लालू के बयान से विवाद
बिहार में गंगा मैया ऐसी रुष्ट रुष्ट हुई की पूरा जीवन अस्त-व्यस्त होकर रह गया है. गंगा में आई बाढ़ के कारण बिहार की कई इलाके डूब गए हैं. बाढ़ पीड़ितों का बुरा हाल है और ऐसे समय में जब सरकारी सहायता की अदद जरूरत है तब वैसे समय में हमारे नेता अब बड़बोलापन समाज और जनता के प्रति उनकी मानसिकता को भी दर्शाता है. इसमें कोई संदेह नहीं कि लालू प्रसाद यादव के बोलने की शैली ने उन्हें अलग पहचान दी है. अपनी भाषण कला से उन्होंने लोगों को प्रभावित किया है और साथ में हंसाया भी है. मगर बाढ़ पीड़ितों को पर दिए गए उनके बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है.
गंगा खतरे के निशान से 23 सेंटीमीटर ऊपर
बिहार में सामान्य से 14 प्रतिशत कम बारिश हुई है इसके बावजूद गंगा खतरे के निशान से कहीं ऊपर बह रही है. कम बरसात होने के बाद भी गंगा खतरे के निशान से 23 सेंटीमीटर ऊपर है. बिहार के कई इलाकों में जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित हुआ है और इसकी गंभीरता को समझने के बजाए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने इस पर विवादित बयान दिया है. बाढ़ पीड़ितों का बुरा हाल है मगर लालू यादव का कहना है कि गंगा को अपने दरवाजे पर देखना अच्छा संकेत है. लालू प्रसाद ने बिहार के बाढ़ पीड़ितों से कहा कि वे लोग बेहद किस्मत वाले हैं क्योंकि हर किसी को घर बैठे बैठे गंगाजल प्राप्त नहीं होता.
गंगा आपके घर पर आई है
इंडिया टुडे के अनुसार, उन्होंने न्यूज़ रिपोर्टर से कहा कि यह लोग बेहद ही भाग्यशाली हैं की गंगा इनके दरवाजे पर पहुंची है. ऐसा हमेशा नहीं होता. गंगा प्राप्ति के लिए ज्यादातर मामलों में आपको गंगा के पास जाना पड़ता है. हो सकता है कि लालू यादव का निशाना भारतीय जनता पार्टी की तरफ हो. केंद्र सरकार की तरफ से हाल ही में एक योजना शुरु की गई है जिसके तहत भारतीय पोस्ट ऑफिस के जरिए लोगों को उनके घर पर गंगाजल मुहैया करवाया जाएगा. मान भी लिया जाए कि लालू प्रसाद यादव का हमला भारतीय जनता पार्टी की तरफ था बावजूद इसके हम उनके बयान को किसी भी तरह से सही नहीं मान सकते. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते ही सही उनका बाढ़ पीड़ितों के लिए संजीदा होना बेहद जरूरी है.
बिहार में सामान्य से कम वर्षा फिर भी बाढ़ के हालात
आपको बता दें कि बिहार का औसतन वर्षापात 1200 एमएम है. मगर बीते 10 वर्षों में महज दो वर्ष ही ऐसे थे जब बिहार में 1000 एमएम से अधिक बारिश हुई है. कुछ ऐसा ही हाल इस वर्ष भी है जब बिहार में पर्याप्त बारिश नहीं हो पाई है. बिहार में इस साल भी सामान्य से 14 प्रतिशत कम बरसात हुई है. लेकिन दिन प्रतिदिन हालात बिगड़ते जा रहे हैं. जानकार इसका बड़ा कारण नेपाल और भारत के ही दूसरे राज्यों को मानते हैं. जानकारों का मानना है कि नेपाल में हुई बारिश का असर बिहार पर पड़ता है, नेपाल में हुई बरसात के कारण सीमांचल की नदियों में पानी का उफान आ जाता है. तो वही झारखंड में जबरदस्त बारिश होने से फलगु नदी में बाढ़ आती है और उसका भी हर्जाना बिहार को चुकाना पड़ता है. और फिर रही सही कसर बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और अन्य जगहों में हुई बारिश के कारण पूरी हो जाती है.
