नव संवत्सर वर्ष की महकती बेला का हुआ शुभारम्भ -वार्षिक महोत्सव का क्या है, महत्व
Leave a comment for the team.
रिसर्च को सब्सक्राइब करें
इस रिसर्च पर अपडेट पाने के लिए और इससे जुड़ने के लिए अपना ईमेल आईडी नीचे भरें.
ये कैसे कार्य करता है ?

जुड़ें और फॉलो करें
ज्यादा से ज्यादा जुड़े लोग, प्रतिभाशाली समन्वयकों एवं विशेषज्ञों को आकर्षित करेंगे , इस मुद्दे को एक पकड़ मिलेगी और तेज़ी से आगे बढ़ने में मदद ।

संगठित हों
हमारे समन्वयक अपने साथ विशेषज्ञों को ले कर एक कार्य समूह का गठन करेंगे, और एक योज़नाबद्ध तरीके से काम करना सुरु करेंगे

समाधान पायें
कार्य समूह पारदर्शिता एवं कुशलता के साथ समाधान की ओर क़दम बढ़ाएगा, साथ में ही समाज में से ही कुछ भविष्य के अधिनायकों को उभरने में सहायता करेगा।
आप कैसे एक बेहतर समाज के निर्माण में अपना योगदान दे सकते हैं ?
क्या आप इस या इसी जैसे दूसरे मुद्दे से जुड़े हुए हैं, या प्रभावित हैं? क्या आपको लगता है इसपर कुछ कारगर कदम उठाने चाहिए ?तो नीचे फॉलो का बटन दबा कर समर्थन व्यक्त करें।इससे हम आपको समय पर अपडेट कर पाएंगे, और आपके विचार जान पाएंगे। ज्यादा से ज्यादा लोगों द्वारा फॉलो होने पर इस मुद्दे पर कार्यरत विशेषज्ञों एवं समन्वयकों का ना सिर्फ़ मनोबल बढ़ेगा, बल्कि हम आपको, अपने समय समय पर होने वाले शोध यात्राएं, सर्वे, सेमिनार्स, कार्यक्रम, तथा विषय एक्सपर्ट्स कोर्स इत्यादि में सम्मिलित कर पाएंगे।
समाज एवं राष्ट्र, जहाँ लोग कुछ समय अपनी संस्कृति, सभ्यता, अधिकारों और जिम्मेदारियों को समझने एवं सँवारने में लगाते हैं। एक सोची समझी, जानी बूझी आवाज़ और समझ रखते हैं। वही देश संसार में विशिष्टता और प्रभुत्व स्थापित कर पाते हैं।
अपने सोशल नेटवर्क पर शेयर करें
हर छोटा बड़ा कदम मायने रखता है, अपने दोस्तों और जानकारों से ये मुद्दा साझा करें , क्या पता उन्ही में से कोई इस विषय का विशेषज्ञ निकल जाए।
क्या आपके पास कुछ समय सामजिक कार्य के लिए होता है ?
इस एक्शन ग्रुप के सहभागी बनें, एक सदस्य, विशेषज्ञ या समन्वयक की तरह जुड़ें । अधिक जानकारी के लिए समन्वयक से संपर्क करें और अपने बारे में बताएं।
By
Anurag Pandey Contributors
Princy Gupta 0
पूरी दुनिया में एक जनवरी को नया साल का दिन मनाया जाता है, लेकिन भारतीय संस्कृति के अनुसार, हिंदू नववर्ष की शुरुआत इस साल 1अप्रैल को हो रही है। दरअसल हिंदू नववर्ष पंचांग के अनुसार चैत्र माह की, शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को मनाया जाता है। ठाकुरगंज क्षेत्र से पूर्व पार्षद और वर्तमान पार्षद प्रतिनिधि एवं अधिवक्ता अनुराग पांडे ने नव संवत्सर के इस वार्षिक महोत्सव पर क्षेत्रवासियों को ढेरों शुभकामनाएँ दीं।
वर्षारंभ मनाने का पौराणिक कारण यह है, कि इस दिन भगवान श्रीराम ने बाली का वध किया था। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन अयोध्या में श्रीरामजी का विजयोत्सव मनाने के लिए अयोध्यावासियों ने घर-घर के द्वार पर धर्मध्वज फहराया। इसके प्रतीकस्वरूप भी इस दिन धर्मध्वज फहराया जाता है। महाराष्ट्र में इसे गुडी कहते हैं। ब्रह्म पुराण में मान्यता है, कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही सृष्टि बनी इसलिए यही वो दिन है जब से भारत वर्ष की काल गणना की जाती है। हेमाद्रि के ब्रह्म पुराण के अनुसार, ब्रह्मा जी ने पृथ्वी की रचना चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन की थी।
नव संवत्सर के इतिहास की बात करें, तो इसकी शुरुआत शकरि महाराज विक्रमादित्य ने की। हिन्दू धर्म में चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को नवसंवत की शुरुआत होती है। इसे भारतीय नववर्ष भी कहा जाता है। इसका आरम्भ विक्रमादित्य ने किया था, इसलिए इसे विक्रम संवत भी कहा जाता है। यह दिन भारत के अलग अलग राज्यों में गुड़ी पड़वा, उगादी आदि नामों से मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार नव वर्ष के साथ वसंत ऋतु का भी आरंभ हो जाता है जो उल्लास, उमंग, खुशी और चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है। इसके अलावा चैत्र महीने में ही किसानों की फसल पकना शुरू हो जाता है। यानी साल की शुरुआत देश के किसानों के मेहनत का फल मिलने का भी समय होता है। चैत्र महीने के पहले दिन नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं। आसान भाषा में समझे तो इस दिन किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिए यह शुभ मुहूर्त होता है।
अनुराग पण्डे ने भी इस शुभ अवसर को मनाने हेतु, लोगों से अपील की कि एक सप्ताह पहले हम लोगों को अपने अपने घरों की छतों पर रेशमी पताका फहरानी चाहिए। घरों व दफ्तरों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाना चाहिए तथा इस दिन पतंगें उड़ाकर नववर्ष का स्वागत किया जाये। इस मौके पर विद्या की देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाएँ। गरीब बच्चों को कपड़े तथा चावल का दान किया जाये ताकि वर्ष भर घरों में सुख-शांति एवं समृद्धि बनी रही।
नव वर्ष की यादगार बेला घर के आंगन में मांडणे (रंगोली) सजाए जाएँ तथा दीप या मोमबत्तियां जलानी चाहिए। गाय को रोटी और गुड़ खिलाएं ताकि नव वर्ष हंसी-खुशी के साथ गुजरे। नववर्ष के अवसर पर नीम व तुलसी की पत्तियां तथा गुड़ खाना शुभ माना जाता है। माना जाता है, कि इनको खाने से शरीर साल भर तक स्वस्थ बना रहता है इसलिए लोगो को इसका सेवत करना चाहिए।