गोमती के विनाश की और
बढ़ता शायद एक और कदम

लखनऊ में गोमती पर बन रहा देश का सबसे बड़ा रबर डैम
लखनऊ। आपने साधारण डैम तो देखे होंगे पर क्या
कभी आपने बैलून डैम देखा है। सूबे के सीएम अखिलेश अब गोमती नदी पर बैलून डैम
बनवानें जा रहें हैं। नई टेक्नोलॉजी पसंद करने वाले सीएम कुछ नया करने जा रहें
हैं। जी हां, अब
गोमती नदी के पानी के प्रबंधन के लिए खास इन्तिजाम किया जा रहा है।
इस डैम की खासियत ये है कि इसे एक खास किस्म की
प्लास्टिक के गुब्बारे से तैयार किया जाएगा और ये लगभग गुब्बारे की तरह होगा। जिसे
समय पर फुलाया व पिचकाया जा सकेगा साथ ही रबड का होने के बावजूद भी इसमें छेद नहीं
किया जा सकता है। इस डैम के बनने से नदी के प्रवाह को रोकने के लिए गुब्बारे में
पानी भरा जाएगा और नदी का पानी रुक जाएगा।
ये डैम 256 मीटर चौड़ा होगा। इस डैम को बनाने
में करीब साठ करोड़ रुपये की लागत लगेगी। इसमें 54-54 मीटर के चार और 18-18 मीटर
के दो गुब्बारे लगाए जाएंगे। समुद्र तल से यह गुब्बारे 106 मीटर उंचाई पर होंगे।
इससे रबर डैम के पीछे हिस्से में गोमती में समुद्र तल से 106 मीटर पानी का लेबल
बना रहेगा। इससे अधिक जलस्तर होगा तो पानी गुब्बारे के ऊपर से आगे निकल जाएगा।
डैम के गुब्बारे भी आस्टिया से मंगाए जा रहे
हैं, जो अगले सप्ताह
तक लखनऊ पहुंच जाएंगे। जब कभी गोमती से गंदे पानी का बहाव करना होगा तो गुब्बारे
से पानी निकाल दिया जाएगा। 18-18 मीटर के गुब्बारे इसलिए लगाए जा रहे हैं कि अगर
कभी बोट को डैम से आगे ले जाना होगा तो यह छोटे गुब्बारे डाउन कर दीजिए जाएंगे।
रिवर फ्रंट योजना के तहत बनने वाला ये रबर डैम
भी खास आकर्षण होगा। इसके साथ ही गोमती देश की सबसे बड़ी रबर डैम वाली नदी बन
जाएगी। अभी तक आंध्र प्रदेश में ऐसा डैम बना है, जिसकी चौड़ाई साठ मीटर है। उत्तर प्रदेश के पहले रबर डैम को आस्टिया
के विशेषज्ञों की देखरेख में बनाया जा रहा है। नीचे का ढांचा तैयार कर आस्टिया की
एक टीम वापस हो चुकी है और गुब्बारा लगाने के लिए दूसरी टीम जल्द आएगी।
डैम लामार्टीनियर स्कूल के पिछले हिस्से में
गोमती में बनाया जा रहा है। रबर डैम का निर्माण करा रहे सिंचाई विभाग के अवर
अभियंता डीके सिंह कहते हैं कि गुब्बारे लेकर आस्टिया की टीम आ रही है और जल्द ही
गुब्बारे लगाने का काम शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि आस्टिया से सामान आना है
बस सही समय पर सामान आ जाए और मौसम ठीक रहा तो अक्टूबर तक रबर डैम को पूरा करने का
लक्ष्य रखा गया है।
हम किस ओर अग्रसर है और अगर आप कुछ करना चाहते हैं:
हम इस एक्शन ग्रुप के जरिये गोमती पर हो रहे रिवरफ्रण्ट के निर्माण की समीक्षा कर रहे है। गोमती पर करवाये जा रहे रिवरफ्रण्ट के निर्माण के बहुत दुष्परिणाम हो सकते है। कुछ तो दिखने भी लगे है। लखनऊ मे बहती गोमती के कई हिस्सों पे निर्माण चल रहा है। नदी की सतह में जमी गाद और गन्दगी को करोड़ों खर्च के ड्रेजिंग कर के निकाला जा रहा है। वही दूसरी ओर उसमे नाले सीवेज गिरा रहे है। सरकार गोमती की सफाई के नाम पर कई करोड़ खर्च कर चुकी है और आम जनता का पैसा लगातार अनुयोजित ढंग से खर्च किया जा रहा है। बहुत विशेषज्ञों ने रिवरफ्रण्ट की आलोचना भी की है और इससे रोकने की भी निवेदन किया पर सरकार ने कार्य को बिना रोके कार्यात रखा।
हम इस एक्शन ग्रुप से गोमती रिवरफ्रण्ट की समीक्षा करेंगे और विशेषज्ञों की राय और साइंटिफिक रिसर्च से रिवर फ्रंट के दुष्परिणाम और उसमे मुनासिब बदलाव के मौको को तलाशेंगे और सरकार को सुझाएंगे। इस रिसर्च के माध्यम से हम सही सुजाव देने मे भी समर्थ होंगे.