दिनोंदिन बाढ़ की स्थिति हो रही है खराब
इस बार भी बिहार को बाढ़ का प्रकोप कम बारिश होने के बावजूद पड़ोसी देश और दूसरे राज्यों के कारण झेलना पड़ रहा है. बिहार का अधिकतर हिस्सा नेपाल और इन्हीं पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश और झारखंड में हुई बारिश की वजह से डूब गया है. दिनोंदिन यहां बाढ़ की स्थिति और खराब होते जा रही है. हालात खतरनाक हुए हैं और पिछले दो दिनों में स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ गई है. इस हालात के और भी ज्यादा खतरनाक होने की आशंका है क्योंकि मध्य प्रदेश के बाण सागर बांध से छोड़ा गया पानी बिहार पहुंच चुका है. जिसके कारण गंगा और सोन नदी मैं बेहद उफान आ गया है. गंगा बेसिन से जुड़े बक्सर, आरा, छपरा, वैशाली, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, समस्तीपुर, मुंगेर, भागलपुर जैसे जिलों के जलस्तर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. गंगा में कटान के कारण मालदा जिले के 135 घर बह गए हैं,तो वहीं 20 गांव बाढ़ के पानी में डूब गए हैं.
नेताओं को संजीदा होना जरुरी
बिहार के हालात बेहद बुरे हैं. बाढ़ पीड़ितों को आर्थिक और मानसिक दोनों रूप में बेहद क्षति पहुंची है ऐसे में जब आप उनके लिए कुछ कर नहीं सकते यहां तक कि उन्हें संतावना भी नहीं दे सकते तो ऐसे में उनका मजाक बनाना किसी भी नेता के लिए कहां तक उचित है. राजनीति का गिरता स्तर देश के लिए बेहद बुरा है. जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों के इस तरह के बोल चकित करते हैं. जिस जनता ने आपको चुनकर समाज का उत्तर दायित्व दिया है उसी समाज के प्रति आपका इस तरह चेतनाशून्य व्यवहार कहीं से भी शोभा नहीं देता. ना जाने विनाश व मौत पर राजनीति और हास्य करना कब छोड़ेंगे हमारे नेता. लालू जी इस दर्द को शायद आप कभी नहीं समझेंगे जब आप दुख बांट नहीं सकते तो कुछ कहकर उन्हीं ठेस भी तो ना पहुंचाएं.
Lalu Yadav...tta.pdf
-स्वर्णताभ
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Swarntabh Kumar 75
लालू के बयान से विवाद
बिहार में गंगा मैया ऐसी रुष्ट रुष्ट हुई की पूरा जीवन अस्त-व्यस्त होकर रह गया है. गंगा में आई बाढ़ के कारण बिहार की कई इलाके डूब गए हैं. बाढ़ पीड़ितों का बुरा हाल है और ऐसे समय में जब सरकारी सहायता की अदद जरूरत है तब वैसे समय में हमारे नेता अब बड़बोलापन समाज और जनता के प्रति उनकी मानसिकता को भी दर्शाता है. इसमें कोई संदेह नहीं कि लालू प्रसाद यादव के बोलने की शैली ने उन्हें अलग पहचान दी है. अपनी भाषण कला से उन्होंने लोगों को प्रभावित किया है और साथ में हंसाया भी है. मगर बाढ़ पीड़ितों को पर दिए गए उनके बयान ने विवाद खड़ा कर दिया है.
गंगा खतरे के निशान से 23 सेंटीमीटर ऊपर
बिहार में सामान्य से 14 प्रतिशत कम बारिश हुई है इसके बावजूद गंगा खतरे के निशान से कहीं ऊपर बह रही है. कम बरसात होने के बाद भी गंगा खतरे के निशान से 23 सेंटीमीटर ऊपर है. बिहार के कई इलाकों में जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित हुआ है और इसकी गंभीरता को समझने के बजाए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने इस पर विवादित बयान दिया है. बाढ़ पीड़ितों का बुरा हाल है मगर लालू यादव का कहना है कि गंगा को अपने दरवाजे पर देखना अच्छा संकेत है. लालू प्रसाद ने बिहार के बाढ़ पीड़ितों से कहा कि वे लोग बेहद किस्मत वाले हैं क्योंकि हर किसी को घर बैठे बैठे गंगाजल प्राप्त नहीं होता.
