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गोमती की करुण पुकार - क्या मौत ही मेरा विकल्प ??

Gomti River and Gomti Riverfront Lucknow - Analysis on Restoration and Development

Gomti River and Gomti Riverfront Lucknow - Analysis on Restoration and Development Opinions & Updates

ByVenkatesh Dutta Venkatesh Dutta   256

 
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गोमती की गोद में बसा शहर लखनऊ, नवाबी अंदाज और तहज़ीब के लिए मशहूर है। लखनऊ का इतिहास बहुत सुनहरा रहा है मगर बढ़ते शहरीकरण में यहाँ की तहज़ीब ख़त्म होती जा रही है। 50sqkm में बसा हुआ लखनऊ शहर आज बढ़कर 250sqkm में बसा हुआ है। पुराने समय में हम देखें तो लखनऊ और गोमती का रिश्ता ऐसे है जेसी की माँ की गोद में उसका बेटा। बढती आबादी और मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के विकास ने इस रिश्ते को धुंधला कर दिया है। एक समय पर गोमती सुनहरी नदियों में एक थी, मगर आज गोमती अपनी जीविका के लिए ही लड़ रही है।

गोमती, गंगा की सबसे प्रमुख सहायक नदियों में से एक है। एक समय पर गोमती सुनहरी नदियों में से एक थी, मगर आज गोमती अपनी जीविका के लिए ही लड़ रही है। पहले तीन घाटों नैमिषारायण, भागपुर, और गौघाट पर तो इसका पानी आज भी स्वच्छ है मगर गौघट के बाद इसमें 40 गंदे नालों का अनुपचारिक पानी छोड़ा जाता है। पीलीभीत से लेकर राएबरेली तक 16 जांच केंद्र है जिसने पता लगाया गया की 32 छोटे बड़े कारखानों का गन्दा पानी भी गोमती में छोड़ा जाता है। जिससे गोमती प्रदूषित होती जा रही है।

बिना रुके निरंतर बहने वाली गोमती को और भी बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बढती आबादी और शहरीकरण के साथ साथ गोमती का पानी कम होता जा रहा है। करोड़ों लोगों की प्यास बुझाने वाली नदी आज खुद प्यासी होती जा रही है। शहरीकरण में अपनाये जाने वाले नए नए तरीके प्रकृति और गोमती के साथ खिलवाड़ करना है। गोमती को उसके वास्तविक प्रवाह से बदलकर बनावटी रास्ते देना पर्यावरण को चुनौती देने से कम नहीं है।     

 

हजारों घरों की देख रेख करने वाली गोमती विकास की दौड़ में पीछे रह गयी है। हजारों परिवारों का जीवन गोमती से चलता है। धोबी, मछवारे, किसान जिनकी रोजी रोटी का सहारा गोमती ही है। जल ही जीवन है यह तो हम सब जानते हैं मगर जीवन को हम खुद समाप्त करते जा रहे हैं।

बढ़ते विकास के साथ पानी की आवश्यकता भी बढती जा रही है। लोगों की ज्यादा पानी की मांग से गोमती के जीवन में संकट बढ़ता जा रहा है। जीवनचर्या, कृषि, इमारतों के निर्माण और अन्य व्यवचारिक कार्यों के लिए पानी की आवश्यकता बढती जा रही है जिससे विकास और पर्यावरण के बिच में एक संघर्ष चल रहा है।

सबसे बड़ा संघर्ष यह है की कितना पानी रोजमर्रा के कार्यों, निर्माण कार्यों या अन्य कार्यों में उपयोग हो और कितना गोमती को जीवित और खुशहाल रखने के लिए ? 

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