अगर आप इससे सम्बंधित कुछ जानते है :
अगर आप इस केस से सम्बंधित कोई जानकारी रखते है और हमसे साझा करना चाहते है, तोह आप हमें इस पे कांटेक्ट कर सकते है: coordinators@ballotboxindia.com
अगर आप किसी ऐसे को जानते हो जो इस विषय मे कुछ जानता हो:
अगर आप किसी ऐसे को जानते हो जो तालाब अधिग्रहण मे विशेषज्ञ हो या इस केस से सम्बंधित कुछ जानता हो , तो आप हमें इस पे कांटेक्ट कर सकतेहै: coordinators@ballotboxindia.com
अगर आप हमारे साथ कुछ देर अपने समुदाय के लिए काम करना चाहते है?
क्या मुझे काम करने के पैसे मिलेंगे?हाँ ! अगर आप किस क्षेत्र के विशेषज्ञ है और हमारे साथ काम करना चाहता है तो ballotboxindia .com सही प्लेटफार्म है.आपके काम को फण्ड किया जायेगा .
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Swarntabh Kumar 267
गोमती के विनाश की और बढ़ता शायद एक और कदम
लखनऊ में गोमती पर बन रहा देश का सबसे बड़ा रबर डैम
लखनऊ। आपने साधारण डैम तो देखे होंगे पर क्या कभी आपने बैलून डैम देखा है। सूबे के सीएम अखिलेश अब गोमती नदी पर बैलून डैम बनवानें जा रहें हैं। नई टेक्नोलॉजी पसंद करने वाले सीएम कुछ नया करने जा रहें हैं। जी हां, अब गोमती नदी के पानी के प्रबंधन के लिए खास इन्तिजाम किया जा रहा है।
इस डैम की खासियत ये है कि इसे एक खास किस्म की प्लास्टिक के गुब्बारे से तैयार किया जाएगा और ये लगभग गुब्बारे की तरह होगा। जिसे समय पर फुलाया व पिचकाया जा सकेगा साथ ही रबड का होने के बावजूद भी इसमें छेद नहीं किया जा सकता है। इस डैम के बनने से नदी के प्रवाह को रोकने के लिए गुब्बारे में पानी भरा जाएगा और नदी का पानी रुक जाएगा।
ये डैम 256 मीटर चौड़ा होगा। इस डैम को बनाने में करीब साठ करोड़ रुपये की लागत लगेगी। इसमें 54-54 मीटर के चार और 18-18 मीटर के दो गुब्बारे लगाए जाएंगे। समुद्र तल से यह गुब्बारे 106 मीटर उंचाई पर होंगे। इससे रबर डैम के पीछे हिस्से में गोमती में समुद्र तल से 106 मीटर पानी का लेबल बना रहेगा। इससे अधिक जलस्तर होगा तो पानी गुब्बारे के ऊपर से आगे निकल जाएगा।
डैम के गुब्बारे भी आस्टिया से मंगाए जा रहे हैं, जो अगले सप्ताह तक लखनऊ पहुंच जाएंगे। जब कभी गोमती से गंदे पानी का बहाव करना होगा तो गुब्बारे से पानी निकाल दिया जाएगा। 18-18 मीटर के गुब्बारे इसलिए लगाए जा रहे हैं कि अगर कभी बोट को डैम से आगे ले जाना होगा तो यह छोटे गुब्बारे डाउन कर दीजिए जाएंगे।
