नितीश कुमार ने कहा बिहार में बाढ़ की वजह फरक्का बराज बने प्रभावी राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति
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Swarntabh Kumar 81
फरक्का ही नहीं ना जाने कितने बांधो से बंध रखी है माँ गंगा, मगर सच तो है कि नदियों को बांधा नहीं जा सकता...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले नीतीश कुमार फरक्का बराज को बताया बाढ़ की वजह
बिहार के कई जिले गंगा और दूसरी प्रमुख नदियों के कारण आई बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित है. यहां के हालात काफी बुरे हैं. ऐसे में बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने प्रधानमंत्री आवास 7 रेस कोर्स जाकर नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर बाढ़ राहत कार्य के लिए सहायता मांगी है. साथ ही नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री से गंगा में आई बाढ़ की भयावहता का आंकलन करने के लिए विशेषज्ञों की एक टीम को बिहार भेजने का आग्रह किया है. नरेंद्र मोदी से उन्होंने कहा कि जब तक गंगा में जमने वाली गाद जैसी समस्या का हल नहीं निकलता तब तक बिहार को आए दिन ऐसे संकट से रूबरू होना ही पड़ेगा.
नीतीश ने प्रधानमंत्री के समक्ष उठाया गाद का मुद्दा
दिल्ली में प्रधानमंत्री से मुलाकात कर नीतीश कुमार ने फरक्का बराज और गंगा में एकत्रित हो रहे गाद का मुद्दा उठाया. बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि फरक्का बराज की आज कितनी जरुरत है यह आज देखना जरुरी हो गया है. आज इसकी उपयोगिता की समीक्षा की जानी चाहिए. यह देखा जाना चाहिए कि फरक्का बराज से आज लोगों को फायदा अधिक हो रहा है या नुकसान ज्यादा.
गहराई कम होने से जलग्रहण क्षमता हुई है कम
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब से फरक्का बांध को बनाया गया है तब से गंगा में गाद जम रहा है. गाद बैठने के चलते नदी उथली होती जा रही है, जिस कारण से नदी फैल रही है. गर्मी के दौरान गंगा बहुत जगहों पर सूख जाती है या पानी बेहद कम रह जाता है जबकि मानसून के दौरान अत्यधिक पानी आने पर बाढ़ आ जाती है. दरअसल धीरे धीरे गाद जमने के कारण नदी की गहराई कम हुई है यानि नदी की जलग्रहण क्षमता कम हो गई है. इस कारण बरसात के दौरान पानी अधिक होने और गहराई कम हो जाने के कारण गंगा अपनी वास्तविक क्षमता के अनुस्सर पानी नहीं समाहित कर पाती और वह आसपास के इलाकों को डुबो देती है. नितीश कुमार मानते हैं कि फरक्का बैराज बन गया है तो उसे तोड़ना मुश्किल है. इस स्तर का फैसला लेना काफी मुश्किल है और इसी आसानी से नहीं लिया जा सकता, लेकिन गंगा में जामा हो रहे गाद के लिए बेहद ही गंभीर प्रयास किये जाने की आवश्यकता है.
दूसरे जगहों के कारण आता है बिहार में बाढ़
बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे यहां बाढ़ का तीसरा खेप है. दरअसल सबसे पहले पड़ोसी देश नेपाल में हुई बारिश से सीमांचल की नदियों में बाढ़ आई. फिर झारखंड में हुई बरसात से फलगू नदी में उफान आया और अब बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और अन्य जगहों में हुई बारिश के चलते राज्य बाढ़ का दंश झेल रहा है. हमलोग ऐसी स्थिति में हैं जहां बारिश अगर नेपाल में हो, चाहे मध्य प्रदेश में या फिर उत्तर प्रदेश में बाढ़ की परेशानी बिहार को ही झेलनी पड़ती है. यह सही मौका है कि केंद्र विशेषज्ञों को भेजें और इस विभीषिका पर विचार करें.
बिहार में औसत से कम बरसात फिर भी बाढ़ के हालात
नितीश कुमार ने कहा कि पिछले दस वर्षों में मात्र दो ही वर्ष ऐसे थे जब बिहार में एक हजार एमएम से अधिक वर्षा दर्ज की गई है. लेकिन बिहार का वर्षापात औसतन 1,200 एमएम का है. कुछ ऐसा ही हाल इस बार भी बिहार में अभी तक पर्याप्त बारिश नहीं हुई है. बिहार में अभी भी 14 प्रतिशत वर्षा की कमी है बावजूद इसके यहां बाढ़ की स्थिति है. नदियां गाद की वजह से उथली हो गई है, साथ ही मानसून ट्रफ दक्षिण की ओर बढ़ता चला जा रहा है. फरक्का बांध की वजह से जो समस्याएं उत्पन्न हुई हैं उनका समाधान निकाला जाना जरुरी है. गंगा नदी का जलग्रहण करने की क्षमता बहुत घट गई है. आज अदद जरुरत है कि प्रभावी राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति बनाई जाए.
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- स्वर्णताभ