गंगा आपके घर पर आई है
इंडिया टुडे के अनुसार, उन्होंने न्यूज़ रिपोर्टर से कहा कि यह लोग बेहद ही भाग्यशाली हैं की गंगा इनके दरवाजे पर पहुंची है. ऐसा हमेशा नहीं होता. गंगा प्राप्ति के लिए ज्यादातर मामलों में आपको गंगा के पास जाना पड़ता है. हो सकता है कि लालू यादव का निशाना भारतीय जनता पार्टी की तरफ हो. केंद्र सरकार की तरफ से हाल ही में एक योजना शुरु की गई है जिसके तहत भारतीय पोस्ट ऑफिस के जरिए लोगों को उनके घर पर गंगाजल मुहैया करवाया जाएगा. मान भी लिया जाए कि लालू प्रसाद यादव का हमला भारतीय जनता पार्टी की तरफ था बावजूद इसके हम उनके बयान को किसी भी तरह से सही नहीं मान सकते. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते ही सही उनका बाढ़ पीड़ितों के लिए संजीदा होना बेहद जरूरी है.
बिहार में सामान्य से कम वर्षा फिर भी बाढ़ के हालात
आपको बता दें कि बिहार का औसतन वर्षापात 1200 एमएम है. मगर बीते 10 वर्षों में महज दो वर्ष ही ऐसे थे जब बिहार में 1000 एमएम से अधिक बारिश हुई है. कुछ ऐसा ही हाल इस वर्ष भी है जब बिहार में पर्याप्त बारिश नहीं हो पाई है. बिहार में इस साल भी सामान्य से 14 प्रतिशत कम बरसात हुई है. लेकिन दिन प्रतिदिन हालात बिगड़ते जा रहे हैं. जानकार इसका बड़ा कारण नेपाल और भारत के ही दूसरे राज्यों को मानते हैं. जानकारों का मानना है कि नेपाल में हुई बारिश का असर बिहार पर पड़ता है, नेपाल में हुई बरसात के कारण सीमांचल की नदियों में पानी का उफान आ जाता है. तो वही झारखंड में जबरदस्त बारिश होने से फलगु नदी में बाढ़ आती है और उसका भी हर्जाना बिहार को चुकाना पड़ता है. और फिर रही सही कसर बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और अन्य जगहों में हुई बारिश के कारण पूरी हो जाती है.
दिनोंदिन बाढ़ की स्थिति हो रही है खराब
इस बार भी बिहार को बाढ़ का प्रकोप कम बारिश होने के बावजूद पड़ोसी देश और दूसरे राज्यों के कारण झेलना पड़ रहा है. बिहार का अधिकतर हिस्सा नेपाल और इन्हीं पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश और झारखंड में हुई बारिश की वजह से डूब गया है. दिनोंदिन यहां बाढ़ की स्थिति और खराब होते जा रही है. हालात खतरनाक हुए हैं और पिछले दो दिनों में स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ गई है. इस हालात के और भी ज्यादा खतरनाक होने की आशंका है क्योंकि मध्य प्रदेश के बाण सागर बांध से छोड़ा गया पानी बिहार पहुंच चुका है. जिसके कारण गंगा और सोन नदी मैं बेहद उफान आ गया है. गंगा बेसिन से जुड़े बक्सर, आरा, छपरा, वैशाली, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, समस्तीपुर, मुंगेर, भागलपुर जैसे जिलों के जलस्तर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. गंगा में कटान के कारण मालदा जिले के 135 घर बह गए हैं,तो वहीं 20 गांव बाढ़ के पानी में डूब गए हैं.
नेताओं को संजीदा होना जरुरी
बिहार के हालात बेहद बुरे हैं. बाढ़ पीड़ितों को आर्थिक और मानसिक दोनों रूप में बेहद क्षति पहुंची है ऐसे में जब आप उनके लिए कुछ कर नहीं सकते यहां तक कि उन्हें संतावना भी नहीं दे सकते तो ऐसे में उनका मजाक बनाना किसी भी नेता के लिए कहां तक उचित है. राजनीति का गिरता स्तर देश के लिए बेहद बुरा है. जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों के इस तरह के बोल चकित करते हैं. जिस जनता ने आपको चुनकर समाज का उत्तर दायित्व दिया है उसी समाज के प्रति आपका इस तरह चेतनाशून्य व्यवहार कहीं से भी शोभा नहीं देता. ना जाने विनाश व मौत पर राजनीति और हास्य करना कब छोड़ेंगे हमारे नेता. लालू जी इस दर्द को शायद आप कभी नहीं समझेंगे जब आप दुख बांट नहीं सकते तो कुछ कहकर उन्हीं ठेस भी तो ना पहुंचाएं.
Lalu Yadav...tta.pdf
-स्वर्णताभ