्तरों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाना चाहिए तथा इस दिन पतंगें उड़ाकर नववर्ष का स्वागत किया जाये। इस मौके पर विद्या की देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाएँ। गरीब बच्चों को कपड़े तथा चावल का दान किया जाये ताकि वर्ष भर घरों में सुख-शांति एवं समृद्धि बनी रही। 

नव वर्ष की यादगार बेला घर के आंगन में मांडणे (रंगोली) सजाए जाएँ तथा दीप या मोमबत्तियां जलानी चाहिए। गाय को रोटी और गुड़ खिलाएं ताकि नव वर्ष हंसी-खुशी के साथ गुजरे। नववर्ष के अवसर पर नीम व तुलसी की पत्तियां तथा गुड़ खाना शुभ माना जाता है। माना जाता है, कि इनको खाने से शरीर साल भर तक स्वस्थ बना रहता है इसलिए लोगो को इसका सेवत करना चाहिए।

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