रिवर फ्रंट योजना के तहत बनने वाला ये रबर डैम भी खास आकर्षण होगा। इसके साथ ही गोमती देश की सबसे बड़ी रबर डैम वाली नदी बन जाएगी। अभी तक आंध्र प्रदेश में ऐसा डैम बना है, जिसकी चौड़ाई साठ मीटर है। उत्तर प्रदेश के पहले रबर डैम को आस्टिया के विशेषज्ञों की देखरेख में बनाया जा रहा है। नीचे का ढांचा तैयार कर आस्टिया की एक टीम वापस हो चुकी है और गुब्बारा लगाने के लिए दूसरी टीम जल्द आएगी।
डैम लामार्टीनियर स्कूल के पिछले हिस्से में गोमती में बनाया जा रहा है। रबर डैम का निर्माण करा रहे सिंचाई विभाग के अवर अभियंता डीके सिंह कहते हैं कि गुब्बारे लेकर आस्टिया की टीम आ रही है और जल्द ही गुब्बारे लगाने का काम शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि आस्टिया से सामान आना है बस सही समय पर सामान आ जाए और मौसम ठीक रहा तो अक्टूबर तक रबर डैम को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
हम किस ओर अग्रसर है और अगर आप कुछ करना चाहते हैं:
हम इस एक्शन ग्रुप के जरिये गोमती पर हो रहे रिवरफ्रण्ट के निर्माण की समीक्षा कर रहे है। गोमती पर करवाये जा रहे रिवरफ्रण्ट के निर्माण के बहुत दुष्परिणाम हो सकते है। कुछ तो दिखने भी लगे है। लखनऊ मे बहती गोमती के कई हिस्सों पे निर्माण चल रहा है। नदी की सतह में जमी गाद और गन्दगी को करोड़ों खर्च के ड्रेजिंग कर के निकाला जा रहा है। वही दूसरी ओर उसमे नाले सीवेज गिरा रहे है। सरकार गोमती की सफाई के नाम पर कई करोड़ खर्च कर चुकी है और आम जनता का पैसा लगातार अनुयोजित ढंग से खर्च किया जा रहा है। बहुत विशेषज्ञों ने रिवरफ्रण्ट की आलोचना भी की है और इससे रोकने की भी निवेदन किया पर सरकार ने कार्य को बिना रोके कार्यात रखा।
हम इस एक्शन ग्रुप से गोमती रिवरफ्रण्ट की समीक्षा करेंगे और विशेषज्ञों की राय और साइंटिफिक रिसर्च से रिवर फ्रंट के दुष्परिणाम और उसमे मुनासिब बदलाव के मौको को तलाशेंगे और सरकार को सुझाएंगे। इस रिसर्च के माध्यम से हम सही सुजाव देने मे भी समर्थ होंगे.
अगर आप इससे सम्बंधित कुछ जानते है :
अगर आप इस केस से सम्बंधित कोई जानकारी रखते है और हमसे साझा करना चाहते है, तोह आप हमें इस पे कांटेक्ट कर सकते है: coordinators@ballotboxindia.com
अगर आप किसी ऐसे को जानते हो जो इस विषय मे कुछ जानता हो:
अगर आप किसी ऐसे को जानते हो जो तालाब अधिग्रहण मे विशेषज्ञ हो या इस केस से सम्बंधित कुछ जानता हो , तो आप हमें इस पे कांटेक्ट कर सकतेहै: coordinators@ballotboxindia.com
अगर आप हमारे साथ कुछ देर अपने समुदाय के लिए काम करना चाहते है?
क्या मुझे काम करने के पैसे मिलेंगे?हाँ ! अगर आप किस क्षेत्र के विशेषज्ञ है और हमारे साथ काम करना चाहता है तो ballotboxindia .com सही प्लेटफार्म है.आपके काम को फण्ड किया जायेगा .